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हमारे देश का पानी खतरे में है, कारण जानिए Mirror की इस खास रिपोर्ट में

हमारे देश का पानी खतरे में है, कारण जानिए Mirror की इस खास रिपोर्ट में

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by May 27, 2018 News

जिस तरह से मौसम का पारा दिन प्रतिदिन ऊपर चढ़ रहा है, उससे ऐसा लगता है कि इस बार झुलसाने वाली गर्मी पड़ेगी। इसका सबसे अधिक दुष्प्रभाव इन दिनों पानी की किल्लत को लेकर देखा जा सकता है। इसका असर उत्तरी क्षेत्र,पूर्वी क्षेत्र, पश्चिमी क्षेत्र और मध्य क्षेत्र में दिखना शुरू हो गया है। विभिन्न कई पहलू हैं जिसके कारण पानी का संकट देश के हर कोनें में बढता जा रहा है। तो सबसे पहले डालते है नजर आखिर देश में कितने जलाशय है, उनकी कुल जल संग्रहण क्षमता कितनी है। साथ ही दिखेगें कि पिछले दस सालों में जलाशयों में जल संग्रहण पर क्या-क्या बदलाब आये है।
24 मई, 2018 को समाप्त सप्ताह के दौरान देश के 91प्रमुख जलाशयों में 29.296 बीसीएम (अरब घन मीटर) जल का संग्रहण आंका गया। यह इन जलाशयों की कुल जल संग्रहण क्षमता का 18 प्रतिशत है। यह 17 मई, 2018 को समाप्‍त सप्ताह में 19 प्रतिशत पर था। 24 मई, 2018 को समाप्त हुए सप्ताह के अंत में यह पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान कुल जल संग्रहण का 83 प्रतिशत तथा पिछले दस वर्षों के औसत जल संग्रहण का 91 प्रतिशत है।

देखा जाए तो इन 91 जलाशयों की कुल जल संग्रहण क्षमता 161.993 बीसीएम है, जो पूर्ण रूप से देश की अनुमानित कुल जल संग्रहण क्षमता 257.812 बीसीएम का लगभग 63 प्रतिशत है। इन 91 जलाशयों में से 37 जलाशय ऐसे हैं जो 60 मेगावाट से अधिक की स्थापित क्षमता के साथ पनबिजली संबंधी लाभ देते हैं।

आइए क्षेत्रों के आधार पर डालते हैं जलाशयों और उनकी संग्रहण क्षमता पर एक नज़र

उत्तरी क्षेत्र

उत्तरी क्षेत्र में हिमाचल प्रदेश, पंजाब तथा राजस्थान आते हैं। इस क्षेत्र में 18.01 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले छह जलाशय हैं, जो कि केन्द्रीय जल आयोग (सीडब्यूसी) की निगरानी में हैं। इन जलाशयों में इस वक्त कुल उपलब्ध जल संग्रहण 2.70 बीसीएम है, यानी कि जलाशयों की कुल जल संग्रहण क्षमता का 15 प्रतिशत है। पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों की जल संग्रहण स्थिति 24 प्रतिशत थी। जाहिर है कि पिछले वर्ष की तुलना में इस साल जलाशयों में जल संग्रहण की 9 प्रतिशत कमी आई है। तो वहीं अगर पिछले दस वर्षों का औसत संग्रहण इसी अवधि के दौरान देखें तो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 26 प्रतिशत था। देखा जा सकता है, कि पिछले दस वर्षों की तुलना में भी इस साल औसत जल स्टॉक कम है।

पूर्वी क्षेत्र

पूर्वी क्षेत्र में झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल एवं त्रिपुरा आते हैं। इस क्षेत्र में 18.83 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले 15 जलाशय हैं, जो सीडब्ल्यूसी की निगरानी में हैं। इन जलाशयों में कुल उपलब्ध जल संग्रहण 5.24 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 28 प्रतिशत है। पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों की जल संग्रहण स्थिति 30 प्रतिशत थी। यानि साफ नजर आ रहा है कि इस साल, पिछले वर्ष की तुलना में 2 प्रतिशत की जल संग्रहण में कमी आई है। अगर वहीं इसी अवधि के दौरान पिछले दस वर्षों का औसत जल संग्रहण देखें तो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 20 प्रतिशत था। इस तरह पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में चालू वर्ष में पानी का स्टॉक कम है। और इस साल का पानी का स्टॉक पिछले दस वर्षों की इसी अवधि के तुलना से बेहतर है।

पश्चिमी क्षेत्र

पश्चिमी क्षेत्र में गुजरात तथा महाराष्ट्र आते हैं। इस क्षेत्र में 31.26 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले 27 जलाशय हैं, जो सीडब्ल्यूसी की निगरानी में हैं। इन जलाशयों में कुल उपलब्ध संग्रहण 5.04 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल जल संग्रहण क्षमता का 16 प्रतिशत है। पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों की जल संग्रहण स्थिति 22 प्रतिशत थी। यानि कि इस साल की तुलना में पिछले वर्ष का जल संग्रहण 6 प्रतिशत अधिक है। पिछले दस वर्षों का औसत संग्रहण इसी अवधि में इन जलाशयों की कुल जल संग्रहण क्षमता का 21 प्रतिशत थी। जाहिर है कि पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में चालू वर्ष में जल संग्रहण कमतर है। तो वहीं पिछले दस वर्षों की इसी अवधि के दौरान रहे औसत जल संग्रहण से भी कमतर है ।

मध्य क्षेत्र

मध्य क्षेत्र में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ आते हैं। इस क्षेत्र में 42.30 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले 12 जलाशय हैं, जो सीडब्ल्यूसी की निगरानी में हैं। इन जलाशयों में कुल उपलब्ध संग्रहण 10.13 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल जल संग्रहण क्षमता का 24 प्रतिशत है। पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों की जल संग्रहण स्थिति 34 प्रतिशत था। यदि पिछले वर्ष की तुलना इस साल के जल संग्रहण से करें तो पिछले वर्ष का जल संग्रहण 10 प्रतिशत अधिक है। वहीं पिछले दस वर्षों का औसत संग्रहण देखे तो इसी अवधि में इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 20 प्रतिशत थी। इस तरह पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में चालू वर्ष में संग्रहण कमतर है और यह पिछले दस वर्षों की इसी अवधि के दौरान रहे औसत जल संग्रहण से बेहतर है।

दक्षिणी क्षेत्र

दक्षिणी क्षेत्र में आंध्र प्रदेश, तेलंगाना एपी एवं टीजी (दोनों राज्यों में दो संयुक्त परियोजनाएं), कर्नाटक, केरल एवं तमिलनाडु आते हैं। इस क्षेत्र में 51.59 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले 31 जलाशय हैं, जो सीडब्ल्यूसी की निगरानी में हैं। इन जलाशयों में कुल उपलब्ध संग्रहण 6.19 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 12 प्रतिशत है। पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों की संग्रहण स्थिति 8 प्रतिशत था। तो साफ नजर आता है दक्षिणी क्षेत्र में जल संग्रहण में पिछले वर्ष की तुलना में इस साल 4 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है। वहीं अगर इसी अवधि में पिछले दस वर्षों का औसत जल संग्रहण देखें तो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 17 प्रतिशत था। इस तरह चालू वर्ष में संग्रहण पिछले वर्ष की इसी अवधि में हुए संग्रहण से बेहतर है, और पिछले दस वर्षों की तुलना में इस साल का इसी अवधि के दौरान औसत जल संग्रहण कम है।
विशलेषण में साफ नजर आता है कि पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में जिन राज्यों में जल संग्रहण की प्रतिशतता में उछाल आई है उनमें राजस्थान, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, महाराष्ट्र, एपी एवं टीजी (दोनों राज्यों में दो संयुक्त परियोजनाएं), आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु शामिल हैं। और वहीं पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष जो जल संग्रहण की प्रतिशतता में कमी आई है उन राज्यों में हिमाचल प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, झारखंड, पश्चिम बंगाल,त्रिपुरा ओडिशा,गुजरात,महाराष्ट्र,उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड शामिल हैं।

साथ ही इन आंकड़ो से साफ है कि अगले कुछ दशकों के बाद हमारी धरती पर पानी की जबर्दस्त किल्लत महसूस की जाएगी। भारत में अभी से ऐसी योजनाएँ बनाई जानी चाहिए जिनके जरिए स्थिति बिगड़ने से पहले ही समाधान की दिशा में काम किया जाए। हमारे लिए जरूरी होगा कि हमारा जल मिशन हो जिसमें नदियों को आपस में जोड़ने, जल संचयन, पानी के पुन:प्रयोग और कुछ क्षेत्रों में सौरऊर्जा की सहायता से समुद्र के खारे पानी को पीने लायक बनाने की बातों को शामिल किया जाए। हम सब जानते है कि पानी के बिना हम अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते। लेकिन फिर भी हम इसे फिजूल में खर्च कर देते है। हमें जल को बहुत सहेज के रखने की जरुरत है, नहीं तो वह दिन दूर नहीं जब हम एक एक बूँद को तरसेंगे। पानी एक ऐसा धन है जिसे हम सहेज कर रखेंगे तभी हमारी आने वाली पीढ़ी उसे उपयोग कर पायेगी। जल है तो कल है।


Yudhishthir , Mirror News

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