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आज देवेन्द्र के साथ कैंची धाम की यात्रा, साथ में पढ़ें बाबा नीम करौली के चमत्कार

आज देवेन्द्र के साथ कैंची धाम की यात्रा, साथ में पढ़ें बाबा नीम करौली के चमत्कार

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by December 29, 2019 All, Tour/Travel

कैंची धाम – बिगड़ी तकदीर बनाने वाला हनुमान मंदिर

हिमालय की गोद में बसा उत्तराखंड प्रकृति की अमूल्य अलौकिक धरोहर है। यहां की पावन रमणीक वादियों में पहुचते ही सांसारिक मायाजाल में भटके मानव की समस्त व्याधिया यूं शांत हो जाती है, जैसे की लौ पाते ही तिनका भस्म हो जाता है। यहां के ऐतिहासिक धरोहर रुपी रमणीय गुफाए मनभावन मंदिर यहां आने वाले हर आगन्तुक को अपनी ओर आकर्षित करने में पूर्णतया सक्षम है। ऋषि-मुनियों की आराधना व तपस्थली के रूप में प्रसिद्ध इस पावन भूमि के पग-पग पर देवालयों की भरमार है। सुंदर निर्झर झरने कल-कल धुन में नृत्य करती नदिया अनायास ही पर्यटकों व श्रद्धालुओ को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित कर लेते है। देवभूमि उत्तराखंड की अलौकिक वादियों में से एक दिव्य रमणीक लुभावना स्थल है “कैंची धाम”। कैंची धाम जिसे नीम किरौली धाम भी कहा जाता है, उत्तराखंड का एक ऐसा तीर्थस्थल है, जहां वर्षभर श्रद्धालुओ का तांता लगा रहता है। अपार संख्या में भक्तजन व श्रद्धालु यहां पहुचकर अराधना व श्रद्धा पुष्प श्री नीम किरौली के चरणों में अर्पित करते है। हर वर्ष १५ जून को यहां एक विशाल मेले व भंडारे का आयोजन होता है। भक्तजन यहां पधारकर अपनी श्रद्धा व आस्था को व्यक्त करते है। कहते है कि यहां पर श्रद्धा एवं विनयपूर्वक की गयी पूजा कभी भी व्यर्थ नहीं जाती है। यहां पर मांगी गयी मनौती पूर्णतया फलदायी कही गयी है। इस मंदिर की स्थापना को लेकर कई रोचक कथाए जनमानस में खासी प्रसिद्ध है। नीम किरौली महाराज की अनुपम कृपा से ही इस स्थान पर मंदिर की स्थापना की गई। कहते है कि १९६२ के आस-पास श्री महाराज जी ने यहां की भूमि पर कदम रखा तथा उनके चरणों की आभा पाकर यह भूमि धन्य हुई। जब वे सन् १९६२ के लगभग यहां पहुचे तो उन्होंने अनेक चमत्कारिक लीलाए रचकर जनमानस को हतप्रभ कर दिया।

एक चमत्कारिक कथा के अनुसार माता सिद्धि व तुलाराम शाह के साथ बाबा नीम किरौली महाराज किसी वाहन से जनपद अल्मोड़ा के रानीखेत नामक स्थान से नैनीताल को आ रहे थे तो अचानक वे कैंची धाम के पास उतर गए। इस बीच उन्होंने तुलाराम जी को बताया कि श्यामलाल अच्छा आदमी था, उन्हें यह बात अच्छी नहीं लगी, क्योंकि श्यामलाल जी उनके समधी थे। भाषा में ‘था’ शब्द के उपयोग से वे बेरुखे हो गए। खाई, किसी तरह मन को काबू में रखकर वे अपने गंतव्य स्थल को चल दिए। बाद में उन्हें जानकारी मिली कि उनके समधी का हृदय गति रुकने से देहांत हो गया। कितना अलौकिक दिव्य चमत्कार था बाबा नीम किरौली महाराज का कि उन्होंने दूर घटित घटना को बैठे-बैठे जान लिया इस तरह की अनेक चमत्कारिक घटनाएं बाबा नीम किरौली महाराज जी से जुड़ी हुई है।

इसी तरह १५ जून १९९१ को घटी एक चमत्कारिक घटना के अनुसार कैंची धाम में आयोजित भक्तजनों की विशाल भीड़ में बाबा ने बैठे-बैठे इसी तरह निदान करवाया कि जिसे यातायात पुलिसकर्मी घंटो से नहीं करवा पाए। थक-हार कर उन्होंने बाबा जी की शरण ली। आख़िरकार उनकी समस्याओ का निदान हुआ। यह घटना आज भी खास चर्चाओ में रहती है। इसके आलावा यहाँ आयोजित भंडारे में ‘घी’ की कमी पड़ गई थी। बाबा जी के आदेश पर नीचे बहती नदी से कनस्तर में जल भरकर लाया गया। उसे प्रसाद बनाने हेतु जब उपयोग में लाया गया तो, वह जल घी में परिवर्तित हो गया। इस चमत्कार से आस्थावान भक्तजन नतमस्तक हो उठे।

एक अन्य चमत्कार के अनुसार बाबा नीम किरौली महाराज जी ने गर्मी की तपती धूप में एक भक्त को बादल की छतरी बनवाकर उसे उसकी मंजिल तक पहुचवाया। इस तरह एक नहीं अनेक किवंदतिया जुड़ी हुई है बाबा नीम किरौली महाराज से। नीम करौली बाबा को यह स्थान बहुत प्रिय था। प्राय: हर गर्मियों में वे यहीं आकर निवास करते थे। बाबा के भक्तों ने इस स्थान पर हनुमान का भव्य मन्दिर बनवाया। उस मन्दिर में हनुमान की मूर्ति के साथ-साथ अन्य देवताओं की मूर्तियाँ भी हैं।

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अब तो यहाँ पर बाबा नीम करौली की भी एक भव्य मूर्ति स्थापित कर दी गयी है। यहाँ पर यात्रियों के ठहरने के लिए एक सुन्दर धर्मशाला भी है। यहाँ पर देश-विदेश के आये लोग प्रकृति का आनन्द लेते हैं। नैनीताल के कैंची धाम स्थित हनुमान मंदिर, आज किस्मत बनाने वाले करोली बाबा के नाम से विश्व भर में विख्यात है। नीम करोली बाबा को हनुमान का एक रूप भी बताया जाता है।

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बाबा के भक्तों में एप्पल कंपनी के मालिक स्टीव जॉब्स भी आते थे। आज फेसबुक प्रमुख मार्क जुकरबर्ग और हॉलीवुड अभिनेत्री जूलिया रॉबर्ट्स बाबा की भक्त हैं। वर्तमान में बाबा तो समाधी ले चुके हैं किन्तु कहते हैं कि हनुमान जी का यह मंदिर बिगड़ी तकदीर बना देता है। देश-विदेश समेत हज़ारों लोग यहाँ अपनी बिगड़ी तक़दीर को बनवाने आते हैं।

27 सितंबर 2015 को जब भारतीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी फेसबुक के मुख्यालय में थे और बातों का दौर चल रहा था तो जुकरबर्ग ने कहा था कि जब वे इस कन्फ्यूजन में थे कि फेसबुक को बेचा जाए या नहीं, तब एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब्स ने इन्हें भारत के एक मंदिर में जाने की सलाह दी थी। वहीं से इन्हें कंपनी के लिए नया मिशन मिला। जुकरबर्ग ने बताया था कि वे एक महीना भारत में रहे। इस दौरान उस मंदिर में भी गए थे।
वह मंदिर कैंची धाम हनुमान मंदिर ही है जहां एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब्स ने फेसबुक प्रमुख मार्क जुकरबर्ग को जाने के लिए कहा था। मंदिर को आज नीम करोली बाबा का कैंची धाम नाम से भी जाना जाता है।मंदिर के कुछ ट्रस्टी लोग बताते हैं कि ” गूगल के पूर्व डायरेक्टर लैरी ब्रिलियंट ने आश्रम में फ़ोन कर यह जानकारी दी थी कि मार्क जुकरबर्ग नाम का एक लड़का कैंची धाम आश्रम में आ रहा है और वह कुछ दिन यहाँ रुकेगा।” और मार्क जब यहाँ आये थे तो उनके पास मात्र एक पुस्तक थी। जुकरबर्ग आए तो एक दिन के लिए थे, लेकिन मौसम खराब हो जाने के कारण वह यहाँ दो दिन रुके थे।

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सितंबर को सैन होसे में मोदी एप्पल के वर्तमान सीईओ टिम कुक से मिले थे। कुक ने मोदी जी को बताया था कि, “हमारे फाउंडर स्टीव जॉब्स इन्सपिरेशन के लिए भारत गए थे। जॉब्स 1974 में आध्यात्मिक ज्ञान की खोज में अपने कुछ दोस्तों के साथ नीम करौली बाबा से मिलने भारत आए थे। तब तक बाबा का निधन हो चुका था। लेकिन जॉब्स कुछ दिन आश्रम में ही रुके थे।“ मंदिर अधिकारियों का कहना है कि जूलिया रॉबर्ट्स, डॉक्टर रिचर्ड एल्पेर्ट जो ड्रग एलएसडी के प्रभाव पर रिसर्च करते हैं और मशहूर लेखक डेनियल भी यहां आ चुके हैं।

आर्टिकल के अंत में पढ़ें यहां कैसे पहुंच सकते हैं ?

नीम करोली बाबा की महिमा न्यारी है। भक्तजनों की माने तो बाबा की कृपा से सभी बिगड़े काम बन जाते हैं। यही कारण है कि बाबा के बनाए सारे मंदिरों में भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ता है। नीम करोली धाम को बनाने के संबंध में कई रोचक कथायें प्रचलित हैं। बताया जाता है कि 1962 में जब बाबा ने यहां की जमीन पर अपने कदम रखे थे तो जनमानस को अपने चमत्कारों से आश्चर्यचकित कर दिया था। एक कथा के अनुसार के अनुसार 15 जून को आयोजित, विशाल भंडारे के दौरान घी कम पड़ गया था। तब बाबा के आदेश पर पास की नदी का पानी कनस्तरों में भरकर प्रसाद बनाया जाने लगा। प्रसाद में डालते ही पानी अपने आप आप घी में बदल गया। इस चमत्कार से भक्त जन नतमस्तक हो गए। तभी से उनकी आस्था और विश्वास नीम करोली बाबा के प्रति बना है। नीम करोली बाबा का यह आश्रम आधुनिक जमाने का धाम है। यहां मुख्य तौर पर भगवान हनुमान जी की पूजा होती है। इस जगह का नाम कैची यहां सड़क पर दो बड़े जबरदस्त हेयरपिन बैंड , मोड़ के नाम पर पड़ा है। स्थानीय लोगों के अनुसार सन 1964 में आगरा के पास फिरोजाबाद के गांव अकबरपुर में जन्मे लक्ष्मी नारायण शर्मा (असली नाम यहाँ तपस्या करने आए थे। उन्हीं के प्रयासों से इस मंदिर का उद्धार हुआ था। बताया जाता है की फर्रूखाबाद के गांव नीब करौली में उन्होंने कठिन तपस्य़ा की थी पर जनमानस मैं बोलते बोलते बाबा नीमकरौली कहलाने लगे। और मुख्यतः घटना इस प्रकार है बाबा जी ट्रेन मै बैठै थे और नीब करौली नामक जगह पर टीटी ने बिना टिकट के इन्है उतार दिया। फक्कड साधु तो फक्कड हुए, टिकट लेते नही थे, जहा मन आया वहा निकल गयै। जैसे ही ट्रेन से बाबा को उतारा गया तो बाबाजी पास मै ही रेलवे स्टेशन पर छाव मै बैठ गयै। उसके बाद ट्रैन स्टार्ट नही हो पायी । ट्रेन के पायलट द्वारा सब कुछ देखने के बाद की दिक्खत नही है पर ट्रैन स्टार्ट तो हो गयी पर आगे निकल ही नही पायी। तब पैसेन्जरो द्वारा टीटी से कहा गया कि बाबा का अपमान कर ट्रैन से निकाल दिया आप बाबाजी को बैठाये और जब सभी लोग के विनय के बाद बाबाजी को टीटी द्वारा क्षमा प्रार्थना के बाद जब बैठाया गया तो ट्रेन फिर से चल पडी। तब से बाबा जो लक्ष्मणदास कहलाते थै, यह घटना नीबकरौली जगह मै घटित होने के कारण नीबकरौली बाबा कहलायै पर भक्तो द्वारा बोलते बोलते नीमकरौली हो गयै। कैंची धाम उत्तराखंड के नैनीताल जिले में भवाली-अल्मोड़ा/रानीखेत राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे पर स्थित है। 24 मई 1962 को बाबा ने पावन चरण उस भूमि पर रखे, जहां वर्तमान में कैंची मंदिर स्थित है। 15 जून 1964 को मंदिर में हनुमान जी की मूर्ति की प्रतिष्ठा की गई और तभी से 15 जून को प्रतिष्ठा दिवस के रूप में मनाया जाता है। मंदिर चारों ओर से ऊँचे-ऊँचे पहाड़ों से घिरा हुआ है और मंदिर में हनुमान जी के अलावा भगवान राम एवं सीता माता तथा देवी दुर्गा जी के भी छोटे-छोटे मंदिर बने हुए हैं। किन्तु कैंची धाम मुख्य रूप से बाबा नीम करौली और हनुमान जी की महिमा के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ आने पर व्यक्ति अपनी सभी समस्याओं के हल प्राप्त कर सकता है।

यहा आने के लिए काठगोदाम सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है, पन्तनगर निकटतम हवाई अड्डा है और बाकी उत्तराखण्ड रोडवेज की और प्राईवेट टैक्सियांं हल्द्वानी और काठगोदाम से उपलब्ध है, हलद्वानी काठगोदाम से जाने वाली राष्टीय राजमार्ग अल्मोडा और रानीखेत सडक पर ही स्थित है

ज्यादा जानकारी हेतु मेल या फोन से सम्पर्क करें……

Devendra Binwal , Uttarakhand Mirror

Spiritualindia78@gmail.com

Contact 9412102462

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