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च्यूरा वृक्ष से स्थानीय रोजगार बढ़ाने की तैयारी, काली नदी, सरयू नदी व राम गंगा की घाटियों में जलवायु अनुकूल

च्यूरा वृक्ष से स्थानीय रोजगार बढ़ाने की तैयारी, काली नदी, सरयू नदी व राम गंगा की घाटियों में जलवायु अनुकूल

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by September 25, 2024 News

25 September. 2024. Pithoragarh. प्रकृति में अनमोल है च्यूरा, जिसका वानस्पतिक नाम Diploknema Butyracea है, पहाड़ो में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत आधार देने वाली च्यूरा प्रजाति की काफी उपयोगिता रही है। च्यूरा वृक्ष से वनस्पति घी एवं शहद का उत्पादन होने के साथ ही इसके पत्ते कंपोस्ट खाद के उत्पादन को बढ़ाने में भी काफी मददगार साबित होते हैं।

वर्ष भर सदाबहार रहने वाले च्यूरा की पत्तियों से बनाई गई कंपोस्ट खाद में खरपतवार और कीटनाशक गुण पाए जाते हैं। यही कारण है कि च्यूरा वृक्ष को कल्पवृक्ष माना जाता है। पिथौरागढ़ डी एफ ओ आशुतोष सिंह के अनुसार इसका फल विटामिनयुक्त होता है, जिसका अर्क निकालकर शीतल पेय के रूप में प्रयोग में लाया जाता था। अतीत में खाद्य तेलों के अलावा चॉकलेट बनाने में भी इसका प्रयोग किया जाता था। च्यूरा प्रजाति का तना इमारती लकड़ी और काष्ठ उद्योग में काम आता है। इसकी जड़ें गहरी होने के कारण भूमि कटाव को रोकने में भी काफी सहायक होती हैं।

हालिया दिनो में च्युरा से स्थानीय रोजगार देने, स्थानीय जलवायु का अध्ययन करने खुद सी सी एफ कुमाऊं धीरज पांडे, सी एफ उत्तरी कुमाऊं को को रोसे द्वारा कुमाऊं का भ्रमण किया गया, जिस पर विभाग च्युरा वाले क्षेत्रो को और भी विकसित करने हेतू प्लान बना रहा है, सी सी एफ कुमाऊं द्वारा बताया गया कि काली नदी, सरयू नदी व राम गंगा की घाटियों की जलवायु इसके लिए बेहतर है।

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