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उत्तराखंड : 56 साल बाद गांव आ रहा है शहीद का शव, पत्नी भी अब जिंदा नहीं, जानिए क्या है पूरा मामला

उत्तराखंड : 56 साल बाद गांव आ रहा है शहीद का शव, पत्नी भी अब जिंदा नहीं, जानिए क्या है पूरा मामला

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by October 2, 2024 News

2 October. 2024. Chamoli. चमोली जिले के थराली तहसील के गांव कोलपुड़ी में 56 साल बाद एक शहीद का पार्थिव शरीर पहुंचने से गांव में मातम छा गया है। वर्ष 1968 में हिमाचल प्रदेश के रोहतांग दर्रे में हुए विमान हादसे में लापता हुए नारायण सिंह का शव बर्फ में जमा मिलने के बाद अब उनके गांव ले जाया जा रहा है।

क्या है पूरा मामला?
1968 में हिमाचल प्रदेश के रोहतांग दर्रे में वायुसेना का एक विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इस हादसे में कई सैनिक लापता हो गए थे। इनमें से एक सैनिक नारायण सिंह भी थे, जो चमोली जिले के थराली तहसील के गांव कोलपुड़ी के रहने वाले थे। 56 साल तक नारायण सिंह के परिवार ने उनकी वापसी का इंतजार किया।
हाल ही में, बर्फ में जमे हुए चार सैनिकों के अवशेष मिले हैं। इनमें से एक शव नारायण सिंह का है। शव की पहचान जेब में मिले पर्स में एक कागज में नारायण सिंह ग्राम कोलपुड़ी और बसंती देवी नाम दर्ज होने और वर्दी के नेम प्लेट पर उनका नाम लिखा होने से हुई।

गांव में मातम का माहौल
नारायण सिंह के गांव कोलपुड़ी में उनके पार्थिव शरीर के आने की खबर से मातम का माहौल है। नारायण सिंह के भतीजे जयवीर सिंह ने बताया कि सेना के अधिकारियों ने सोमवार को सूचना दी थी कि नारायण सिंह का शव मिल गया है। उन्होंने बताया कि बर्फ में शव सुरक्षित था, लेकिन बर्फ से बाहर निकालने के बाद शव गलने लगा है, जिससे उसे सुरक्षित किया जा रहा है।

42 साल तक इंतजार करती रही पत्नी
नारायण सिंह की पत्नी बसंती देवी ने 42 साल तक अपने पति का इंतजार किया। वह हमेशा उनके वापस आने की उम्मीद लगाए बैठी थीं। लेकिन 2011 में उनका निधन हो गया।

शहीद के साथी याद करते हैं
नारायण सिंह के साथी रहे कोलपुड़ी के सूबेदार गोविंद सिंह, सूबेदार हीरा सिंह बिष्ट और भवान सिंह नेगी ने बताया कि नारायण सिंह बहुत सौम्य स्वभाव के थे। बचपन से ही सेना के प्रति उनका जुनून था। 1965 के भारत-पाक युद्ध में भी उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

शहीद को दी जाएगी अंतिम विदाई
नारायण सिंह का पार्थिव शरीर बृहस्पतिवार तक गांव पहुंचने की संभावना है। गांव में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। पूरे गांव में शोक की लहर है।

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