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…तो CM तीरथ जल्द देंगे त्यागपत्र ? BJP क्या बोली पढ़ें

…तो CM तीरथ जल्द देंगे त्यागपत्र ? BJP क्या बोली पढ़ें

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by June 23, 2021 News

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को 10 सितंबर से पहले उत्तराखंड विधानसभा की सदस्यता लेनी है अन्यथा वह मुख्यमंत्री नहीं रह पाएंगे। वहीं 10 सितंबर तक राज्य में किसी तरह के उपचुनाव होने को लेकर संशय बरकरार है। दरअसल संवैधानिक नियमों का हवाला देकर यह कहा जा रहा है कि राज्य में अब उप चुनाव नहीं हो सकते हैं इसलिए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को 10 सितंबर से पहले मुख्यमंत्री का पद छोड़ना पड़ेगा। हालांकि अब इस पर बीजेपी की प्रतिक्रिया आई है, बीजेपी का दावा है कि रावत जरूर चुनाव लड़ेंगे, बीजेपी ने क्या कहा आगे पढ़िए….

दरअसल लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 151 (क) का हवाला देकर कहा जा रहा है कि किसी रिक्त विधानसभा का शेष कार्यकाल एक वर्ष से कम होने के कारण उपचुनाव नहीं हो सकता। ऐसे में 22 अप्रैल 2021 को भाजपा विधायक गोपाल सिंह रावत के निधन से खाली हुई गंगोत्री सीट और इधर 13 जून को दिवंगत हुई इंदिरा ह्रदयेश की हल्द्वानी विधानसभा सीट पर उपचुनाव नहीं हो सकता है। क्योंकि 23 मार्च 2022 तक के लिए गठित मौजूदा विधानसभा के लिए इन दोनों विधानसभाओं के रिक्त रहने का समय एक वर्ष से कम बचा रह गया था। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री रावत के पास सल्ट सीट से चुनाव लड़ने का विकल्प था, परंतु उन्होंने इस सीट से चुनाव नहीं लड़ा। पर बीजेपी का दावा है कि राज्य में उपचुनाव हो सकते हैं, और मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत उप चुनाव लड़ेंगे। पढ़िए आगे बीजेपी ने ऐसा क्यों कहा….

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने कहा कि 164 के तहत राज्यपाल मुख्यमंत्री की नियुक्ति करता है और मुख्यमंत्री की सलाह पर मंत्रियो की नियुक्ति करता है। उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 164 के पैरा 4 में स्पष्ट है कि कोई मंत्री जो 6 माह की अवधि तक राज्य के विधान मंडल दल का सदस्य नही हैं उसे 6 माह के भीतर चुनाव लड़ना होगा और ऐसा न होने पर वह सदस्य नहीं रहेगा। मुख्यमंत्री ने जिस दिन शपथ ली उस दिन एक वर्ष से अधिक समय चुनाव के लिए था इसलिए हम 151 की श्रेणी से बाहर हैं। अभी 6 माह भी नहीं हुए हैं और सीट भी खाली है। चुनाव कराना निर्वाचन आयोग की जिम्मेदारी है और उसे तत्काल चुनाव कराना चाहिए। राज्यपाल ने विधिवत रूप से शपथ कराई है। जिस संविधान के तहत शपथ हुई है उसी के तहत हमें चुनाव लड़ना है। 151 के तहत आशंका जाहिर करने वाले मित्रों को अनुच्छेद 164 का भी अध्ययन करना चाहिए। कांग्रेस की ओर से इस मुद्दे को हवा देने पर उन्होंने कहा कि कांग्रेस की बौखलाहट हार को लेकर है। सल्ट के सेमीफाइनल के बाद अब उसे कुछ नहीं सूझ रहा है। उन्होंने कहा कि भाजपा पूरी तरह से तैयार हैं और कांग्रेस को एक बड़ी हार का सामना करना पडेगा। भाजपा कुछ दिन बाद चुनाव संयोजक भी घोषित करेगी और संगठन स्तर पर पूरी तैयारी है। कुल मिलाकर राज्य में इस मसले पर सियासत काफी तेज हो गई है, गेंद पूरी तरह से चुनाव आयोग के पाले में है। देखना है कि चुनाव आयोग 10 सितंबर से पहले राज्य में क्या किसी तरह के उपचुनाव करवाता है, अगर 10 सितंबर से पहले राज्य में उपचुनाव नहीं होते तो मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को अपनी कुर्सी छोड़नी पड़ेगी। इसके बाद बीजेपी राज्य में किसी और को मुख्यमंत्री बना सकती है, इस तरह के कयास भी लगाए जा रहे हैं कि ऐसा नहीं होने की स्थिति में विधानसभा भंग कर विधानसभा चुनाव तक राज्य में राष्ट्रपति शासन भी लगाया जा सकता है।

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