Skip to Content

Uttarakhand जंगल पर्यटन की बुकिंग के लिए होगा सिंगल विन्डो सिस्टम, मुख्यमंत्री ने हरक सिंह के मंत्रालयों की समीक्षा की

Uttarakhand जंगल पर्यटन की बुकिंग के लिए होगा सिंगल विन्डो सिस्टम, मुख्यमंत्री ने हरक सिंह के मंत्रालयों की समीक्षा की

Closed
by November 4, 2020 News

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने मुख्यमंत्री आवास में कैबिनेट मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत के साथ वन, सेवायोजन एवं कौशल विकास, श्रम तथा आयुष विभाग की समीक्षा की।
वन विभाग वन विभाग की समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि उत्तराखण्ड के वन्यजीव संरक्षित क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए बुकिंग के लिए सिंगल विंडो सिस्टम शुरू किया जाय। ऑनलाईन बुकिंग के लिए एप्प विकसित किया जाए। लकड़ी एवं आरबीएम के लिए लोगों को एप्लाई करने के बाद निश्चित समयावधि में अनुमति मिल जाय, इसके लिए लोगों को अनावश्यक परेशानी न हो। लोगों के हक-हकूकों का पूरा ध्यान रखा जाय। इसको सेवा के अधिकार के तहत सम्मिलित किया जाय। व्यावसाईयों के लिए जो रवन्ने जारी हो रहे हैं, उनकी चैक पोस्ट पर नियमित चैकिंग की जाए। चैक पोस्टों पर कैमरे की व्यवस्था एवं पूरी प्रक्रिया ऑनलाईन की जाय। वन विभाग द्वारा जहां भी वृक्षारोपण करवाया जा रहा है,उन वृक्षों की सुरक्षा के लिए सुनियोजित कार्ययोजना बनाई जाय। हमारा उद्देश्य केवल वृक्षारोपण तक सीमित न हो, बल्कि इनकी सुरक्षा के लिए भी जिम्मेदारी तय की जाय। वृक्षारोपण एवं उनकी सुरक्षा के लिए जन सहयोग लिया जाय। वन विभाग द्वारा राजस्व वृद्धि पर विशेष ध्यान दिया जाय। औषधीय आधारित ग्रोथ सेंटर विकसित करने के लिए योजना बनाई जाय। वन विभाग की विभिन्न योजनाओं के तहत कार्य करने वाले श्रमिकों का भुगतान समय पर हो। वनाग्नि को रोकने के लिए समुचित प्रयासों की जरूरत है।
कैबिनेट मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने कहा कि कार्बेट टाइगर रिजर्व के अन्तर्गत ढेला ‘रेस्क्यू सेन्टर’ एवं पाखरो ‘टाइगर सफारी’ की स्थापना का कार्य प्रगति पर है, गर्जिया टूरिज्म जोन की स्थापना की जा रही है। धनगढ़ी म्यूजियम का उच्चीकरण किया जा रहा है। पिछले तीन सालों में प्रतिवर्ष औसतन 1500 हेक्टेयर क्षेत्र में वृक्षारोपण किया गया। प्रदेश में 14.77 प्रतिशत क्षेत्र संरक्षित है, जो राष्ट्रीय औसत से तीन गुना है। राज्य में 2006 में बाघों की संख्या 178 थी, जो 2018 तक बढ़कर 442 हो गई है। हाथियों की संख्या 2017 तक 1839 थी, जो अब बढ़कर 2026 हो गई है। वर्षा जल संरक्षण की दिशा में 02 वर्षों में लगभग 68.37 करोड़ ली0 वर्षा जलसंचय की संरचनाओं का निर्माण किया गया। इस वर्ष 41.00 करोड़ ली0 जल संचय का लक्ष्य रखा गया है। जल स्रोतों हेतु Springshed Management Consortium का गठन किया गया है। 68 जल धाराओं का पुनरोद्धार हेतु कार्य प्रगति पर है। वन विभाग द्वारा पिछले तीन सालों में विभिन्न योजनाओं के तहत 1 लाख 20 हजार लोगों को रोजगार दिया गया। जायका परियोजना के तहत ग्रोथ सेन्टर के माध्यम से संबंधित क्लस्टर फेडरेशन एवं स्वयं सहायता समूहों को तकनीकी प्रशिक्षण, मूल्य संवर्धन, प्रसंस्करण, उत्पाद विकास एवं पैकेजिंग सम्बंधित कार्यों को फैसिलिटेट किया जा रहा है। वर्ष 2020-21 में 5 तथा वर्ष 2021-22 में 10 ग्रोथ सेन्टर्स की स्थापना का लक्ष्य रखा गया है।

आयुष विभाग- आयुष विभाग की समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने निर्देश दिये कि आयुष विभाग द्वारा लोगों को योग, प्रणायाम डाइट चार्ट एवं आयुष से संबधित विभिन्न गतिविधियों के बारे में विभिन्न माध्यमों से जागरूक किया जाय। कोविड के दौरान आयुष और होम्योपेथी की ओर लोगों का रूझान बढ़ा है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिये कि प्रयास किये जाय कि अधिकांश जगह पर लोगों को आयुष, होम्योपैथी एवं ऐलोपैथिक सुविधाएं मिल जाये। जिन जनपदों में आयुष विभाग का अपना भवन नहीं हैं, जिलाधिकारियों के माध्यम से लंबे समय से खाली सरकारी भवनों या स्कूलों में व्यवस्था की जाय। चरक डांडा में अन्तरराष्ट्रीय शोध संस्थान के लिए जल्द डीपीआर बनाई जाय। आयुष मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने कहा कि कोविड के दौरान आयुष विभाग द्वारा 02 लाख से अधिक काढ़ा के रूप में सुरक्षा किट वितरित की गई। आयुष विभाग द्वारा प्री कोविड और पोस्ट कोविड किट तैयार की गई है।


सेवायोजन एवं कौशल विकास- सेवायोजन एवं कौशल विकास की समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि जिन 25 आईटीआई को अपग्रेड किया जा रहा है। उनमें प्रशिक्षण की बेहतर व्यवस्था के साथ ही प्रशिक्षण लेने वाले विद्यार्थियों के प्रतिभा प्रदर्शन एवं प्रोत्साहित करने के लिए प्रोडक्शन एवं मार्केटिंग की व्यवस्था भी की जाय। समय एवं परिस्थितियों के साथ आईटीआई के स्वरूप में बदलाव लाना होगा। स्किल एवं लाइवलीहुड सेंटरों की मजबूती की दिशा में कार्य किये जाय। आधुनिकतम तकनीकि के साथ अभिनव प्रयोगों पर ध्यान देने की जरूरत है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह भी सुनिश्चित किया जाय कि उत्तराखण्ड के औद्योगिक संस्थानों में 70 प्रतिशत स्थानीय लोगों को रोजगार मिले। इसके लिए उद्योग विभाग की जिम्मेदारी तय की जाय।

श्रम विभाग- श्रम विभाग की समीक्षा के दौरान जानकारी दी गई कि वर्ष 2017 में उत्तराखण्ड दुकान और स्थापन अधिनियम में संशोधन किया गया जिसके अंतर्गत दस से कम कर्मकार नियोजित करने वाले दुकानों एवं स्थापनां को पंजीयन की आवश्यकता नहीं रह गई है। पंजीयन एक बार किया जायेगा। नवीनीकरण की आवश्यकता को समाप्त कर दिया गया है। कारखाना अधिनियम, 1948 के अन्तर्गत महिला कर्मकारों को भी कारखानों में तीनों पालियों में कार्य करने की छूट दी गई है। कारखाना अधिनियम, 1948 के अन्तर्गत कारखानों के लाइसेंस का नवीनीकरण 10 वर्ष तक किये जाने की व्यवस्था की गई है, जिससे व्यापार में सुगमता आई है। वैश्विक महामारी कोविड-19 के दृष्टिगत राज्य में स्थापित समस्त कारखानों को 12-12 घण्टे की दो पालियों में कार्य करने की अनुमति दी गई जिसमें 4 घण्टे ओवरटाईम के रखते हुये नियमानुसार भुगतान की व्यवस्था की गई। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के अन्तर्गत किये गये सुधारों में विभिन्न श्रम अधिनियमों/कारखाना तथा ब्वॉयलर अधिनियम के अंतर्गत पंजीकरण तथा नवीनीकरण का समस्त कार्य ऑनलाईन किया जा रहा है। कारखानों में थर्ड पार्टी निरीक्षण/ऑडिट की व्यवस्था शुरू की गई है। विभागीय वेबसाईट को उद्योग विभाग के सिंगल विंडों सिस्टम तथा भारत सरकार के श्रम सुविधा पोर्टल के साथ इंटीग्रेट किया गया है, इस अवसर पर पलायन आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. एस.एस.नेगी, मुख्यमंत्री के तकनीकि सलाहकार डॉ. नरेन्द्र सिंह, प्रमुख सचिव आनन्द वर्द्धन, सचिव अमित नेगी, हरबंस सिंह चुघ, शैलेष बगोली, डॉ. रणजीत सिन्हा, प्रमुख वन संरक्षक श्रीमती रंजना काला, मुख्यमंत्री के विशेष सचिव डॉ. पराग मधुकर धकाते एवं संबंधित विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।

अत्याधुनिक तकनीक से सुसज्जित उत्तराखंड के समाचारों का एकमात्र गूगल एप फोलो करने के लिए क्लिक करें…. Mirror Uttarakhand News

( उत्तराखंड की नंबर वन न्यूज, व्यूज, राजनीति और समसामयिक विषयों की वेबसाइट मिरर उत्तराखंड डॉट कॉम से जुड़ने और इसके लगातार अपडेट पाने के लिए नीचे लाइक बटन को क्लिक करें)

Previous
Next
Loading...
Follow us on Social Media