
सामान्य वर्ग को 10% आरक्षण विधेयक के बाद गरीबों को घाटा और अमीरों को हो सकता है फायदा
मोदी सरकार द्वारा सवर्णों को दिए गए आरक्षण का फायदा गरीबों को कम अमीरों को ज्यादा हो सकता है, राष्ट्रीय सैंपल सर्वेक्षण संस्थान के आंकड़ों के मुताबिक देश में 95 प्रतिशत परिवारों की सालाना आय आठ लाख रुपये से कम है। एक हजार वर्गफुट से कम भूमि पर मकान वालों की संख्या 90 प्रतिशत है। इसी तरह कृषि जनगणना के अनुसार 87 प्रतिशत किसान के पास कृषि योग्य भूमि का रक़बा पांच एकड़ से कम है।

इस आधार पर देश की लगभग 90% आबादी आर्थिक रूप से कमजोर है जिन्हें आरक्षण दिया जाएगा , इसमें से 50% आरक्षण दलितों और पिछड़ों को पहले ही दिया जाता रहा है । इसका मतलब यह हुआ कि देश की 40 फ़ीसदी सवर्ण आबादी अब इस विधेयक के पास होने के बाद आरक्षण की अधिकारी होगी । अभी तक यह 40% सामान्य वर्ग के लोग शिक्षण संस्थानों या नौकरियों में 50.5% सीटों पर आवेदन करते थे और आरक्षण का दावा करते थे।

अब 10 फ़ीसदी आरक्षण विधेयक पास होने के बाद यह 40 फ़ीसदी सामान्य वर्ग के लोग 10 फ़ीसदी सीटों पर अपना दावा करेंगे, जाहिर सी बात है सीटें कम होंगी और लोग ज्यादा तो जो मेरिट लिस्ट बनेगी वह काफी ऊंची जाएगी और उसमें काफी संघर्ष होगा। वहीं बचे हुए 10% सामान्य वर्ग के अमीर लोग जो आर्थिक रूप से पिछड़ों की श्रेणी में नहीं आते ,उनके लिए 40.5% सीट उपलब्ध होंगे, यानी की सीट ज्यादा और लोग कम, यहां मेरिट लिस्ट भी ऊंची नहीं जाएगी और संघर्ष भी कम होगा।

सुप्रीम कोर्ट के दिए गए फैसले के अनुसार अगर आप किसी आरक्षित वर्ग में अपने लिए सीट का दावा करते हैं तो आप फिर उसके बाद सामान्य वर्ग में दावे के अधिकारी नहीं होंगे । ऐसे में यह साफ है कि अगर देश के सामान्य वर्ग के सभी आर्थिक रूप से पिछड़े लोग आरक्षित श्रेणी में शिक्षण संस्थानों या नौकरी में सीट का दावा करेंगे तो इसका फायदा उन 10% लोगों को होगा जो सामान्य वर्ग के हैं और किसी भी तरह से आरक्षण की श्रेणी में फिट नहीं बैठते।
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