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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को ‘ऑर्डर ऑफ ओमान’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया, पीएम मोदी ने मस्कट में भारत-ओमान बिजनेस फोरम को भी संबोधित किया

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को ‘ऑर्डर ऑफ ओमान’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया, पीएम मोदी ने मस्कट में भारत-ओमान बिजनेस फोरम को भी संबोधित किया

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by December 18, 2025 News

18 December. 2025. ओमान के सुल्तान हैथम बिन तारिक ने भारत-ओमान संबंधों में असाधारण योगदान और दूरदर्शी नेतृत्व के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को ‘ऑर्डर ऑफ ओमान’ पुरस्कार से सम्मानित किया।

प्रधानमंत्री ने इस सम्मान को दोनों देशों की सदियों पुरानी मित्रता को समर्पित किया और इसे भारत और ओमान के 1.4 बिलियन लोगों के बीच के स्नेह और प्रेम का प्रतीक बताया।

प्रधानमंत्री की ओमान यात्रा के दौरान, दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों के 70 वर्ष पूरे होने के अवसर पर, इस सम्मान का प्रदान किया जाना इस अवसर और रणनीतिक साझेदारी को विशेष महत्व देता है।

सुल्तान काबूस बिन सईद द्वारा 1970 में स्थापित, ऑर्डर ऑफ ओमान चुनिंदा वैश्विक नेताओं को सार्वजनिक जीवन और द्विपक्षीय संबंधों में उनके योगदान के लिए प्रदान किया जाता है।

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने आज मस्कट में सुल्तान हैथम बिन तारिक के साथ द्विपक्षीय बैठक की। शाही महल पहुंचने पर महामहिम सुल्तान ने प्रधानमंत्री की गर्मजोशी से अगवानी की और उनका रस्‍मी स्वागत किया।

दोनों नेताओं ने व्‍यक्तिगत तथा प्रतिनिधिमंडल स्तर की बैठकों में मुलाकात की। उन्होंने बहुआयामी भारत–ओमान रणनीतिक साझेदारी की व्यापक समीक्षा की और द्विपक्षीय संबंधों में निरंतर हो रही प्रगति की सराहना की। उन्होंने इस बात का भी उल्लेख किया कि यह यात्रा भारत–ओमान संबंधों के लिए विशेष महत्व रखती है, क्योंकि दोनों देश इस वर्ष राजनयिक संबंधों की स्थापना के 70 वर्ष पूरे होने का उत्सव मना रहे हैं।

उन्होंने समग्र आर्थिक साझेदारी समझौते (सीईपीए) पर हस्ताक्षर होने का स्वागत करते हुए इसे द्विपक्षीय संबंधों में एक ऐतिहासिक उपलब्धि बताया और कहा कि इससे रणनीतिक साझेदारी को बड़ा प्रोत्साहन मिलेगा। द्विपक्षीय व्यापार के 10 बिलियन डॉलर आँकड़ा पार कर जाने तथा दोतरफा निवेश प्रवाह में प्रगति होने पर संतोष व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि सीईपीए द्विपक्षीय व्यापार और निवेश को उल्लेखनीय रूप से बढ़ावा देगा, रोजगार के अवसर सृजित करेगा तथा दोनों देशों में अनेक नए अवसरों के द्वार खोलेगा।

दोनों नेताओं ने दीर्घकालिक ऊर्जा व्यवस्थाओं, नवीकरणीय ऊर्जा उद्यमों तथा हरित हाइड्रोजन और हरित अमोनिया परियोजनाओं के माध्यम से ऊर्जा सहयोग पर नए सिरे से जोर देने के बारे में भी चर्चा की। प्रधानमंत्री ने अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन में ओमान के शामिल होने की सराहना की और उन्हें आपदा-रोधी अवसंरचना गठबंधन तथा वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया।

प्रधानमंत्री ने इस बात का उल्लेख किया कि दोनों देश कृषि विज्ञान, पशुपालन, जलीय कृषि तथा श्रीअन्न की खेती के क्षेत्रों सहित कृषि सहयोग से लाभ उठा सकते हैं।

शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग के महत्व को स्वीकार करते हुए दोनों नेताओं ने कहा कि संकाय सदस्यों और शोधकर्ताओं का आदान-प्रदान दोनों देशों के लिए पारस्परिक रूप से लाभकारी सिद्ध होगा।

दोनों नेताओं ने खाद्य सुरक्षा, विनिर्माण, डिजिटल प्रौद्योगिकियों, महत्वपूर्ण खनिजों, लॉजिस्टिक्स, मानव संसाधन विकास तथा अंतरिक्ष क्षेत्र में सहयोग के बारे में भी चर्चा की।

वित्तीय सेवाओं के क्षेत्र में उन्होंने यूपीआई और ओमान की डिजिटल भुगतान प्रणाली के बीच सहयोग, रुपे कार्ड को अपनाने तथा स्थानीय मुद्राओं में व्यापार पर चर्चा की।

प्रधानमंत्री ने कहा कि उर्वरक और कृषि अनुसंधान दोनों पक्षों के लिए समान रूप से लाभकारी क्षेत्र हैं तथा उन्‍हें संयुक्त निवेश सहित इन क्षेत्रों में अधिक सहयोग के लिए काम करना चाहिए।

दोनों नेताओं ने समुद्री क्षेत्र सहित रक्षा और सुरक्षा सहयोग को और अधिक मजबूत करने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहरायी।

प्रधानमंत्री ने ओमान में भारतीय समुदाय के कल्याण के प्रति समर्थन के लिए महामहिम का आभार प्रकट किया। उन्होंने कहा कि समुद्री धरोहर, भाषा संवर्धन, युवा आदान-प्रदान और खेल संबंधों के क्षेत्रों में अनेक नई द्विपक्षीय पहलों से लोगों के बीच पारस्‍परिक संबंध और मजबूत होंगे। उन्होंने दोनों देशों की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर पर भी चर्चा की और समुद्री संग्रहालयों के बीच सहयोग, कलाकृतियों और विशेषज्ञता के आदान-प्रदान के महत्व को रेखांकित किया।

नेताओं ने ओमान विज़न 2040 और 2047 तक विकसित भारत बनने के भारत के लक्ष्य के बीच तालमेल का स्वागत किया और अपने-अपने लोगों की आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए एक-दूसरे के प्रति समर्थन व्यक्त किया।

नेताओं ने क्षेत्रीय और वैश्विक घटनाक्रमों पर भी विचार-विमर्श किया और क्षेत्रीय शांति एवं स्थिरता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहरायी ।

इस यात्रा के अवसर पर, दोनों पक्षों ने सीईपीए के अलावा समुद्री धरोहर, शिक्षा, कृषि और श्रीअन्न की खेती के क्षेत्रों में समझौता ज्ञापन (एमओयू)/व्यवस्थाओं पर भी हस्ताक्षर किए।

प्रधानमंत्री की ओमान यात्रा की उपलब्धियों की सूची

  1. व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौता

– घनिष्ठ आर्थिक और वाणिज्यिक जुड़ाव की मजबूती एवं उसका विकास।

– व्यापार बाधाओं को कम करके और एक स्थिर ढांचा बनाकर दोनों देशों के बीच व्यापार में वृद्धि।

– अर्थव्यवस्था के सभी प्रमुख क्षेत्रों में अवसरों को खोलना, आर्थिक विकास को बढ़ावा, रोजगार सृजन और दोनों देशों के बीच निवेश प्रवाह को बढ़ावा।

2)        सामुद्रिक विरासत और संग्रहालयों के क्षेत्र में समझौता 

– लोथल में राष्ट्रीय सामुद्रिक विरासत परिसर सहित सामुद्रिक संग्रहालयों के समर्थन हेतु सहयोगात्मक साझेदारी की स्थापना।

– साझा सामुद्रिक विरासत को बढ़ावा, पर्यटन को बढ़ावा और द्विपक्षीय सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करने के लिए कलाकृतियों और विशेषज्ञता के आदान-प्रदान, संयुक्त प्रदर्शनियों, अनुसंधान और क्षमता निर्माण की सुविधा।

3) कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में समझौता 

– कृषि क्षेत्र के साथ-साथ पशुपालन और मत्स्य पालन के संबद्ध क्षेत्रों में फ्रेमवर्क अम्ब्रेला डॉक्यूमेंट।

– कृषि विज्ञान और प्रौद्योगिकी में प्रगति, बागवानी, एकीकृत कृषि प्रणालियों और सूक्ष्म सिंचाई के क्षेत्र में सहयोग।

4) उच्च शिक्षा के क्षेत्र में समझौता 

– मानव और सामाजिक-आर्थिक विकास संबंधी लक्ष्यों को आगे बढ़ाने के लिए आवश्यक नए ज्ञान और नवीन प्रणालियों को तैयार करने के लिए पारस्परिक हित के क्षेत्रों में संयुक्त अनुसंधान, विशेष रूप से अनुप्रयुक्त अनुसंधान से जुड़े संकाय, अनुसंधानकर्ताओं और विद्वानों के आदान-प्रदान की सुविधा।

5) श्री अन्न (मिलेट) की खेती और कृषि में सहयोग के कार्यान्वयन हेतु कार्यक्रम- खाद्य नवाचार

– श्री अन्न के उत्पादन, अनुसंधान और संवर्धन को आगे बढ़ाने के लिए भारत की वैज्ञानिक विशेषज्ञता और ओमान की अनुकूल कृषि-जलवायु की स्थितियों में सहयोग हेतु ढांचें की स्थापना। 

6) सामुद्रिक सहयोग पर संयुक्त विजन दस्तावेज को अपनाना

– क्षेत्रीय सामुद्रिक सुरक्षा, नीली अर्थव्यवस्था और समुद्री संसाधनों के सतत उपयोग के क्षेत्र में सहयोग को मजबूती।

वहीं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज मस्कट में भारत-ओमान बिजनेस फोरम को संबोधित किया। ओमान के वाणिज्य, उद्योग और निवेश संवर्धन मंत्री कैस अल यूसुफ, ओमान चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष शेख फैसल अल रवास, भारत के वाणिज्य और उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल और सीआईआई के अध्यक्ष श्री राजीव मेमानी ने बैठक में भाग लिया। फोरम में ऊर्जा, कृषि, लॉजिस्टिक, इंफ्रास्ट्रक्चर, विनिर्माण, स्वास्थ्य, वित्तीय सेवाओं, हरित विकास, शिक्षा और कनेक्टिविटी के क्षेत्र में दोनों देशों के प्रमुख व्यापार प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने मांडवी से मस्कट तक दोनों देशों के बीच सदियों पुराने समुद्री व्यापार संबंधों पर प्रकाश डाला जो आज जीवंत वाणिज्यिक आदान-प्रदान का आधार हैं। उन्होंने कहा कि 70 वर्षों के राजनयिक संबंध सदियों से बने विश्वास और मित्रता का प्रतिनिधित्व करते हैं। प्रधानमंत्री ने उद्योगपतियों से भारत और ओमान के बीच व्यापक आर्थिक साझेदारी (सीईपीए) की पूरी क्षमता का उपयोग करने का आह्वान किया, जिसे उन्होंने भारत-ओमान साझा भविष्य का खाका बताया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सीईपीए द्विपक्षीय व्यापार और निवेश संबंधों में नई ऊर्जा का संचार करेगी और आपसी विकास, नवाचार और रोजगार के अवसर पैदा करेगी।

पिछले 11 वर्षों में भारत की आर्थिक सफलता पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि देश अगली पीढ़ी के सुधारों, नीतिगत पूर्वानुमेयता, सुशासन और उच्च निवेशक विश्वास के बल पर दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है। उन्होंने यह भी कहा कि वैश्विक अनिश्चितता के माहौल में पिछली तिमाही में भारत की 8 प्रतिशत से अधिक उच्च वृद्धि दर  इसकी मजबूत प्रकृति और अंतर्निहित ताकत की अभिव्यक्ति है। उन्होंने कहा कि भारत “जीवन की सुगमता” और “कारोबारी सुगमता” को बढ़ावा देने के लिए विश्व स्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर, लॉजिस्टिक, कनेक्टिविटी, विश्वसनीय आपूर्ति श्रृंखला, विनिर्माण क्षमता और हरित विकास बनाने के लिए तीव्र और व्यापक तौर पर काम कर रहा है। उन्होंने ओमानी व्यवसायों को ऊर्जा, तेल और गैस, पेट्रोकेमिकल और उर्वरक के पारंपरिक क्षेत्रों से परे देखने और हरित ऊर्जा, सौर पार्क, ऊर्जा भंडारण, स्मार्ट ग्रिड, कृषि-तकनीक, फिनटेक, एआई और साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में अवसरों का पता लगाने के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने व्यापार साझेदारी को भविष्य के लिए तैयार करने के लिए भारत-ओमान एग्री इनोवेशन हब और भारत-ओमान इनोवेशन ब्रिज के निर्माण का प्रस्ताव रखा। प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि ये केवल विचार नहीं हैं, बल्कि निवेश करने, नवाचार करने और एक साथ भविष्य का निर्माण करने के लिए निमंत्रण हैं।

प्रधानमंत्री ने इस कार्यक्रम में व्यापार जगत के दिग्गजों की जोरदार उपस्थिति की सराहना करते हुए उनसे उद्यम को नीति के साथ जोड़ने और सीईपीए को उड़ान भरने का आह्वान किया। उन्होंने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा कि भारत और ओमान न केवल करीबी पड़ोसी हैं, बल्कि रणनीतिक साझेदार हैं जो क्षेत्र और उससे आगे स्थिरता, विकास और साझा समृद्धि के लिए प्रतिबद्ध हैं।

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