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राष्ट्रीय श्रम सम्मेलन में बोले पीएम मोदी, कोरोना काल में सरकार की योजनाओं से डेढ़ करोड़ लोगों का रोजगार बचा, और क्या कहा पढ़िए

राष्ट्रीय श्रम सम्मेलन में बोले पीएम मोदी, कोरोना काल में सरकार की योजनाओं से डेढ़ करोड़ लोगों का रोजगार बचा, और क्या कहा पढ़िए

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by August 25, 2022 News

25 August. 2022. New Delhi. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय श्रम सम्मेलन को संबोधित किया इस सम्मेलन में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के पूर्व मंत्री मौजूद थे सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इस 15 अगस्त को देश ने अपनी आजादी के 75 वर्ष पूरे किए हैं, आजादी के अमृतकाल में प्रवेश किया है। अमृतकाल में विकसित भारत के निर्माण के लिए हमारे जो सपने हैं, जो आकांक्षाएँ हैं, उन्हें साकार करने में भारत की श्रम शक्ति की बहुत बड़ी भूमिका है। इसी सोच के साथ देश संगठित और असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले करोड़ों श्रमिक साथियों के लिए निरंतर काम कर रहा है। प्रधानमंत्री श्रम-योगी मानधन योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना, जैसे अनेक प्रयासों ने श्रमिकों को एक तरह का सुरक्षा कवच दिया है। ऐसी योजनाओं की वजह से असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के मन में ये भाव जगा है कि देश उनके श्रम का भी उतना ही सम्मान करता है। हमें केंद्र और राज्य के ऐसे सभी प्रयासों को पूरी संवेदनशीलता से एक साथ लाना होगा, ताकि श्रमिकों को उनका अधिक से अधिक लाभ मिल सके। देश के इन प्रयासों का कितना प्रभाव हमारी अर्थव्यवस्था पर पड़ा है, इसके साक्षी हम कोरोनाकाल में भी बने हैं। ‘इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम’ इसकी वजह से लाखों छोटे उद्योगों को मदद मिली है। एक अध्ययन के मुताबिक, इस स्कीम की वजह से करीब डेढ़ करोड़ लोगों का रोजगार जाना था, वो नहीं गया, वो रोजगार बच गया। कोरोना के दौर में EPFO से भी कर्मचारियों को बड़ी मदद मिली, हजारों करोड़ रुपए कर्मचारियों को एडवांस के तौर पर दिए गए। और साथियों, आज हम देख रहे हैं कि जैसे जरूरत के समय देश ने अपने श्रमिकों का साथ दिया, वैसे ही इस महामारी से उबरने में श्रमिकों ने भी पूरी शक्ति लगा दी है। आज भारत फिर से दुनिया की सबसे तेजी से आगे बढ़ रही अर्थव्यवस्था बना है, तो इसका बहुत बड़ा श्रेय हमारे श्रमिकों को ही जाता है।देश के हर श्रमिक को सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाने के लिए, किस तरह काम हो रहा है, उसका एक उदाहरण ‘ई-श्रम पोर्टल’ भी है। ये पोर्टल पिछले साल शुरू किया गया था, ताकि असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए आधार से जुड़ा नेशनल डेटाबेस बन सके। मुझे खुशी है कि इस एक साल में ही, इस पोर्टल से 400 अलग-अलग क्षेत्रों में काम करने वाले करीब 28 करोड़ श्रमिक जुड़ चुके हैं। विशेष रूप से इसका लाभ कन्स्ट्रकशन वर्कर्स को, प्रवासी मजदूरों को, और डॉमेस्टिक वर्कर्स को मिल रहा है। अब इन लोगों को भी Universal Account Number जैसी सुविधाओं का लाभ मिल रहा है। श्रमिकों में रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए, ‘ई-श्रम पोर्टल’ को National Career Service, असीम पोर्टल और उद्यम पोर्टल से भी जोड़ा जा रहा है। मोदी ने इस कॉन्फ्रेंस में उपस्थित लोगों से आग्रह किया कि नेशनल पोर्टल्स के इंटिग्रेशन के साथ-साथ हम स्टेट पोर्टल्स को भी साथ में integrate करने पर जरूर काम करें। इससे देश के सभी श्रमिकों के लिए नए अवसर खुलेंगे, सभी राज्यों को देश की श्रमशक्ति का और प्रभावी लाभ मिलेगा।

सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि बीते आठ वर्षों में हमने देश में गुलामी के दौर के, और गुलामी की मानसिकता वाले क़ानूनों को खत्म करने का बीड़ा उठाया है। देश अब ऐसे लेबर क़ानूनों को बदल रहा है, रीफॉर्म कर रहा है, उन्हें सरल बना रहा है। इसी सोच से 29 लेबर क़ानूनों को 4 सरल लेबर कोड्स में बदला गया है। इससे हमारे श्रमिक भाई-बहन न्यूनतम सैलरी, रोजगार की सुरक्षा, सामाजिक सुरक्षा और स्वास्थ्य सुरक्षा जैसे विषयों पर और सशक्त होंगे। नए लेबर कोड्स में Inter-State migrant labours की परिभाषा को भी सुधारा गया है। हमारे प्रवासी श्रमिक भाई-बहनों को ‘वन नेशन, वन राशन कार्ड’ जैसी योजना से भी बहुत मदद मिली है। देश का श्रम मंत्रालय अमृतकाल में वर्ष 2047 के लिए अपना विज़न भी तैयार कर रहा है। भविष्य की जरूरत है- Flexible work places, work from home ecosystem. भविष्य की जरूरत है- Flexi work hours. हम flexible work place जैसी व्यवस्थाओं को महिला श्रमशक्ति की भागीदारी के लिए अवसर के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं।

इस मौके पर पीएम ने कहा कि हमारे बिल्डिंग एंड कंस्ट्रक्शन वर्कर्स, हमारी वर्कफोर्स का अभिन्न अंग हैं। उनके लिए जिस ‘सेस’ की व्यवस्था की गई है, उसका पूरा इस्तेमाल जरूरी है। मुझे बताया गया है कि इस सेस में से करीब 38 हजार करोड़ रुपए अभी भी राज्यों द्वारा इस्तेमाल नहीं हो पाए हैं। ESIC, आयुष्मान भारत योजना के साथ मिलकर कैसे ज्यादा से ज्यादा श्रमिकों को लाभ पहुंचा सकता है, इस ओर भी हमें ध्यान देना होगा।

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