
Mann Ki Baat, पीएम मोदी बोले पहलगाम हमला आतंक के सरपरस्तों की हताशा, दोषियों और साजिश रचने वालों को कठोरतम जवाब दिया जाएगा
27 April. 2025. New Delhi. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के जरिए देशवासियों को संबोधित किया, इस दौरान पीएम मोदी ने कश्मीर में हुए आतंकवादी हमले को लेकर कहा कि इस हमले के दोषियों और साजिश रचने वालों को कठोरतम् जवाब दिया जाएगा, और क्या कहा प्रधानमंत्री ने, आगे पढ़िए कार्यक्रम का मूल पाठ….
मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार। आज जब मैं आपसे ‘मन की बात’ कर रहा हूँ, तो मन में गहरी पीड़ा है। 22 अप्रैल को पहलगाम में हुई आतंकी वारदात ने देश के हर नागरिक को दुख पहुँचाया है। पीड़ित परिवारों के प्रति हर भारतीय के मन में गहरी संवेदना है। भले वो किसी भी राज्य का हो, वो कोई भी भाषा बोलता हो, लेकिन वो उन लोगों के दर्द को महसूस कर रहा है, जिन्होंने इस हमले में अपने परिजनों को खोया है। मुझे ऐहसास है, हर भारतीय का खून, आतंकी हमले की तस्वीरों को देखकर खौल रहा है। पहलगाम में हुआ ये हमला, आतंक के सरपरस्तों की हताशा को दिखाता है, उनकी कायरता को दिखाता है। ऐसे समय में जब कश्मीर में शांति लौट रही थी, स्कूल-कॉलेजों में एक vibrancy थी, निर्माण कार्यों में अभूतपूर्व गति आई थी, लोकतंत्र मजबूत हो रहा था, पर्यटकों की संख्या में रिकॉर्ड बढ़ोतरी हो रही थी, लोगों की कमाई बढ़ रही थी, युवाओं के लिए नए अवसर तैयार हो रहे थे। देश के दुश्मनों को, जम्मू-कश्मीर के दुश्मनों को, ये रास नहीं आया। आतंकी और आतंक के आका चाहते हैं, कश्मीर फिर से तबाह हो जाए और इसलिए इतनी बड़ी साजिश को अंजाम दिया। आतंकवाद के खिलाफ इस युद्ध में देश की एकता, 140 करोड़ भारतीयों की एकजुटता, हमारी सबसे बड़ी ताकत है। यही एकता, आतंकवाद के खिलाफ हमारी निर्णायक लड़ाई का आधार है। हमें देश के सामने आई इस चुनौती का सामना करने के लिए अपने संकल्पों को मजबूत करना है। हमें एक राष्ट्र के रूप में दृढ़ इच्छाशक्ति का प्रदर्शन करना है। आज दुनिया देख रही है, इस आतंकी हमले के बाद पूरा देश एक स्वर में बोल रहा है।
साथियो, भारत के हम लोगों में जो आक्रोश है, वो आक्रोश पूरी दुनिया में है। इस आतंकी हमले के बाद लगातार दुनिया-भर से संवेदनाएं आ रही हैं। मुझे भी Global leaders ने phone किए हैं, पत्र लिखे हैं, संदेश भेजे हैं। इस जघन्य तरीके से किए गए आतंकी हमले की सब ने कठोर निंदा की है। उन्होंने मृतकों के परिवारजनों के प्रति संवेदनाएं प्रकट की हैं। पूरा विश्व, आतंकवाद के खिलाफ हमारी लड़ाई में, 140 करोड़ भारतीयों के साथ खड़ा है। मैं पीड़ित परिवारों को फिर भरोसा देता हूँ कि उन्हें न्याय मिलेगा, न्याय मिलकर रहेगा। इस हमले के दोषियों और साजिश रचने वालों को कठोरतम् जवाब दिया जाएगा।
साथियो, दो दिन पहले हमने देश के महान वैज्ञानिक डॉ० के. कस्तूरीरंगन जी को खो दिया है। जब भी कस्तूरीरंगन जी से मुलाकात हुई, हम भारत के युवाओं के talent, आधुनिक शिक्षा, space-science ऐसे विषयों पर काफी चर्चा करते थे। विज्ञान, शिक्षा और भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को नई ऊंचाई देने में उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा। उनके नेतृत्व में ISRO को एक नई पहचान मिली। उनके मार्गदर्शन में जो space programme आगे बढ़े, उससे भारत के प्रयासों को global मान्यता मिली। आज भारत जिन satellites का उपयोग करता है, उनमें से कई डॉ० कस्तूरीरंगन की देखरेख में ही launch की गई थी। उनके व्यक्तित्व की एक और बात बहुत खास थी, जिससे युवा-पीढ़ी उनसे सीख सकती है। उन्होंने हमेशा innovation को महत्व दिया। कुछ नया सीखने, जानने और नया करने का vision बहुत प्रेरित करने वाला है। डॉ० के. कस्तूरीरंगन जी ने देश की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति तैयार करने में भी बहुत बड़ी भूमिका निभाई थी। डॉ० कस्तूरीरंगन, 21वीं सदी की आधुनिक जरूरतों के मुताबिक forward looking education का विचार लेकर आए थे। देश की नि:स्वार्थ सेवा और राष्ट्र निर्माण में उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा। मैं डॉ० के. कस्तूरीरंगन जी को विनम्र भाव से श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ।
मेरे प्यारे देशवासियो, इसी महीने अप्रैल में आर्यभट्ट Satellite की launching के 50 वर्ष पूरे हुए हैं। आज जब हम पीछे मुड़कर देखते हैं, 50 वर्षों की इस यात्रा को याद करते हैं – तो लगता है हमने कितनी लंबी दूरी तय की है। अंतरिक्ष में भारत के सपनों की ये उड़ान एक समय केवल हौंसलों से शुरू हुई थी। राष्ट्र के लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा पाले कुछ युवा वैज्ञानिक – उनके पास न तो आज जैसे आधुनिक संसाधन थे, न ही दुनिया की Technology तक वैसी पहुँच थी – अगर कुछ था तो वो था, प्रतिभा, लगन, मेहनत और देश के लिए कुछ करने का जज्बा। बैलगाड़ियों और साइकिलों पर Critical Equipment को खुद लेकर जाते हमारे वैज्ञानिकों की तस्वीरों को आपने भी देखा होगा। उसी लगन और राष्ट्रसेवा की भावना का नतीजा है कि आज इतना कुछ बदल गया है। आज भारत एक Global Space Power बन चुका है। हमने एक साथ 104 Satellite का Launch करके Record बनाया है। हम चंद्रमा के South Pole पर पहुँचने वाले पहले देश बने हैं। भारत ने Mars Orbiter Mission Launch किया है और हम आदित्य – L1 Mission के जरिए सूरज के काफी करीब तक पहुंचे हैं। आज भारत पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा cost effective लेकिन Successful Space Program का नेतृत्व कर रहा है। दुनिया के कई देश अपनी Satellites और Space Mission के लिए ISRO की मदद लेते हैं।
साथियो, हम जब ISRO द्वारा किसी Satellite का launch देखते हैं तो हम गर्व से भर जाते हैं। ऐसी ही अनुभूति मुझे तब हुई जब मैं 2014 में PSLV-C-23 की launching का साक्षी बना था। 2019 में Chandrayaan-2 की landing के दौरान भी, मैं बेंगलुरू के ISRO Center में मौजूद था। उस समय Chandrayaan को वो अपेक्षित सफलता नहीं मिली थी, तब वैज्ञानिकों के लिए, वो, बहुत मुश्किल घड़ी थी। लेकिन मैं अपनी आंखों से वैज्ञानिकों के धैर्य और कुछ कर गुजरने का जज्बा भी देख रहा था। और कुछ साल बाद पूरी दुनिया ने भी देखा कैसे उन्हीं वैज्ञानिकों ने Chandrayaan-3 को सफल करके दिखाया।
साथियो, अब भारत ने अपने Space Sector को Private Sector के लिए भी Open कर दिया है। आज बहुत से युवा Space Startup में नए झंडे लहरा रहे हैं। 10 साल पहले इस क्षेत्र में सिर्फ एक Company थी, लेकिन आज देश में, सवा तीन सौ से ज्यादा Space Startup काम कर रहे हैं। आने वाला समय Space में बहुत सारी नई संभावनाएं लेकर आ रहा है। भारत नई ऊंचाइयों को छूने वाला है। देश गगनयान, SpaDeX और Chandrayaan-4 जैसे कई अहम् मिशन की तैयारियों में जुटा है। हम Venus Orbiter Mission और Mars Lander Mission पर भी काम कर रहे हैं। हमारे Space Scientists अपने Innovations से देशवासियों को नए गर्व से भरने वाले हैं।
साथियो, पिछले महीने म्यांमार में आए भूकंप की खौफनाक तस्वीरें आपने जरूर देखी होंगी। भूकंप से वहाँ बहुत बड़ी तबाही आई, मलबे में फंसे लोगों के लिए एक-एक सांस, एक-एक पल कीमती था। इसलिए भारत ने म्यांमार के हमारे भाई-बहनों के लिए तुरंत Operation Brahma शुरू किया। Air force के aircraft से लेकर Navy के ships तक म्यांमार की मदद के लिए रवाना हो गए। वहाँ भारतीय टीम ने एक field hospital तैयार किया। इंजीनियरों की एक टीम ने अहम् इमारतों और infrastructures को हुए नुकसान का आकलन करने में मदद की। भारतीय team ने वहां कंबल, tent, sleeping bags, दवाइयां, खाने-पीने के सामान के साथ ही और भी बहुत सारी चीजों की supply की। इस दौरान भारतीय टीम को वहाँ के लोगों से बहुत सारी तारीफ भी मिली।
साथियो, इस संकट में, साहस, धैर्य और सूझ-बूझ के कई दिल छू जाने वाले उदाहरण सामने आए। भारत की टीम ने 70 वर्ष से ज्यादा उम्र की एक बुजुर्ग महिला को बचाया जो मलबे में 18 घंटों से दबी हुई थी। जो लोग अभी TV पर ‘मन की बात’ देख रहे हैं, उन्हें उस बुजुर्ग महिला का चेहरा भी दिख रहा होगा। भारत से गई टीम ने उनके oxygen level को stable करने से लेकर fracture के treatment तक, इलाज की हर सुविधा उपलब्ध कराई। जब इस बुजुर्ग महिला को अस्पताल से छुट्टी मिली तो उन्होंने हमारी टीम का बहुत आभार जताया। वो बोली कि, भारतीय बचाव दल की वजह से उन्हें नया जीवन मिला है। बहुत से लोगों ने हमारी टीम को बताया कि उनकी वजह से वो अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को ढूंढ पाए।
साथियो, भूकंप के बाद म्यांमार में मांडले की एक monastery में भी कई लोगों के फंसे होने की आशंका थी। हमारे साथियों ने यहां भी राहत और बचाव अभियान चलाया, इसकी वजह से उन्हें बौद्ध भिक्षुओं का ढ़ेर सारा आशीर्वाद मिला। हमें Operation Brahma में हिस्सा लेने वाले सभी लोगों पर बहुत गर्व है। हमारी परंपरा है, हमारे संस्कार हैं ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की भावना-पूरी दुनिया एक परिवार है। संकट के समय विश्व-मित्र के रूप में भारत की तत्परता और मानवता के लिए भारत की प्रतिबद्धता हमारी पहचान बन रही है।
साथियो, मुझे अफ्रीका के Ethiopia में प्रवासी भारतीयों के एक अभिनव प्रयास का पता चला है। Ethiopia में रहने वाले भारतीयों ने ऐसे बच्चों को इलाज के लिए भारत भेजने की पहल की है जो जन्म से ही हृदय की बीमारी से पीड़ित हैं। ऐसे बहुत से बच्चों की भारतीय परिवारों द्वारा आर्थिक मदद भी की जा रही है। अगर किसी बच्चे का परिवार पैसे की वजह से भारत आने में असमर्थ है, तो इसका भी इंतजाम, हमारे भारतीय भाई-बहन कर रहे हैं। कोशिश ये है कि गंभीर बीमारी से जूझ रहे Ethiopia के हर जरुरतमन्द बच्चे को बेहतर इलाज मिले। प्रवासी भारतीयों के इस नेक कार्य को Ethiopia में भरपूर सराहना मिल रही है। आप जानते हैं कि भारत में मेडिकल सुविधाएँ लगातार बेहतर हो रही हैं। इसका लाभ दूसरे देश के नागरिक भी उठा रहे हैं।
साथियो, कुछ ही दिन पहले भारत ने अफगानिस्तान के लोगों के लिए बड़ी मात्रा में vaccine भी भेजी है। ये Vaccine, Rabies, Tetanus, Hepatitis B और Influenza जैसी खतरनाक बीमारियों से बचाव में काम आएगी। भारत ने इसी हफ्ते नेपाल के आग्रह पर वहाँ दवाईयाँ और vaccine की बड़ी खेप भेजी है। इनसे thalassemia और sickle cell disease के मरीजों को बेहतर इलाज सुनिश्चित होगा। जब भी मानवता की सेवा की बात आती है, तो भारत, हमेशा इसमें आगे रहता है और भविष्य में भी ऐसी हर जरूरत में हमेशा आगे रहेगा।
साथियो, अभी हम Disaster Management की बात कर रहे थे। और किसी भी प्राकृतिक आपदा से निपटने में बहुत अहम् होती है -आपकी alertness, आपका सचेत रहना। इस alertness में अब आपको अपने मोबाईल के एक स्पेशल APP से मदद मिल सकती है। ये APP आपको किसी प्राकृतिक आपदा में फंसने से बचा सकते हैं और इसका नाम भी है ‘सचेत’। ‘सचेत APP’, भारत की National Disaster Management Authority (NDMA) ने तैयार किया है। बाढ़, Cyclone, Land-slide, Tsunami, जंगलों की आग, हिम-स्खलन, आंधी, तूफान या फिर बिजली गिरने जैसी आपदाएँ हो, ‘सचेत APP’ आपको हर प्रकार से informed और protected रखने का प्रयास करता है। इस APP के माध्यम से आप मौसम विभाग से जुड़े updates प्राप्त कर सकते हैं। खास बात ये है कि ‘सचेत APP’ क्षेत्रीय भाषाओं में भी कई सारी जानकारियां उपलब्ध कराता है। इस APP का आप भी फायदा उठायें और अपने अनुभव हमसे जरूर साझा करें।
मेरे प्यारे देशवासियो, आज हम पूरी दुनिया में भारत के talent की तारीफ होते देखते हैं। भारत के युवाओं ने भारत के प्रति दुनिया का नज़रिया बदल दिया है, और, किसी भी देश के युवा की रुचि किस तरफ है, किधर है, उससे पता चलता है कि देश का भविष्य कैसा होगा। आज भारत का युवा, Science, Technology और Innovation की ओर बढ़ रहा है। ऐसे इलाके, जिनकी पहचान पहले पिछड़ेपन और दूसरे कारणों से होती थी, वहां भी युवाओं ने ऐसे उदाहरण प्रस्तुत किये हैं, जो हमें, नया विश्वास देते हैं। छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा का विज्ञान केंद्र आजकल सबका ध्यान खींच रहा है। कुछ समय पहले तक, दंतेवाड़ा का नाम केवल हिंसा और अशान्ति के लिए जाना जाता था, लेकिन अब वहाँ, एक Science Centre, बच्चों और उनके माता-पिता के लिए उम्मीद की नई किरण बन गया है। इस Science Centre में जाना बच्चों को खूब पसंद आ रहा है। वे अब नई–नई मशीनें बनाने से लेकर technology का उपयोग करके नए products बनाना सीख रहे हैं। उन्हें 3D printers और robotic कारों के साथ ही दूसरी innovative चीजों के बारे में जानने का मौका मिला है। अभी कुछ समय पहले मैंने गुजरात Science City में भी Science Galleries का उद्घाटन किया था। इन galleries से ये झलक मिलती है कि आधुनिक विज्ञान का potential क्या है, विज्ञान हमारे लिए कितना कुछ कर सकता है। मुझे जानकारी मिली है कि इन galleries को लेकर वहाँ बच्चों में बहुत उत्साह है। Science और Innovation के प्रति ये बढ़ता आकर्षण, जरूर भारत को नई ऊंचाई पर ले जाएगा।
मेरे प्यारे देशवासियो, हमारे देश की सबसे बड़ी ताकत हमारे 140 करोड़ नागरिक हैं, उनका सामर्थ्य है, उनकी इच्छा शक्ति है। और जब करोड़ों लोग, एक-साथ किसी अभियान से जुड़ जाते हैं, तो उसका प्रभाव बहुत बड़ा होता है। इसका एक उदाहरण है ‘एक पेड़ माँ के नाम’ – ये अभियान उस माँ के नाम है, जिसने हमें जन्म दिया और ये उस धरती माँ के लिए भी है, जो हमें अपनी गोद में धारण किए रहती है। साथियो, 5 जून को ‘विश्व पर्यावरण दिवस’ पर इस अभियान के एक साल पूरे हो रहे हैं। इस एक साल में इस अभियान के तहत देश-भर में माँ के नाम पर 140 करोड़ से ज्यादा पेड़ लगाए गए हैं। भारत की इस पहल को देखते हुए, देश के बाहर भी लोगों ने अपनी माँ के नाम पर पेड़ लगाए हैं। आप भी इस अभियान का हिस्सा बनें, ताकि एक साल पूरा होने पर, अपनी भागीदारी पर आप गर्व कर सकें।
साथियो, पेड़ों से शीतलता मिलती है, पेड़ों की छाँव में गर्मी से राहत मिलती है, ये हम सब जानते हैं। लेकिन बीते दिनों मैंने इसी से जुड़ी एक और ऐसी खबर देखी जिसने मेरा ध्यान खींचा। गुजरात के अहमदाबाद शहर में पिछले कुछ वर्षों में 70 लाख से ज्यादा पेड़ लगाए गए हैं। इन पेड़ों ने अहमदाबाद में green area काफी बढ़ा दिया है। इसके साथ–साथ, साबरमती नदी पर River Front बनने से और कांकरिया झील जैसे कुछ झीलों के पुनर्निर्माण से यहाँ water bodies की संख्या भी बढ़ गई है। अब news reports कहती हैं कि बीते कुछ वर्षों में अहमदाबाद global warming से लड़ाई लड़ने वाले प्रमुख शहरों में से एक हो गया है। इस बदलाव को, वातावरण में आई शीतलता को, वहाँ के लोग भी महसूस कर रहे हैं। अहमदाबाद में लगे पेड़ वहाँ नई खुशहाली लाने की वजह बन रहे हैं। मेरा आप सबसे फिर आग्रह है कि धरती की सेहत ठीक रखने के लिए, Climate Change की चुनौतियों से निपटने के लिए, और अपने बच्चों का भविष्य सुरक्षित करने के लिए, पेड़ जरूर लगाएं ‘एक पेड़ – माँ के नाम’।
साथियो, एक बड़ी पुरानी कहावत है ‘जहां चाह-वहां राह’। जब हम कुछ नया करने की ठान लेते हैं, तो मंजिल भी जरूर मिलती है। आपने पहाड़ों में उगने वाले सेब तो खूब खाए होंगे। लेकिन, अगर मैं पुछूँ कि क्या आपने कर्नाटक के सेब का स्वाद चखा है ? तो आप हैरान हों जाएंगे। आमतौर पर हम समझते हैं कि सेब की पैदावार पहाड़ों में ही होती है। लेकिन कर्नाटक के बागलकोट में रहने वाले श्री शैल तेली जी ने मैदानों में सेब उगा दिया है। उनके कुलाली गांव में 35 डिग्री से ज्यादा तापमान में भी सेब के पेड़ फल देने लगे हैं। दरअसल श्री शैल तेली को खेती का शौक था तो उन्होंने सेब की खेती को भी आजमाने की कोशिश की और उन्हें इसमें सफलता भी मिल गई। आज उनके लगाए सेब के पेड़ों पर काफी मात्रा में सेब उगते हैं जिसे बेचने से उन्हें अच्छी कमाई भी हो रही है।
साथियो, अब जब सेबों की चर्चा हो रही है, तो आपने किन्नौरी सेब का नाम जरूर सुन होगा। सेब के लिए मशहूर किन्नौर में केसर का उत्पादन होने लगा है। आमतौर पर हिमाचल में केसर की खेती कम ही होती थी, लेकिन अब किन्नौर की खूबसूरत सांगला घाटी में भी केसर की खेती होने लगी। ऐसा ही एक उदाहरण केरला के वायनाड का है। यहां भी केसर उगाने में सफलता मिली है। और वायनाड में ये केसर किसी खेत या मिट्टी में नहीं बल्कि Aeroponics Technique से उगाए जा रहे हैं। कुछ ऐसा ही हैरत भरा काम लीची की पैदावार के साथ हुआ है। हम तो सुनते आ रहे थे कि लीची बिहार, पश्चिम बंगाल या झारखंड में उगती है। लेकिन अब लीची का उत्पादन दक्षिण भारत और राजस्थान में भी हो रहा है। तमिलनाडु के थिरु वीरा अरासु, कॉफी की खेती करते थे। कोडईकनाल में उन्होंने लीची के पेड़ लगाए और उनकी 7 साल की मेहनत के बाद अब उन पेड़ों पर फल आने लगे। लीची उगाने में मिली सफलता ने आसपास के दूसरे किसानों को भी प्रेरित किया है। राजस्थान में जितेंद्र सिंह राणावत को लीची उगाने में सफलता मिली है। ये सभी उदाहरण बहुत प्रेरित करने वाले हैं। अगर हम कुछ नया करने का इरादा कर लें, और मुश्किलों के बावजूद डटे रहें, तो असंभव को भी संभव किया जा सकता है।
मेरे प्यारे देशवासियो, आज अप्रैल का आखिरी रविवार है। कुछ ही दिनों में मई का महिना शुरू हो रहा है। मैं आपको आज से करीब 108 साल पहले लेकर चलता हूँ। साल 1917, अप्रैल और मई के यही दो महीने – देश में आजादी की एक अनोखी लड़ाई लड़ी जा रही थी। अंग्रेजों के अत्याचार उफान पर थे। गरीबों, वंचितों और किसानों का शोषण अमानवीय स्तर को भी पार कर चुका था। बिहार की उपजाऊ धरती पर ये अंग्रेज किसानों को नील की खेती के लिए मजबूर कर रहे थे। नील की खेती से किसानों के खेत बंजर हो रहे थे, लेकिन अंग्रेजी हुकूमत को इससे कोई मतलब नहीं था। ऐसे हालात में, 1917 में गांधी जी बिहार के चंपारण पहुंचे हैं। किसानों ने गांधी जी को बताया – हमारी जमीन मर रही है, खाने के लिए अनाज नहीं मिल रहा है। लाखों किसानों की उस पीड़ा से गांधी जी के मन में एक संकल्प उठा। वहीं से चंपारण का ऐतिहासिक सत्याग्रह शुरू हुआ। ‘चंपारण सत्याग्रह’ ये बापू द्वारा भारत में पहला बड़ा प्रयोग था। बापू के सत्याग्रह से पूरी अंग्रेज हुकूमत हिल गई। अंग्रेजों को नील की खेती के लिए किसानों को मजबूर करने वाले कानून को स्थगित करना पड़ा। ये एक ऐसी जीत थी जिसने आजादी की लड़ाई में नया विश्वास फूंका। आप सब जानते होंगें इस सत्याग्रह में बड़ा योगदान बिहार के एक और सपूत का भी था, जो आजादी के बाद देश के पहले राष्ट्रपति बने। वो महान विभूति थे – डॉ० राजेन्द्र प्रसाद। उन्होंने ‘चंपारण सत्याग्रह’ पर एक किताब भी लिखी – ‘Satyagraha in Champaran’, ये किताब हर युवा को पढ़नी चाहिए। भाईयों-बहनों, अप्रैल में ही स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई के कई और अमिट अध्याय जुड़े हुए हैं। अप्रैल की 6 तारीख को ही गांधी जी की ‘दांडी यात्रा’ संपन्न हुई थी। 12 मार्च से शुरू होकर 24 दिनों तक चली इस यात्रा ने अंग्रेजों को झकझोर कर रख दिया था। अप्रैल में ही जलियाँवाला बाग नरसंहार हुआ था। पंजाब की धरती पर इस रक्तरंजित इतिहास के निशान आज भी मौजूद हैं।
साथियो कुछ ही दिनों में, 10 मई को, प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की वर्षगांठ भी आने वाली है। आज़ादी की उस पहली लड़ाई में जो चिंगारी उठी थी, वो आगे चलकर लाखों सेनानियों के लिए मशाल बन गई। अभी 26 अप्रैल को हमने 1857 की क्रांति के महान नायक बाबू वीर कुंवर सिंह जी की पुण्यतिथि भी मनाई है। बिहार के महान सेनानी से पूरे देश को प्रेरणा मिलती है। हमें ऐसे ही लाखों स्वतंत्रा सेनानियों की अमर प्रेरणाओं को जीवित रखना है। हमें उनसे जो ऊर्जा मिलती है, वो अमृतकाल के हमारे संकल्पों को नई मजबूती देती है।
साथियो, ‘मन की बात’ की इस लंबी यात्रा में आपने इस कार्यक्रम के साथ एक आत्मीय रिश्ता बना लिया है। देशवासी जो उपलब्धियाँ दूसरों से साझा करना चाहते हैं उसे ‘मन की बात’ के माध्यम से लोगों तक पहुंचाते हैं। अगले महीने हम फिर मिलकर देश की विविधताओं, गौरवशाली परंपराओं और नई उपलब्धियों की बात करेंगे। हम ऐसे लोगों के बारे में जानेंगे जो अपने समर्पण और सेवा भावना से समाज में बदलाव ला रहे हैं। हमेशा की तरह आप हमें अपने विचार और सुझाव भेजते रहिए। धन्यवाद, नमस्कार।
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