Skip to Content

भारत के गगनयान में यात्रा करने वाले अंतरिक्ष यात्रियों के नाम आए सामने, इनको प्रधानमंत्री ने सौंपे एस्ट्रोनॉट विंग्स

भारत के गगनयान में यात्रा करने वाले अंतरिक्ष यात्रियों के नाम आए सामने, इनको प्रधानमंत्री ने सौंपे एस्ट्रोनॉट विंग्स

Closed
by February 28, 2024 News

28 Feb. 2024. New Delhi. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने केरल के तिरुवनंतपुरम में विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) का दौरा किया और लगभग 1800 करोड़ रुपये की तीन महत्वपूर्ण अंतरिक्ष अवसंरचना परियोजनाओं का उद्घाटन किया। इन परियोजनाओं में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा में एसएलवी एकीकरण सुविधा (पीआईएफ), महेंद्रगिरि में इसरो प्रोपल्शन कॉम्प्लेक्स में नई ‘सेमी-क्रायोजेनिक्स इंटीग्रेटेड इंजन और स्टेज टेस्ट सुविधा’ और वीएसएससी, तिरुवनंतपुरम में ‘ट्राइसोनिक विंड टनल’ शामिल हैं। पीएम मोदी ने गगनयान मिशन की प्रगति की भी समीक्षा की और नामित चार अंतरिक्ष यात्रियों को ‘एस्ट्रोनॉट विंग्स’ प्रदान किये। नामित अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर, ग्रुप कैप्टन अजीत कृष्णन, ग्रुप कैप्टन अंगद प्रताप और विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला हैं।

उपस्थितजनों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सभी नामित अंतरिक्ष यात्रियों का स्वागत करतल ध्वनि के साथ करें। पूरा सभागार भारत माता की जय के नारों से गूंज उठा।

यह रेखांकित करते हुए कि प्रत्येक राष्ट्र की विकास यात्रा के अपने विशेष क्षण होते हैं जो न केवल वर्तमान बल्कि भविष्य की पीढ़ियों को परिभाषित करते हैं, प्रधानमंत्री ने कहा कि आज भारत के लिए एक ऐसा अवसर है जब वर्तमान पीढ़ी धरती, वायु, जल और अंतरिक्ष में राष्ट्र की ऐतिहासिक उपलब्धियों पर गर्व कर सकती है। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने अयोध्या से शुरु हुए ‘काल चक्र’ के बारे में अपने वक्तव्य का स्मरण करते हुए कहा कि भारत वैश्विक पटल पर लगातार अपना विस्तार कर रहा है और इसकी झलक देश के अंतरिक्ष कार्यक्रम में देखी जा सकती है।

प्रधानमंत्री ने भारत की चंद्रयान सफलता को याद किया, जब भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश बना था। उन्होंने कहा, “आज शिव-शक्ति प्वॉइंट पूरी दुनिया को भारतीय शक्ति से परिचित करा रहा है।” उन्होंने गगनयान के चार नामित अंतरिक्ष यात्रियों का परिचय कराये जाने को एक ऐतिहासिक अवसर बताया। प्रधानमंत्री ने कहा, “वे सिर्फ चार नाम या व्यक्ति नहीं हैं, वे 140 करोड़ भारतीयों की आकांक्षाओं को अंतरिक्ष में ले जाने वाली चार ‘शक्तियां’ हैं।” उन्होंने आगे कहा, ”40 वर्ष बाद कोई भारतीय अंतरिक्ष में जा रहा है, लेकिन इस बार टाइम भी हमारा है, काउंट-डाउन भी हमारा है और रॉकेट भी हमारा है।” प्रधानमंत्री ने मनोनीत अंतरिक्ष यात्रियों से मिलने और उन्हें देश से परिचित कराने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए पूरे देश की ओर से उन्हें शुभकामनाएं दीं।

नामित अंतरिक्ष यात्रियों का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उनके नाम भारत की सफलता के साथ जुड़े हुए हैं और वे आज के भारत के विश्वास, साहस, वीरता और अनुशासन का प्रतीक हैं। उन्होंने प्रशिक्षण के प्रति उनके समर्पण और भावना की सराहना की और कहा कि वे भारत की अमृत पीढ़ी के प्रतिनिधि हैं, जो कभी हार नहीं मानती और सभी प्रतिकूलताओं को चुनौती देने की ताकत रखती है। इस मिशन के लिए स्वस्थ तन और स्वस्थ मन की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने प्रशिक्षण मॉड्यूल के हिस्से के रूप में योग की भूमिका का उल्लेख किया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ”देश की शुभकामनाएं और आशीर्वाद आपके साथ है।” उन्होंने गगनयान परियोजना से जुड़े इसरो के सभी स्टाफ प्रशिक्षकों को भी शुभकामनाएं दीं।

प्रधानमंत्री ने नामित चार अंतरिक्ष यात्रियों पर सेलिब्रिटी की तरह लगातार ध्यान देने के संबंध में कुछ आशंकाएं भी व्यक्त कीं, जो उनके प्रशिक्षण में बाधा उत्पन्न कर सकती हैं। उन्होंने नामित अंतरिक्ष यात्री और उनके परिवारों के साथ सहयोग करने की अपील की, ताकि वे बिना विचलित हुए अपना प्रशिक्षण जारी रख सकें।

प्रधानमंत्री को गगनयान के बारे में जानकारी दी गई। उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि गगनयान के अधिकांश उपकरण भारत में निर्मित हैं। उन्होंने दुनिया की शीर्ष तीन अर्थव्यवस्थाओं में भारत के आसन्न प्रवेश के साथ गगनयान की तैयारी के सुखद संयोग का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि आज जो परियोजनाएं लोकार्पित की गईं, उनसे नई नौकरियां पैदा होंगी और भारत का मान बढ़ेगा।

भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में नारी शक्ति की भूमिका की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, “चाहे वह चंद्रयान हो या गगनयान, महिला वैज्ञानिकों के बिना ऐसी किसी भी परियोजना की कल्पना नहीं की जा सकती।” उन्होंने बताया कि इसरो में 500 से अधिक महिलाएं नेतृत्वकारी पदों पर हैं।

यह रेखांकित करते हुए कि भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र का प्रमुख योगदान युवा पीढ़ी के बीच वैज्ञानिक स्वभाव का बीजरोपण है, प्रधानमंत्री ने कहा कि इसरो द्वारा प्राप्त सफलता आज के बच्चों में बड़े होकर वैज्ञानिक बनने का विचार पैदा करती है। उत्साहित प्रधानमंत्री ने वैज्ञानिकों को अपने संबोधन में कहा, “रॉकेट की उलटी गिनती भारत के लाखों बच्चों को प्रेरित करती है, और कागज के विमान बनाने वाले आज आपके जैसे वैज्ञानिक बनने का सपना देखते हैं।” उन्होंने कहा कि युवाओं की इच्छाशक्ति राष्ट्र की संपदा बनती है। उन्होंने कहा कि चंद्रयान-2 की लैंडिंग का समय देश के हर बच्चे के लिए सीखने का अनुभव था, जबकि पिछले साल 23 अगस्त को चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग ने युवाओं को नई ऊर्जा से भर दिया। उन्होंने अंतरिक्ष क्षेत्र में देश द्वारा बनाए गए विभिन्न रिकॉर्डों पर प्रकाश डालते हुए बताया, “यह दिन अब अंतरिक्ष दिवस के रूप में मनाया जाता है।” उन्होंने पहले प्रयास में मंगल ग्रह तक पहुंचने, एक ही मिशन में 100 से अधिक उपग्रहों को लॉन्च करने और पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर दूर उसकी कक्षा में आदित्य एल-1 सौर जांच को सफलतापूर्वक स्थापित करने की देश की उपलब्धियों का उल्लेख किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि बहुत कम देशों ने ऐसा किया है और ऐसी उपलब्धि हासिल की है। उन्होंने 2024 के पहले कुछ हफ्तों में एक्स्पो-सैट और इनसैट-3डीएस की हालिया सफलताओं का भी उल्लेख किया।

प्रधानमंत्री मोदी ने इसरो टीम से कहा, ”आप सभी भविष्य की संभावनाओं के नए द्वार खोल रहे हैं।” प्रधानमंत्री ने कहा कि अनुमान के अनुसार, भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था अगले 10 वर्षों में पांच गुना बढ़ जाएगी और 44 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगी। उन्होंने कहा कि भारत अंतरिक्ष के क्षेत्र में वैश्विक वाणिज्यिक केंद्र बन रहा है। आने वाले दिनों में भारत एक बार फिर चांद पर जाएगा। उन्होंने चंद्रमा की सतह से नमूने प्राप्त करने की नई महत्वाकांक्षा के बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि शुक्र ग्रह भी रडार पर है। उन्होंने यह भी कहा कि 2035 तक भारत के पास अपना अंतरिक्ष स्टेशन होगा। इसके अलावा, प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘इस अमृत काल में, एक भारतीय अंतरिक्ष यात्री एक भारतीय रॉकेट से चंद्रमा पर उतरेगा।’

पिछले 10 वर्षों में अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत की हाल की उपलब्धियों की तुलना 2014 से पहले के दशक के साथ करते हुए, प्रधानमंत्री ने देश में पहले के केवल 33 उपग्रहों की तुलना में लगभग 400 उपग्रह लॉन्च करने तथा युवा-संचालित अंतरिक्ष स्टार्टअप की संख्या में वृद्धि का उल्लेख किया, जो पहले दो या तीन थे और अब बढ़कर 200 से अधिक हो गये हैं। आज उनकी मौजूदगी को मद्देनजर रखते हुए, प्रधानमंत्री ने उनकी दृष्टि, प्रतिभा और उनकी उद्यमशीलता की सराहना की। प्रधानमंत्री मोदी ने क्षेत्र को गति प्रदान करने वाले अंतरिक्ष सुधारों पर भी बात की और उन्होंने अंतरिक्ष क्षेत्र में शत-प्रतिशत विदेशी निवेश की हाल ही में स्वीकृत एफडीआई नीति का उल्लेख किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस सुधार के साथ, दुनिया के सबसे बड़े अंतरिक्ष संस्थान अब भारत में खुद को स्थापित कर सकते हैं और युवाओं को अपना कौशल दिखाने का अवसर प्रदान कर सकते हैं।

भारत के विकसित राष्ट्र बनने के संकल्प का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने अंतरिक्ष क्षेत्र की भूमिका पर प्रकाश डाला। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ”अंतरिक्ष विज्ञान सिर्फ रॉकेट साइंस नहीं है, बल्कि यह सबसे बड़ा सामाजिक विज्ञान भी है। अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी से समाज को सबसे अधिक लाभ होता है।” उन्होंने कृषि, मौसम संबंधी, आपदा चेतावनी, सिंचाई संबंधी, नौवहन मानचित्र और मछुआरों के लिए नाविक (एनएवीआईसी) प्रणाली जैसे अन्य उपयोगों का उल्लेख किया। उन्होंने अंतरिक्ष विज्ञान के अन्य उपयोगों जैसे सीमा सुरक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य और कई अन्य पक्षों पर भी चर्चा की। प्रधानमंत्री ने अंत में कहा, “विकसित भारत के निर्माण में आप सभी, इसरो और पूरे अंतरिक्ष क्षेत्र की बहुत बड़ी भूमिका है।”

इस अवसर पर केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान, केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन, केंद्रीय राज्य मंत्री वी. मुरलीधरन और अंतरिक्ष विभाग के सचिव और इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ सहित अन्य उपस्थित थे।

पृष्ठभूमि

देश के अंतरिक्ष क्षेत्र की पूर्ण क्षमता का दोहन करने की प्रधानमंत्री की परिकल्पना और इस सेक्टर में तकनीकी तथा अनुसंधान व विकास क्षमता को बढ़ाने के प्रति प्रधानमंत्री के संकल्प को गति मिलती है, क्योंकि विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र, तिरुवनंतपुरम की उनकी यात्रा के दौरान तीन महत्वपूर्ण अंतरिक्ष बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का उद्घाटन किया जा रहा है। परियोजनाओं में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा में पीएसएलवी एकीकरण सुविधा (पीआईएफ); महेंद्रगिरि में इसरो प्रोपल्शन कॉम्प्लेक्स में नई ‘सेमी-क्रायोजेनिक्स इंटीग्रेटेड इंजन और स्टेज टेस्ट सुविधा’; और वीएसएससी, तिरुवनंतपुरम में ‘ट्राइसोनिक विंड टनल’ शामिल हैं। अंतरिक्ष क्षेत्र के लिए विश्व स्तरीय तकनीकी सुविधाएं प्रदान करने वाली ये तीन परियोजनाएं लगभग 1800 करोड़ रुपये की संचयी लागत पर विकसित की गई हैं।

श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में पीएसएलवी एकीकरण सुविधा (पीआईएफ) पीएसएलवी प्रक्षेपण की आवृत्ति को प्रति वर्ष 6 से 15 तक बढ़ाने में मदद करेगी। यह अत्याधुनिक सुविधा एसएसएलवी और निजी अंतरिक्ष कंपनियों द्वारा डिजाइन किए गए अन्य छोटे प्रक्षेपण व्हिकल्स के प्रक्षेपण को भी पूरा कर सकती है।

आईपीआरसी महेंद्रगिरि में नई ‘सेमी-क्रायोजेनिक्स इंटीग्रेटेड इंजन और स्टेज टेस्ट सुविधा’ सेमी-क्रायोजेनिक इंजन और चरणों के विकास को सक्षम करेगी, जो वर्तमान लॉन्च व्हिकल्स की पेलोड क्षमता को बढ़ाएगी। यह सुविधा 200 टन तक के थ्रस्ट वाले इंजनों का परीक्षण करने के लिए तरल ऑक्सीजन और केरोसिन आपूर्ति प्रणालियों से सुसज्जित है।

वायुमंडलीय उड़ान के दौरान रॉकेट और विमानों के वर्गीकरण के लिए एयरोडायनेमिक टेस्टिंग के वास्ते विंड टनल्स आवश्यक हैं। वीएसएससी में जिस “ट्राइसोनिक विंड टनल” का उद्घाटन किया जा रहा है, वह एक जटिल तकनीकी प्रणाली है। यह हमारी भविष्य की प्रौद्योगिकी विकास आवश्यकताओं को पूरा करेगी।

अपनी यात्रा के दौरान, प्रधानमंत्री ने गगनयान मिशन की प्रगति की भी समीक्षा की और नामित अंतरिक्ष यात्रियों को ‘एस्ट्रोनॉट विंग्स’ प्रदान किए। गगनयान मिशन भारत का पहला मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम है, जिसके लिए विभिन्न इसरो केंद्रों पर व्यापक तैयारी चल रही है।

अत्याधुनिक तकनीक से सुसज्जित उत्तराखंड के समाचारों का एकमात्र गूगल एप फोलो करने के लिए क्लिक करें…. Mirror Uttarakhand News

(नंबर वन न्यूज, व्यूज, राजनीति और समसामयिक विषयों की वेबसाइट मिरर उत्तराखंड डॉट कॉम से जुड़ने और इसके लगातार अपडेट पाने के लिए नीचे लाइक बटन को क्लिक करें)

Previous
Next
Loading...
Follow us on Social Media