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‘आईएनएस विक्रांत’ को नेवी को सौंपते समय पीएम मोदी की 10 प्रमुख बातें, और देखिए कैसा है नौसेना का नया ध्वज, जो गुलामी से आजाद हो गया

‘आईएनएस विक्रांत’ को नेवी को सौंपते समय पीएम मोदी की 10 प्रमुख बातें, और देखिए कैसा है नौसेना का नया ध्वज, जो गुलामी से आजाद हो गया

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by September 2, 2022 News

2 September. 2022. New Delhi. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज पहले स्वदेशी विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रांत को राष्ट्र की सेवा में समर्पित किया। इस कार्यक्रम के दौरान औपनिवेशिक अतीत से अलग तथा समृद्ध भारतीय सामुद्रिक विरासत के अनुरूप प्रधानमंत्री ने नौसेना के नये ध्वज (निशान) का भी अनावरण किया। इस आर्टिकल के अंत में आप ने ध्वज का वीडियो देख सकते हैं।

1 – उपस्थितजनों को सम्बोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आज यहां केरल के समुद्री तट पर भारत, हर भारतवासी, एक नये भविष्य के सूर्योदय का साक्षी बन रहा है। आईएनएस विक्रांत पर हो रहा यह आयोजन विश्व क्षितिज पर भारत के बुलंद होते हौसलों की हुंकार है। उन्होंने कहा कि आज हम सब स्वतंत्रता सेनानियों के सपनों को सच होता देख रहे हैं, जिसमें उन्होंने सक्षम और शक्तिशाली भारत की परिकल्पना की थी। प्रधानमंत्री ने कहा, “विक्रांत विशाल, विराट और विहंगम है। विक्रांत विशिष्ट है, विक्रांत विशेष भी है। विक्रांत केवल एक युद्धपोत नहीं है। यह 21वीं सदी के भारत के परिश्रम, प्रतिभा, प्रभाव और प्रतिबद्धता का प्रमाण है। यदि लक्ष्य दूरंत हैं, यात्राएं दिगंत हैं, समंदर और चुनौतियां अनन्त हैं- तो भारत का उत्तर है विक्रांत। आजादी के अमृत महोत्सव का अतुलनीय अमृत है विक्रांत। आत्मनिर्भर होते भारत का अद्वितीय प्रतिबिंब है विक्रांत।”

2 – राष्ट्र के नये माहौल पर टिप्पणी करते हुये प्रधानमंत्री ने कहा कि आज के भारत के लिये कोई भी चुनौती मुश्किल नहीं रही। उन्होंने कहा, “आज भारत विश्व के उन देशों में शामिल हो गया है, जो स्वदेशी तकनीक से इतने विशाल एयरक्राफ्ट कैरियर का निर्माण करते हैं। आज आईएनएस विक्रांत ने देश को एक नये विश्वास से भर दिया है, देश में एक नया भरोसा पैदा कर दिया है।” प्रधानमंत्री ने नौसेना, कोचीन शिपयार्ड के इंजीनियरों, वैज्ञानिकों और खासतौर से उन कामगारों के योगदान की सराहना की, जिन्होंने इस परियोजना पर काम किया है। उन्होंने कहा कि ओणम के आनन्ददायी और पवित्र अवसर ने आज के इस अवसर को और अधिक आनन्ददायी बना दिया है।

3- प्रधानमंत्री ने कहा कि आईएनएस विक्रांत के हर भाग की अपनी एक खूबी है, एक ताकत है, अपनी एक विकासयात्रा भी है। उन्होंने कहा कि यह स्वदेशी सामर्थ्य, स्वदेशी संसाधन और स्वदेशी कौशल का प्रतीक है। इसके एयरबेस में जो इस्पात लगा है, वह इस्पात भी स्वदेशी है, जिसे डीआरडीओ के वैज्ञानिकों ने विकसित किया है तथा भारतीय कंपनियों ने निर्मित किया है। विमान वाहक पोत की विशालता का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह एक तैरते हुए शहर की तरह है। यह इतनी बिजली पैदा करता है जो 5000 घरों के लिये पर्याप्त होगी और इसमें जितने तार का इस्तेमाल हुआ है, उसे फैलाया जाये, तो वह कोच्चि से काशी पहुंच जायेगा। उन्होंने यह भी कहा कि आईएनएस विक्रांत पांच प्रणों की भावना का समुच्चय है, जिसका उद्घोष उन्होंने लाल किले की प्राचीर से किया था।

4 – प्रधानमंत्री ने भारतीय सामुद्रिक परंपरा और नौसैन्य क्षमताओं का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि छत्रपति वीर शिवाजी महाराज ने इस समुद्री सामर्थ्य के दम पर ऐसी नौसेना का निर्माण किया, जो दुश्मनों की नींद उड़ाकर रखती थी। जब अंग्रेज भारत आये, तो वे भारतीय जहाजों और उनके जरिये होने वाले व्यापार की ताकत से घबराये रहते थे, इसलिये उन्होंने भारत के समुद्री सामर्थ्य की कमर तोड़ने का फैसला किया। उन्होंने कहा कि इतिहास गवाह है कि कैसे उस समय ब्रिटिश संसद में कानून बनाकर भारतीय जहाजों और व्यापारियों पर कड़े प्रतिबंध लगा दिये गये थे।

5 – प्रधानमंत्री ने कहा कि आज 2 सितंबर, 2022 वह ऐतिहासिक तारीख है, जब भारत ने गुलामी के एक निशान, गुलामी के एक बोझ को सीने से उतार दिया है। आज से भारतीय नौसेना को एक नया ध्वज मिला है। उन्होंने कहा कि अब तक भारतीय नौसेना के ध्वज पर गुलामी की पहचान बनी हुई थी, लेकिन अब आज से छत्रपति शिवाजी से प्रेरित, नौसेना का नया ध्वज समंदर और आसमान में लहरायेगा।

6- प्रधानमंत्री ने कहा कि विक्रांत जब हमारे समुद्री क्षेत्र की सुरक्षा के लिये उतरेगा, तो उस पर नौसेना की अनेक महिला सैनिक भी तैनात रहेंगी। समंदर की अथाह शक्ति के साथ असीम महिला शक्ति, ये नये भारत की बुलंद पहचान बन रही है। अब भारतीय नौसेना ने अपनी सभी शाखाओं को महिलाओं के लिये खोलने का फैसला किया है। जो पाबंदियां थीं, वे अब हट रही हैं। जैसे समर्थ लहरों के लिये कोई दायरे नहीं होते, वैसे ही भारत की बेटियों के लिये भी अब कोई दायरा या बंधन नहीं होंगे।

7 – प्रधानमंत्री ने कहा कि बूंद-बूंद जल से विराट समंदर बन जाता है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि इस बार स्वतंत्रता दिवस पर स्वदेशी तोपों से सलामी दी गई थी। इसी तरह भारत का एक-एक नागरिक ‘वोकल फॉर लोकल’ के मंत्र को जीना प्रारंभ कर देगा, तो देश को आत्मनिर्भर बनने में अधिक समय नहीं लगेगा।

8 – बदलती भू-रणनीतिक परिस्थितियों का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले समय भारत-प्रशांत क्षेत्र और हिंद महासागर में सुरक्षा चिंताओं को लंबे समय तक नजरअंदाज किया जाता रहा, लेकिन आज ये क्षेत्र हमारे लिये देश की बड़ी रक्षा प्राथमिकता हैं। इसलिये हम नौसेना के लिये बजट बढ़ाने से लेकर उसकी क्षमता बढ़ाने तक हर दिशा में काम कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि शक्तिशाली भारत शांतिपूर्ण और सुरक्षित विश्व का मार्ग प्रशस्त करेगा।

9 – प्रधानमंत्री ने शास्त्रों का उदाहरण देकर कहा कि दुष्ट की विद्या विवाद करने के लिए, धन घमंड करने के लिए और शक्ति दूसरों को प्रताड़ित करने के लिए होती है। लेकिन, सज्जन के लिए ये ज्ञान, दान और कमजोर की रक्षा का जरिया होता है। यही भारत का संस्कार है, इसीलिए विश्व को सशक्त भारत की ज्‍यादा जरूरत है।

10 – प्रधानमंत्री ने कहा कि मैंने एक बार पढ़ा था कि जब डॉ एपीजे अब्दुल कलाम से किसी ने पूछा कि आपका व्यक्तित्व तो बड़ा शांतिप्रिय है, आप तो बड़े शांत व्‍यक्ति लगते हैं, तो आपको हथियारों की क्या जरूरत लगती है? कलाम साहब ने कहा था- शक्ति और शांति एक दूसरे के लिए जरूरी हैं और इसीलिए आज भारत बल और बदलाव दोनों को एक साथ लेकर चल रहा है।

इस अवसर पर केरल के राज्यपाल आरिफ मुहम्मद खान, मुख्यमंत्री पिनराई विजयन, केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, सर्बानन्द सोनोवाल, वी. मुरलीधरन, अजय भट्ट, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, नौसेनाध्यक्ष एडमिरल आर हरि कुमार तथा अन्य उपस्थित थे।

आईएनएस विक्रांत

आईएनएस विक्रांत का डिजाइन भारतीय नौसेना की अपनी संस्था वॉरशिप डिजाइन ब्यूरो ने तैयार किया है तथा इसका निर्माण पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय के अधीन सार्वजनिक क्षेत्र की शिपयार्ड कंपनी, कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड ने किया है। विक्रांत का निर्माण अत्याधुनिक स्वचालित विशेषताओं से लैस है और वह भारत के सामुद्रिक इतिहास में अब तक का सबसे विशाल निर्मित पोत है।

स्वदेशी वायुयान वाहक का नाम उसके विख्यात पूर्ववर्ती और भारत के पहले विमान वाहक पोत के नाम पर रखा गया है, जिसने  1971 के युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। यह पोत तमाम स्वदेशी उपकरणों और यंत्रों से लैस है, जिनके निर्माण में देश के प्रमुख औद्योगिक घराने तथा 100 से अधिक सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम संलग्न थे। विक्रांत के लोकार्पण के साथ भारत के पास दो सक्रिय विमान वाहक पोत हो जायेंगे, जिनसे देश की समुद्री सुरक्षा को बहुत बल मिलेगा।

इस कार्यक्रम के दौरान औपनिवेशिक अतीत से अलग तथा समृद्ध भारतीय सामुद्रिक विरासत के अनुरूप प्रधानमंत्री ने नौसेना के नये ध्वज (निशान) का अनावरण भी किया। दरअसल जनवरी 1950 को तत्कालीन रॉयल इंडियन नेवी को इंडियन नेवी नाम दिया गया, इससे पहले 1947 में ब्रिटिश कालीन नौसेना को रॉयल इंडियन नेवी और रॉयल पाकिस्तान नेवी में विभाजित किया गया था। 1950 में झंडे में ब्रिटिश विरासत रेड सेंट जॉर्ज क्रॉस को बरकरार रखा गया। ध्वज के बाएं शीर्ष कोने पर यूनियन जैक को तिरंगे से बदल दिया गया था। रेड सेंट जॉर्ज क्रॉस को 15 अगस्त 2001 तक बनाए रखा गया, जब क्रॉस को हटाया गया। 2004 में फिर क्रॉस को शामिल कर इसमें अशोक का प्रतीक लगाया गया था। 2014 में अशोक प्रतीक के तहत राष्ट्रीय आदर्श वाक्य “सत्यमेव जयते” जोड़ा गया था। प्रधानमंत्री के द्वारा भारतीय नौसेना के नाते ध्वज का लोकार्पण किया गया है, इस ध्वज में से सेंट जॉर्ज का क्रॉस हटा दिया गया है, उसकी जगह पर भारत की महान विभूति छत्रपति शिवाजी के समय में चलित प्रतीक को जोड़ा गया है, इसके लिए आगे पूरा वीडियो देखिए…..

आई एन एस विक्रमादित्य के नेवी में शामिल होने के बाद भारतीय नौसेना की ताकत कई गुना बढ़ जाएगी, कोच्चि में आयोजित यह कार्यक्रम राष्ट्रगान के साथ समाप्त हुआ!

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