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योग, धार्मिक यात्राएं और आपातकाल जैसे विषयों पर बोले पीएम मोदी, ‘मन की बात’ के जरिए लोगों को संबोधित किया

योग, धार्मिक यात्राएं और आपातकाल जैसे विषयों पर बोले पीएम मोदी, ‘मन की बात’ के जरिए लोगों को संबोधित किया

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by June 29, 2025 News

29 June. 2025. New Delhi. योग, धार्मिक यात्राएं और आपातकाल जैसे विषयों पर बोले पीएम मोदी, ‘मन की बात’ के जरिए लोगों को संबोधित किया, देखिए पूरा कार्यक्रम, और आगे आप ‘मन की बात’ के मूल पाठ को पढ़ सकते हैं।

मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार। ‘मन की बात’ में आप सबका स्वागत है, अभिनंदन है। आप सब इस समय योग की ऊर्जा और ‘अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस’ की स्मृतियों से भरे होंगे। इस बार भी 21 जून को देश-दुनिया के करोड़ों लोगों ने ‘अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस’ में हिस्सा लिया। आपको याद है, 10 साल पहले इसका प्रारंभ हुआ। अब 10 साल में ये सिलसिला हर साल पहले से भी ज्यादा भव्य बनता जा रहा है। ये इस बात का भी संकेत है कि ज्यादा से ज्यादा लोग अपने दैनिक जीवन में योग को अपना रहे हैं। हमने इस बार ‘योग दिवस’ की कितनी ही आकर्षक तस्वीरें देखी हैं। विशाखापत्तनम के समुद्र तट पर तीन लाख लोगों ने एक साथ योग किया। विशाखापत्तनम से ही एक और अद्भुत दृश्य सामने आया, दो हजार से ज्यादा आदिवासी छात्रों ने 108 मिनट तक 108 सूर्य नमस्कार किए। सोचिए, कितना अनुशासन, कितना समर्पण रहा होगा। हमारे नौसेना के जहाजों पर भी योग की भव्य झलक दिखी। तेलंगाना में तीन हजार दिव्यांग साथियों ने एक साथ योग शिविर में भाग लिया। उन्होंने दिखाया कि योग किस तरह सशक्तिकरण का माध्यम भी है। दिल्ली के लोगों ने योग को स्वच्छ यमुना के संकल्प से जोड़ा और यमुना तट पर जाकर योग किया। जम्मू-कश्मीर में चिनाब ब्रिज, जो दुनिया का सबसे ऊँचा रेलवे ब्रिज है, वहाँ भी लोगों ने योग किया। हिमालय की बर्फीली चोटियाँ और ITBP के जवान, वहाँ भी योग दिखा, साहस और साधना साथ-साथ चले। गुजरात के लोगों ने भी एक नया इतिहास रचा। वडनगर में 2121 (इक्कीस सौ इक्कीस) लोगों ने एक साथ भुजंगासन किया और नया रिकॉर्ड बना दिया। न्यूयॉर्क, लंदन, टोक्यो, पेरिस, दुनिया के हर बड़े शहर से योग की तस्वीरें आई और हर तस्वीर में एक बात खास रही, शांति, स्थिरता और संतुलन। इस बार की theme भी बहुत विशेष थी, ‘Yoga for One Earth, One Health, यानि, ‘एक पृथ्वी – एक स्वास्थ्य’। ये सिर्फ एक नारा नहीं है, ये एक दिशा है जो हमें ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ का अहसास कराती है। मुझे विश्वास है, इस बार के योग दिवस की भव्यता ज्यादा से ज्यादा लोगों को योग को अपनाने के लिए जरूर प्रेरित करेगी।

मेरे प्यारे देशवासियो, जब कोई तीर्थयात्रा पर निकलता है, तो एक ही भाव सबसे पहले मन में आता है, “चलो, बुलावा आया है”। यही भाव हमारे धार्मिक यात्राओं की आत्मा है। ये यात्राएं शरीर के अनुशासन का, मन की शुद्धि का, आपसी प्रेम और भाईचारे का, प्रभु से जुड़ने का माध्यम है। इनके अलावा, इन यात्राओं का एक और बड़ा पक्ष होता है। ये धार्मिक यात्राएं सेवा के अवसरों का एक महाअनुष्ठान भी होती है। जब कोई भी यात्रा होती है तो जितने लोग यात्रा पर जाते हैं उससे ज्यादा लोग तीर्थयात्रियों की सेवा के काम में जुटते हैं। जगह-जगह भंडारे और लंगर लगते हैं। लोग सड़कों के किनारे प्याऊ लगवाते हैं। सेवा-भाव से ही Medical Camp और सुविधाओं की व्यवस्था की जाती है। कितने ही लोग अपने खर्च से तीर्थयात्रियों के लिए धर्मशालाओं की, और, रहने की व्यवस्था करते हैं।

साथियो,

लंबे समय के बाद कैलाश मानसरोवर यात्रा का फिर से शुभारंभ हुआ है। कैलाश मानसरोवर यानी भगवान शिव का धाम। हिन्दू, बौद्ध, जैन, हर परंपरा में कैलाश को श्रद्धा और भक्ति का केंद्र माना गया है। साथियो, 3 जुलाई से पवित्र अमरनाथ यात्रा शुरू होने जा रही है और सावन का पवित्र महीना भी कुछ ही दिन दूर है। अभी कुछ दिन पहले हमने भगवान जगन्नाथ जी की रथयात्रा भी देखी है। ओडिशा हो, गुजरात हो, या देश का कोई और कोना, लाखों श्रद्धालु इस यात्रा में शामिल होते हैं। उत्तर से दक्षिण, पूरब से पश्चिम, ये यात्राएं ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ के भाव का प्रतिबिंब है। जब हम श्रद्धा भाव से, पूरे समर्पण से और पूरे अनुशासन से अपनी धार्मिक यात्रा सम्पन्न करते हैं तो उसका फल भी मिलता है। मैं यात्राओं पर जा रहे सभी सौभाग्यशाली श्रद्धालुओं को अपनी शुभकामनाएँ देता हूँ। जो लोग सेवा भावना से इन यात्राओं को सफल और सुरक्षित बनाने में जुटे हैं, उन्हें भी साधुवाद देता हूँ।  

मेरे प्यारे देशवासियो, अब मैं आपको देश की दो ऐसी उपलब्धियों के बारे में बताना चाहता हूँ, जो आपको गर्व से भर देंगी। इन उपलब्धियों की चर्चा वैश्विक संस्थाएं कर रही हैं। WHO यानी ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन’ और ILO यानी International Labour Organization ने देश की इन उपलब्धियों की भरपूर सराहना की है। पहली उपलब्धि तो हमारे स्वास्थ्य से जुड़ी है। आप में से बहुत से लोगों ने आँखों की एक बीमारी के बारे में सुना होगा – Trachoma। ये बीमारी Bacteria से फैलती है। एक समय था जब ये बीमारी देश के कई हिस्सों में आम थी। ध्यान नहीं दिया जाए, तो इस बीमारी से धीरे-धीरे आँखों की रोशनी तक चली जाती थी। हमने संकल्प लिया कि Trachoma को जड़ से खत्म करेंगे। और मुझे आपको ये बताते हुए बहुत खुशी है कि – ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन’ यानी WHO ने भारत को Trachoma free घोषित कर दिया है। अब भारत Trachoma मुक्त देश बन चुका है। ये उन लाखों लोगों की मेहनत का फल है, जिन्होंने बिना थके, बिना रुके, इस बीमारी से लड़ाई लड़ी। ये सफलता हमारे health workers की है। ‘स्वच्छ भारत अभियान’ से भी इसे मिटाने में बड़ी मदद मिली। ‘जल जीवन Mission’ का भी इस सफलता में बड़ा योगदान रहा। आज जब घर-घर नल से साफ पानी पहुँच रहा है, तो ऐसी बीमारियों का खतरा कम हो गया है। ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन’ WHO ने भी इस बात की सराहना की है कि भारत ने बीमारी से निपटने के साथ-साथ उसके मूल कारणों को भी दूर किया है।

साथियो,

आज भारत में ज्यादातर आबादी किसी-ना-किसी social protection benefit का फायदा उठा रही है और अभी हाल ही में International Labour Organization – ILO की बड़ी अहम Report आई है। इस Report में कहा गया है कि भारत की 64% (sixty-four percent) से ज्यादा आबादी को अब कोई-ना-कोई Social Protection Benefit जरूर मिल रहा है। सामाजिक सुरक्षा – ये दुनिया की सबसे बड़ी coverage में से एक है। आज देश के लगभग 95 करोड़ (ninety-five crore) लोग किसी-न-किसी social security योजना का लाभ पा रहे हैं, जबकि, 2015 तक 25 करोड़ से भी कम लोगों तक सरकारी योजनाएं पहुँच पाती थी।

साथियो,

भारत में स्वास्थ्य से लेकर सामाजिक सुरक्षा तक, हर क्षेत्र में देश saturation की भावना से आगे बढ़ रहा है। ये सामाजिक न्याय की भी उत्तम तस्वीर है। इन सफलताओं ने एक विश्वास जगाया है, कि आने वाला समय और बेहतर होगा, हर कदम पर भारत और भी सशक्त होगा।

मेरे प्यारे देशवासियो, जन-भागीदारी की शक्ति से, बड़े-बड़े संकटों का मुकाबला किया जा सकता है। मैं आपको एक audio सुनाता हूँ, इस audio में आपको उस संकट की भयावहता का अंदाजा लगेगा। वो संकट कितना बड़ा था, पहले वो सुनिए, समझिए। 

Audio…. मोरारजी भाई देसाई

[आखिर ये जो ज़ुल्म हुआ दो साल तक, जुल्म तो 5-7साल से शुरू हो गया था। मगर वो शिखर पर पहुँच गया है दो साल में, जब emergency लोगों पर थोप दी और अमानुषीय बर्ताव लोगों के साथ किया गया। लोगों के स्वतंत्रता के हक छीन लिए गए, अखबारों को कोई स्वतंत्रता न रही। न्यायालय बिल्कुल निर्बल बना दिए गए। और जिस ढंग से एक लाख से ज्यादा लोगों को jailमें बंद कर दिये, और फिर अपने मनमानी राज की ओर से होती रही। उसकी मिसाल दुनिया के इतिहास में भी मिलना मुश्किल है]

साथियो,

ये आवाज देश के पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमान मोरारजी भाई देसाई की है। उन्होंने संक्षेप में, लेकिन बहुत ही स्पष्ट तरीके से Emergency के बारे में बताया। आप कल्पना कर सकते हैं, वो दौर कैसा था! Emergency लगाने वालों ने ना सिर्फ हमारे संविधान की हत्या की बल्कि उनका इरादा न्यायपालिका को भी अपना गुलाम बनाए रखने का था। इस दौरान लोगों को बड़े पैमाने पर प्रताड़ित किया गया था। इसके ऐसे अनेक उदाहरण हैं, जिन्हें कभी भी भुलाया नहीं जा सकता। George Fernandez साहब को जंजीरों में बांधा गया था। अनेक लोगों को कठोर यातनाएं दी गई। ‘मीसा’ (MISA) के तहत किसी को भी ऐसे ही गिरफ्तार कर लिया जाता था। Students को भी परेशान किया गया। अभिव्यक्ति की आजादी का भी गला घोंट दिया गया।

साथियो,

उस दौर में जो हजारों लोग गिरफ्तार किए गए, उन पर ऐसे ही अमानवीय अत्याचार हुए। लेकिन ये भारत की जनता का सामर्थ्य है, वो झुकी नहीं, टूटी नहीं और लोकतंत्र के साथ कोई समझौता उसने स्वीकार नहीं किया। आखिरकार, जनता-जनार्दन की जीत हुई – आपातकाल हटा लिया गया और आपातकाल थोपने वाले हार गए। बाबू जगजीवन राम जी ने इस बारे में बहुत ही सशक्त तरीके से अपनी बातें रखी थी।

#Audio#

[बहनों और भाइयो, पिछला चुनाव, चुनाव नहीं था। भारत की जनता का एक महान अभियान था। उस समय की परिस्थितियों को बदल देने का तानाशाही की धारा को मोड़ देने का और भारत में प्रजातंत्र के बुनियाद को मजबूत कर देने का]

अटल जी ने भी तब अपने ही अंदाज में जो कुछ कहा था, वो भी हमें जरूर सुनना चाहिए –

#Audio#

[बहनों और भाइयो, देश में जो कुछ हुआ, उसे केवल चुनाव नहीं कह सकते। एक शांतिपूर्ण क्रांति हुई है। लोकशक्ति की लहर ने लोकतंत्र की हत्या करने वालों को इतिहास के कूड़ेदान में फेंक दिया है]

साथियो,

 देश पर Emergency थोपे जाने के 50 वर्ष कुछ दिन पहले ही पूरे हुए हैं। हम देशवासियों ने ‘संविधान हत्या दिवस’ मनाया है। हमें हमेशा उन सभी लोगों को याद करना चाहिए, जिन्होंने Emergency का डटकर मुकाबला किया था। इससे हमें अपने संविधान को सशक्त बनाए रखने के लिए निरंतर सजग रहने की प्रेरणा मिलती है।    

मेरे प्यारे देशवासियो, आप एक तस्वीर की कल्पना कीजिए। सुबह की धूप पहाड़ियों को छू रही है, धीरे-धीरे उजाला मैदानों की ओर बढ़ रहा है, और उसी रौशनी के साथ बढ़ रही है फुटबॉल प्रेमियों की टोली। सीटी बजती है और कुछ ही पलों में मैदान तालियों और नारों से गूंज उठता है। हर Pass, हर Goal के साथ लोगों का उत्साह बढ़ रहा है। आप सोच रहे होंगे कि ये कौन सी खूबसूरत दुनिया है? साथियो, ये तस्वीर असम के एक प्रमुख क्षेत्र बोडोलैंड की वास्तविकता है। बोडोलैंड आज अपने एक नए रूप के साथ देश के सामने खड़ा है। यहां के युवाओं में जो ऊर्जा है, जो आत्मविश्वास है, वो फुटबॉल के मैदान में सबसे ज्यादा दिखता है। बोडो Territorial Area में, बोडोलैंड CEM Cup का आयोजन हो रहा है। ये सिर्फ एक Tournament नहीं है, ये एकता और उम्मीद का उत्सव बन गया है। 3 हज़ार 700 से ज़्यादा टीमें, करीब 70 हज़ार खिलाड़ी, और उनमें भी बड़ी संख्या में हमारी बेटियों की भागीदारी। ये आँकड़े बोडोलैंड में बड़े बदलाव की गाथा सुना रहे हैं। बोडोलैंड अब देश के खेल नक्शे पर, Sports के map पर, अपनी चमक और बढ़ा रहा है|

साथियो,

एक समय था जब संघर्ष ही यहाँ की पहचान थी। तब यहाँ के युवाओं के लिए रास्ते सीमित थे। लेकिन आज उनकी आँखों में नए सपने हैं और दिलों में आत्मनिर्भरता का हौंसला है। यहाँ से निकले फुटबॉल खिलाड़ी अब बड़े स्तर पर अपनी पहचान बना रहे हैं। हालीचरण नारजारी, दुर्गा बोरो, अपूर्वा नारजारी, मनबीर बसुमतारी -ये सिर्फ फुटबॉल खिलाड़ियों के नाम नहीं हैं – ये उस नई पीढ़ी की पहचान है जिन्होंने बोडोलैंड को मैदान से राष्ट्रीय मंच तक पहुंचाया। इनमें से कई ने सीमित संसाधनों में अभ्यास किया, कई ने कठिन परिस्थितियों में अपने रास्ते बनाए, और आज इनका नाम लेकर देश के कितने ही नन्हें बच्चे अपने सपनों की शुरुआत करते हैं।

साथियो,

अगर हमें अपने सामर्थ्य का विस्तार करना है तो सबसे पहले हमें अपनी Fitness और Wellbeing पर ध्यान देना होगा। वैसे साथियो, Fitness के लिए, Obesity कम करने के लिए मेरा एक सुझाव आपको याद है ना ! खाने में 10% तेल कम करो, मोटापा घटाओ। जब आप Fit होंगे, तो जीवन में और ज्यादा Super Hit  होंगे।

मेरे प्यारे देशवासियो, हमारा भारत जिस तरह अपनी क्षेत्रीय, भाषाई और सांस्कृतिक विविधता के लिए जाना जाता है उसी तरह, कला, शिल्प और कौशल की विविधता भी हमारे देश की एक बड़ी खूबी है। आप जिस क्षेत्र में जाएंगे, वहाँ की कुछ-न-कुछ खास और local चीज के बारे में आपको पता चलेगा । हम अक्सर ‘मन की बात’ में देश के ऐसे unique products के बारे में बात करते हैं। ऐसा ही एक product है मेघालय का एरी सिल्क (Eri Silk)। इसे कुछ दिन पहले ही GI Tag मिला है। एरी सिल्क (Eri Silk) मेघालय के लिए एक धरोहर की तरह है। यहाँ की जनजातियों ने, खासकर ख़ासी (Khasi) समाज के लोगों ने पीढ़ियों से इसे सहेजा भी है, और अपने कौशल से समृद्ध भी किया है। इस सिल्क की कई ऐसी खूबियाँ हैं, जो इसे बाकी fabric से अलग बनाती हैं। इसकी सबसे खास बात है इसे बनाने का तरीका, इस सिल्क को जो रेशम के कीड़े बनाते हैं, उसे हासिल करने के लिए कीड़ों को मारा नहीं जाता है, इसलिए इसे, अहिंसा सिल्क भी कहते हैं। आजकल दुनिया में ऐसे products की demand  तेजी से बढ़ रही है, जिनमें हिंसा न हो, और प्रकृति पर उनका कोई दुष्प्रभाव न पड़े, इसलिए, मेघालय का एरी सिल्क (Eri Silk) global market के लिए एक perfect product है। इसकी एक और खास बात है, ये सिल्क (Silk) सर्दी में गरम करता है, और गर्मियों में ठंडक देता है। इसकी ये खूबी इसे ज़्यादातर जगहों के लिए अनुकूल बना देती है। मेघालय की महिलाएं अब Self Help Group के जरिए अपनी इस धरोहर को और बड़े scale पर आगे बढ़ा रही हैं। मैं मेघालय के लोगों को एरी सिल्क (Eri Silk) को G। Tag  मिलने पर बधाई देता हूँ। मैं आप सबसे भी appeal करूंगा, आप भी एरी सिल्क (Eri Silk) से बने कपड़ों को जरूर try करें और हाँ – खादी, handloom handicraft, Vocal for Local, इन्हें भी आपको हमेशा याद रखना है। ग्राहक भारत में बने product ही खरीदें, और व्यापारी भारत में बने product ही बेचें तो ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ को नई ऊर्जा मिलेगी।

मेरे प्यारे देशवासियो, Women-led Development  का मंत्र भारत का नया भविष्य गढ़ने के लिए तैयार है। हमारी माताएं, बहनें, बेटियां आज सिर्फ अपने लिए ही नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए नई दिशा बना रही हैं। आप तेलंगाना के भद्राचलम की महिलाओं की सफलता के बारे में जानेंगे तो आपको भी अच्छा लगेगा। ये महिलाएं कभी खेतों में मजदूरी करती थीं। रोज़ी रोटी के लिए दिन-भर मेहनत करती थीं। आज वही महिलाएं, millets, श्रीअन्न से biscuit बना रही हैं। ‘भद्राद्री मिलेट मैजिक’ नाम से ये बिस्किट हैदराबाद से लंदन तक जा रहे हैं। भद्राचलम की इन महिलाओं ने Self Help Group से जुड़कर ट्रेनिंग ली ।  

साथियो,

इन महिलाओं ने एक और सराहनीय काम किया है। इन्होंने ‘गिरी सैनिटरी पैड्स’ बनाना शुरू किया। सिर्फ तीन महीने में 40,000 पैड्स तैयार किए और उन्हें स्कूलों और आसपास के ऑफिसों में पहुँचाया – वो भी बहुत ही सस्ती कीमत पर।

साथियो,

 कर्नाटका के कलबुर्गी की महिलाओं की उपलब्धि भी बेहतरीन है। इन्होंने ज्वार की रोटी को एक ब्रांड बना दिया है। इन्होंने जो कॉपरेटिव बनाई है, उसमें हर रोज तीन हजार से ज्यादा रोटियाँ बन रही हैं। इन रोटियों की खुशबू अब सिर्फ गाँव तक सीमित नहीं है। बेंगलुरु में Special Counter खुल चुका है। Online Food Platforms पर order आ रहे हैं। कलबुर्गी की रोटी अब बड़े शहरों के किचन तक पहुँच रही है। इसका बहुत शानदार असर इन महिलाओं पर पड़ा है, उनकी आय बढ़ रही है।

साथियो,

अलग-अलग राज्यों की इन गाथाओं में अलग-अलग चेहरे हैं। लेकिन उनकी चमक एक जैसी है। ये चमक है आत्मविश्वास की, आत्मनिर्भरता की। ऐसा ही एक चेहरा है, मध्यप्रदेश की सुमा उइके, सुमा जी का प्रयास बहुत सराहनीय है। उन्होंने बालाघाट ज़िले के कटंगी ब्लॉक में, Self Help Group से जुड़कर मशरूम की खेती और पशुपालन की training ली। इससे उन्हें आत्मनिर्भरता की राह मिल गई। सुमा उइके की आय बढ़ी तो उन्होंने अपने काम का विस्तार भी किया। छोटे से प्रयास से शुरू हुआ ये सफर अब ‘दीदी कैंटीन’ और ‘Thermal Therapy Centre’ तक पहुँच चुका है। देश के कोने-कोने में ऐसी ही अनगिनत महिलाएं, अपना और देश का भाग्य बदल रही हैं।

मेरे प्यारे देशवासियो,

पिछले दिनों मुझे वियतनाम के बहुत से लोगों ने विभिन्न माध्यमों से अपने संदेश भेजे। इन संदेशों की हर पंक्ति में श्रद्धा थी, आत्मीयता थी। उनकी भावनाएं मन को छूने वाली थीं। वो लोग भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों ‘Relics’ के दर्शन कराने के लिए भारत के प्रति अपना आभार प्रकट कर रहे थे। उनके शब्दों में जो भाव थे, वो किसी औपचारिक धन्यवाद से बढ़कर थे।

साथियो,

मूल रूप से भगवान बुद्ध के इन पवित्र अवशेषों की खोज आंध्र प्रदेश में पालनाडू जिले के नागार्जुनकोंडा में हुई थी। इस जगह का बौद्ध धर्म से गहरा नाता रहा है। कहा जाता है कि कभी इस स्थान पर श्रीलंका और चीन सहित दूर–दूर के लोग आते थे।

साथियो,

पिछले महीने भगवान बुद्ध के इन पवित्र अवशेषों को भारत से वियतनाम ले जाया गया था। वहाँ के 9 अलग–अलग स्थानों पर इन्हें जनता के दर्शन के लिए रखा गया। भारत की ये पहल एक तरह से वियतनाम के लिए राष्ट्रीय उत्सव बन गई। आप कल्पना कर सकते हैं, करीब 10 करोड़ लोगों की आबादी वाले वियतनाम में डेढ़ करोड़ से ज्यादा लोगों ने भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों के दर्शन किए । Social media पर जो तस्वीरें और video मैंने देखे, उन्होंने ये एहसास कराया कि श्रद्धा की कोई सीमा नहीं होती। बारिश हो, तेज धूप हो, लोग घंटों कतारों में खड़े रहे। बच्चे, बुजुर्ग, दिव्यांगजन सभी भाव-विभोर थे। वियतनाम के राष्ट्रपति, उप-प्रधानमंत्री, वरिष्ठ मंत्री, हर कोई नत-मस्तक था। इस यात्रा के प्रति वहाँ के लोगों में सम्मान का भाव इतना गहरा था कि वियतनाम सरकार ने इसे 12 दिन के लिए और आगे बढ़ाने का आग्रह किया था और इसे भारत ने सहर्ष स्वीकार कर लिया।

साथियो,

भगवान बुद्ध के विचारों में वो शक्ति है, जो देशों, संस्कृतियों और लोगों को एक सूत्र में बांधती है। इससे पहले भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेष थाईलैंड और मंगोलिया ले जाए गए थे, और वहाँ भी श्रद्धा का यही भाव देखा गया। मेरा आप सभी से भी आग्रह है कि अपने राज्य के बौद्ध स्थलों की यात्रा अवश्य करें। ये एक आध्यात्मिक अनुभव होगा, साथ ही हमारी सांस्कृतिक विरासत से जुड़ने का एक सुंदर अवसर भी बनेगा।

मेरे प्यारे देशवासियो,

इस महीने हम सबने ‘विश्व पर्यावरण दिवस’ मनाया। मुझे आपके हजारों संदेश मिले। कई लोगों ने अपने आस-पास के उन साथियों के बारे में बताया जो अकेले ही पर्यावरण बचाने के लिए निकल पड़े थे और फिर उनके साथ पूरा समाज जुड़ गया। सबका यही योगदान, हमारी धरती के लिए बड़ी ताकत बन रहा है। पुणे के श्री रमेश खरमाले जी, उनके कार्यों को जानकर, आपको बहुत प्रेरणा मिलेगी। जब हफ्ते के अंत में लोग आराम करते हैं, तो रमेश जी और उनका परिवार कुदाल और फावड़ा लेकर निकल पड़ते हैं। जानते हैं कहाँ? जुन्नर की पहाड़ियों की ओर। धूप हो या ऊंची चढ़ाई, उनके कदम रुकते नहीं। वो झाड़ियाँ साफ करते हैं, पानी रोकने के लिए trench खोदते हैं और बीज बोते हैं। उन्होंने सिर्फ दो महीनों में 70 trench बना डाले। रमेश जी ने कई सारे छोटे तालाब बनाए हैं, सैकड़ों पेड़ लगाए हैं। वो एक Oxygen Park भी बनवा रहे हैं। नतीजा ये हुआ कि यहाँ अब पक्षी लौटने लगे हैं, वन्य जीवन को नई सांसें मिल रही हैं।

साथियो,

पर्यावरण के लिए एक और सुंदर पहल देखने को मिली है, गुजरात के अहमदाबाद शहर में। यहाँ नगर निगम ने ‘Mission for Million Trees’ अभियान शुरू किया है। लक्ष्य है – लाखों पेड़ लगाना। इस अभियान की एक खास बात है ‘सिंदूर वन’। यह वन Operation Sindoor के वीरों को समर्पित है। सिंदूर के पौधे उन बहादुरों की याद में लगाए जा रहे हैं, जिन्होंने देश के लिए सब कुछ समर्पित कर दिया। यहाँ एक और अभियान को नई गति दी जा रही है ‘एक पेड़ माँ के नाम’ इस अभियान के तहत देश में करोड़ों पेड़ लगाए जा चुके हैं। आप भी अपने आपके गाँव या शहर में चल रहे ऐसे अभियान में जरूर हिस्सा लीजिए। पेड़ लगाइए, पानी बचाइए, धरती की सेवा कीजिए, क्योंकि जब हम प्रकृति को बचाते हैं, तो असल में हम अपनी आने वाली पीढ़ियों को सुरक्षित करते हैं।

साथियो,

महाराष्ट्र के एक गाँव ने भी बड़ी शानदार मिसाल पेश की है। छत्रपति संभाजी नगर ज़िले की ग्राम पंचायत है ‘पाटोदा’। ये Carbon Neutral गाँव पंचायत है। इस गाँव में कोई अपने घर के बाहर कचरा नहीं फेंकता। हर घर से कचरा इकट्ठा करने की पूरी व्यवस्था है। यहाँ गंदे पानी का Treatment भी होता है। बिना साफ किए कोई पानी नदी में नहीं जाता। यहाँ उपलों से अंतिम संस्कार होता है और उस राख से दिवंगत के नाम पर पौधा लगाया जाता है। इस गाँव में साफ-सफाई भी देखते ही बनती है। छोटी-छोटी आदतें जब सामूहिक संकल्प बन जाती हैं, तो बड़ा बदलाव तय हो जाता है।

मेरे प्यारे साथियो, इस समय सबकी निगाहें International Space Centre पर भी है। भारत ने एक नया इतिहास रचा है। मेरी कल Group Captain शुभांशु शुक्ला से बात भी हुई है। आपने भी शुभांशु से मेरी बातचीत को जरूर सुना होगा। अभी, शुभांशु को कुछ और दिन International Space Centre रहना है। हम इस Mission के बारे में और बातें करेंगे, लेकिन, ‘मन की बात’ के अगले Episode में।

अब समय है, इस Episode में आपसे विदा लेने का। लेकिन साथियो, जाते-जाते मैं आपको एक खास दिन की याद दिलाना चाहता हूँ। 1 जुलाई, परसों यानि 1 जुलाई को हम दो बेहद महत्वपूर्ण Professions का सम्मान करते हैं, Doctors और CA। ये दोनों ही समाज के ऐसे स्तम्भ हैं, जो हमारी जिंदगी को बेहतर बनाते हैं। Doctor हमारे स्वास्थ्य के रक्षक हैं और CA (Chartered Accountant) आर्थिक जीवन के मार्गदर्शक हैं। मेरी सभी Doctors और Chartered Accountants को ढ़ेर सारी शुभकामनाएं।

साथियो,

आपके सुझावों का मुझे हमेशा इंतज़ार रहता है। ‘मन की बात’का अगला Episode आपके इन्हीं सुझावों से और समृद्ध होगा। फिर मुलाकात होगी, नई बातों के साथ, नई प्रेरणाओं के साथ, देशवासियों की नई उपलब्धियों के साथ। बहुत-बहुत धन्यवाद, नमस्कार।

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