उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य की महिलाओं को प्रतियोगी परीक्षा में 30 फीसदी क्षैतिज आरक्षण पर रोक लगाई, पढ़िए पूरी खबर
24 August. 2022. Nainital. उत्तराखंड हाईकोर्ट ने प्रदेश में महिलाओं को राज्य लोक सेवा आयोग की उत्तराखंड सम्मिलित सेवा, प्रवर सेवा के पदों के लिए आयोजित परीक्षा में 30 फीसदी क्षैतिज आरक्षण देने के सरकार के 2006 के शासनादेश पर रोक लगा दी है। बता दें कि सरकार ने कुछ साल पहले प्रदेश की मूल निवासी महिला अभ्यर्थियों को 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण देने का शासनादेश जारी किया था।
नैनीताल हाईकोर्ट ने प्रदेश में 30 फीसदी क्षैतिज महिला आरक्षण पर रोक लगा दी है। हाईकोर्ट ने सरकारी नौकरी में 30 फीसदी आरक्षण की इस व्यवस्था को असंवैधानिक करार देते हुए कहा कि जन्म के आधार पर किसी को आरक्षण नहीं दिया जा सकता। यह संविधान के अनुच्छेद 16ए और 16बी का उल्लंघन है और आरक्षण तय करने का अधिकार संसद को है, यह राज्य की शक्ति नहीं है।
आपको बता दें कि उत्तराखंड की स्थायी निवासी महिलाओं को सरकारी नौकरी में 30 फीसदी आरक्षण का प्रावधान एनडी तिवारी सरकार से है। जबकि राज्य में इस आरक्षण को लेकर कानून ही वजूद में नही है। सिर्फ जीओ के आधार पर ही इसका लाभ दिया जा रहा है। हाईकोर्ट ने यह निर्णय उत्तराखंड लोक सेवा आयोग की सम्मलित राज्य सिविल प्रवर अधीनस्थ सेवा परीक्षा में दूसरे राज्यों की महिला अभ्यर्थियों की ओर से दायर याचिका के बाद दिया गया है। मामले की सुनवाई बुधवार को चीफ जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस आरसी खुल्बे की खंडपीठ में हुई।
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