उत्तराखंड की पहचान है नथ/नथुली, आधुनिकता ने डिजाइन बदला पर परंपरा वही रही
देवभूमि उत्तराखंड का पहनावा पूरे देश में मशहूर है। अपनी परंपरागत वेशभूषा के लिए उत्तराखंड दुनिया भर में मशहूर है। महिलाएं रूप निखारने के लिए तरह-तरह के आभूषण शुरु से ही पहनती आई हैं। उत्तराखंड की महिलाओं को अलग पहचान दिलाने वाला और उनका रूप निखारने वाला, ऐसा ही एक आभूषण है उत्तराखंडी नथ, पहाड़ी नथ/नथूली जिसकी अपनी अलग ही पहचान है।
जिस तरह से उत्तराखंड प्रदेश दो भाग गढ़वाल और कुमाऊं में बंटा हुआ है ठीक उसी तरह से उत्तराखंडी नथ भी मुख्यतः दो प्रकार की होती हैं। वैसे तो पहाड़ी क्षेत्र में नथ ही मशहूर है लेकिन टिहरी की नथ उत्तराखंड में सबसे ज्यादा मशहूर है। ऐसा माना जाता है कि नथ का इतिहास तब से है जब से टिहरी में राजा रजवाड़ों का राज्य था और राजाओं की रानियां सोने की नथ पहनती थी। ऐसी मान्यता रही है कि परिवार जितना सम्पन्न होगा महिला की नथ उतनी ही भारी और बड़ी होगी। जैसे-जैसे परिवार में पैसे और धनःधान्य की वृद्धि होती थी नथ का वज़न उतना ही बढ़ता जाता था। हालांकि बदलते वक्त के साथ महिलाओं की पसंद भी बदलती जा रही है और भारी नथ की जगह अब स्टाइलिश और छोटी नथों ने ले ली है। लगभग दो दशक पहले तक नथ का वज़न तीन तोले से शुरु होकर पांच तोले और कभी कभार तो 6 तोला तक रहता था। नथ की गोलाई भी 35 से 40 सेमी तक रहती थी। नथ की महत्ता इतनी ज्यादा है कि नथ पहाड़ के किसी भी जरुरी और पवित्र उत्सव में पहना जाता है जैसे कि पूजा पाठ, शादी आदि। नथ का वजन और उसमें लगे हुए मोती परिवार और नथ पहनने वाली और उसके धन धान्य और स्टेटस को दर्शाता हैं। समय बीतता चला गया और समय के हिसाब से नथ का आकार मार्डन कर दिया गया लेकिन पारंपरिक नथ की बात और शान अलग ही होती है। उत्तराखंडी महिलाओं के लिए पांरपरिक नथ एक पूंजी की तरह है जिसको महिला पीढी दर पीढ़ी संजोती हैं और उत्तराखंड की लगभग हर शादी-शुदा महिला के पास नथ जरुर होती ही है।
उत्तराखंड के लोग अपनी संस्कृति और परंपरा को आज भी मानते हैं और नथ को एक शुभ गहने की तरह इस्तेमाल करते हैं खासकर के शादियों में,पहाड़ की शादियों में दुल्हन शादी के दिन पारंपरिक नथ पहन कर ही शादी करती है। हालांकि आकार में काफी बड़ी यह नथ किसी के लिए भी परेशानी का सबब नहीं बनती और पारंपरिक नथ के लिए लोग 10,000 से लेकर 25,000 तक या उससे ज्यादा भी खर्च करने के लिए तैयार रहते हैं। उत्तराखंडी संस्कृति के अनुसार ऐसा माना जाता है कि लड़की के मामा लड़की को शादी के दिन नथ देते हैं, जिसको वो शादी में पहनती है।
ठीक ऐसे ही कुमाऊंनी नथ/नथुली भी लोगों के बीच बहुत पसंद की जाती है। यह नथ सोने की होती है और महिलाएं और लड़कियां इसे बाईं नाक में पहनती है। कुमाऊंनी नथ आकार में काफी बड़ी होती है लेकिन इसपर डिजाइन कम होता है। कुमांऊनी नथ पर ज्यादा काम नहीं होता लेकिन यह बहुत खूबसूरत होती है। पहले की औरतें हर रोज इस नथ को निकालती और पहनती थी क्योंकि इसका आकार इतना बड़ा होता था कि इसकी वजह से महिलाओं को परेशानी होती थी, लेकिन आज की पीढ़ी ने बड़ी नथ को छोटी नथ और नोज़ पिन से बदल दिया है। जिसको पहनना और उतारना आसान होता है। लेकिन नथ का डिजाइन बदलने से यहां कि परंपरा नहीं बदली है और आज भी कुमाऊंनी औरतें शादियों और अन्य उत्सवों में पारंपरिक नथ में दिख ही जाती हैं।
समय के साथ नथ की डिजाइन में बहुत बदलाव आया है और आज लगभग 50 डिजाइन बाजार में उपलब्ध हैं। जैसे कि आजकल की युवतियां पुराने समय के बड़े बड़े नथ पहनने में असहज महसूस करती हैं उनके लिए बाजार में नए प्रकार के छोटे आकार में अलग अलग डिजाइन के नथ उपलब्ध हैं। उत्तराखंडी नथ का क्रेज़ ना केवल पहाड़ों में है बल्कि पारंपरिक गहनों के प्रेमी दूर दूर से उत्तराखंड में आकर अपनी बेटियों के लिए यह पारंपरिक नथ लेते हैं।
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