उत्तराखंड में यहां पैदा हुए थे पांडव, राजा पांडु ने इस मंदिर में की थी तपस्या, जानिए इस जगह को
आज हम आपको उत्तराखंड के योगध्यान बद्री मंदिर के बारे में बताते हैं, ये वह जगह है जहां पांचो पांडव पैदा हुए थे, किंवदंती है कि पांडवों के पिता पांडू ने यहां पर काम क्रीड़ा मेंं लिप्त दो हिरणों को मारने का पश्चाताप किया था, जो पूर्व जन्म मेंं साधू थे और भगवान विष्णु की पूजा की थी। योगध्यान बद्री मंदिर हिन्दूओं के प्रसिद्ध व प्राचीन मंदिर में से एक है। यह मंदिर पांडुकेश्वर में स्थित है। यह मंदिर अलकनंदा नदी के गोविंद घाट के किनारे पर तथा समुद्र तल से लगभग 1,920 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। इस मंदिर का नाम पवित्र ‘सप्त बद्री’ में आता है। यह मंदिर बद्रीनाथ मंदिर की यात्रा के दौरान आता है, जोशीमठ से 18 किलोमीटर की दूरी पर और हनुमान चट्टी से 9 किलोमीटर दूरी पर स्थित है।
ऐसा माना जाता है कि महाभारत के नायक पांच पांडवों के पिता राजा पांडु ने इस स्थान पर भगवान विष्णु की कांस्य की मूिर्त स्थापित की थी। यही वह स्थान है जहां पर पांडव पैदा हुए थे। राजा पांडु ने इस स्थान पर मोक्ष प्राप्त किया था। इस मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति एक ध्यान मुद्रा में स्थापित है इसलिए इस स्थान को ‘योग-ध्यान बद्री’ कहा जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार, महाभारत युद्ध में अपने चचेरे भाई कौरवों को पराजित करने और मारने के बाद पांडव यहां पश्चाताप करने आए थे। उन्होंने अपने राज्य हस्तीनापुर को अपने पोते परीक्षित को सौंप दिया और हिमालय में तपस्या करने के लिए गए थे। बद्रीनाथ मंदिर के कपाट बंद होने पर भगवान बद्रीनाथ की उत्सव-मूर्ति के लिए योगध्यान बद्री को शीतकालीन निवास माना जाता है। इस स्थान पर प्रार्थनाओं के बिना तीर्थयात्रा पूरी नहीं होती।
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