होश उड़ा देंगे आपके ये सरकारी आंकड़े, सरकारों की बेबसी झलकती है इससे
उत्तराखंड के गांवों से लोगों के पलायन होने की खबरें लगातार बढ़ती जा रही हैं। ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग की एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले कुछ सालों में उत्तराखंड के पलायन होने वाले गांवों की संख्या करीब 1628 तक पहुंच गई है। वहीं 10 वर्षों में प्रदेश के 5,02707 लोगों ने 700 से ज्यादा गांव खाली करके छोड़ दिए हैं। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख है कि पलायन की सबसे बड़ी वजह रोजगार के संसाधनों और आजीविका का अभाव है। साथ ही चिकित्सा सुविधा और बेहतर शिक्षा की कमी भी पलायन की बडी वजह है। पलायन करने वालों में 26 से 35 आयुवर्ग के 42 फीसद लोग, 35 वर्ष से अधिक आयु के 29 फीसद लोग और 25 वर्ष से कम आयु वर्ग के 28 फीसद लोग शामिल हैं। गौर करने वाली ये भी बात है कि राज्य में सबसे ज्यादा पलायन टिहरी, रुद्रप्रयाग के अलावा पौड़ी, पिथौरागढ़ एवं अल्मोड़ा में हुआ है। राज्य से होने वाले पलायन में खुशी की बात यह है कि लोगों ने पूरी तरह से गांव को नहीं छोड़ा बल्कि राज्य के अंदर ही पलायन किया है जबकि 29 फीसद ने राज्य से बाहर और एक फीसद ने विदेश में पलायन किया है।
हालही में, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग की रिपोर्ट को सार्वजनिक किया। रिपोर्ट के अनुसार 50.16 फीसद लोगों ने रोजगार के लिए पलायन किया तो 15 फीसद ने शिक्षा और आठ फीसद ने चिकित्सा सुविधा के अभाव के कारण। उत्तराखंड सरकार ने रिपोर्ट के आधार पर नौ पर्वतीय जिलों के 35 विकासखंड चिह्नित किए गए हैं, जिनके विकास के लिए लघु, मध्यम व दीर्घकालीन कार्य योजना तैयार की जाएगी। जिसके 2020 तक सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे।
Photo source- Internet
युधिष्ठिर, Mirror News
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