उत्तराखंड में सूखे की आहट, बर्बाद होने लगी हैंं लाखों हेक्टेयर में लगी फसलें
इस बार सर्दी के मौसम में उत्तराखंड में बारिश काफी कम होने के कारण राज्य सूखे की कगार पर खड़ा हो गया है, अब किसानों की गेहूं की फसल और सेब उत्पादन पर इसका असर दिखने लगा है ! राज्य मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार इस साल अभी तक सर्दी के मौसम में जो बारिश हुई है वह सामान्य से 76% कम है, जो रबी की फसल के लिए अच्छे संकेत नहीं हैंं । दरअसल उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों की अधिकतर जमीन असिंचित है और यहां रबी की फसल पूरी तरह सर्दी के मौसम में होने वाली बारिश पर निर्भर करती है। इसका सबसे ज्यादा असर गेहूं के ऊपर दिखाई दे रहा है, कई जगह किसानों की शिकायत है कि उन्होंने गेहूं बोया था लेकिन बारिश नहीं होने के कारण उसमें अंकुरण ही नहीं हुआ और जहां अंकुरण हुआ, वहां अब छोटे पौधे पीले पड़ने लगे हैं ।
पालक, मेथी, राई, धनिया और प्याज की खेती पर भी इसका असर हो रहा है, राज्य के मैदानी इलाकों में भूमि सिंचित होने के कारण असर नहीं दिखाई दे रहा है लेकिन पहाड़ी इलाकों में रबी की फसल लगभग बर्बाद हो चुकी है। वहीं पहाड़ों में होने वाले फल जैसे सेब, आडू, पूलम , नाशपाती और खुमानी में भी कम बारिश का असर दिखाई दे रहा है। कुल मिलाकर अगर हालात यूं ही बने रहे तो इस बार राज्य के पहाड़ी इलाकों में भारी सूखा पड़ सकता है और किसानों को काफी नुकसान होने वाला है। इस सब को देखते हुए राज्य कृषि विभाग भी हरकत में आ गया है और उसने विभिन्न जिलों में अपने अधिकारियों से हालात का सर्वे करने के लिए कहा है।
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