उत्तराखंड – बीआरओ ने कर दिखाया असंभव को संभव, खुद रक्षा मंत्री ने की तारीफ कहा अब चीन दूर नहीं
उत्तराखंड में कैलाश मानसरोवर मार्ग में चीन सीमा तक सड़क पहुंचाने के लिए सीमा सड़क संगठन ने सबसे बड़ी बाधा पार कर ली है, अगले एक डेढ़ साल के अंदर चीन सीमा के लिपुलेख दर्रे तक वाहनों का आना जाना शुरू हो जाएगा। आपको बता दें कि धारचूला के तवाघाट तक पहले ही मोटर मार्ग बन चुका है और सबसे बड़ी चुनौती तवाघाट से लिपुलेख तक 95 किलोमीटर मार्ग निर्माण की थी, तवाघाट से लखनपुर तक 23 किलोमीटर सड़क का निर्माण सीमा सड़क संगठन पहले ही कर चुका है और वहींं बूंदी गांव और लिपुलेख के बीच में करीब 51 किलोमीटर सड़क भी बन कर तैयार है। सबसे बड़ी परेशानी आ रही थी लखनपुर से बुंंदी को जोड़ने की, क्योंकि ये पहाड़ियां काफी खतरनाक हैंं और यहां का पैदल रास्ता भी काफी खतरनाक था। इसलिए सड़क बनाने में यहां सबसे ज्यादा दिक्कत हुई, लेकिन इसी महीने की 15 तारीख को सीमा सड़क संगठन को सबसे बड़ी सफलता हाथ लगी, जब सीमा सड़क संगठन ने लखनपुर से नजंग को जोड़ दिया। नजंग की पहाड़ियां सबसे खतरनाक थींं और यहां सड़क बनाने में सीमा सड़क संगठन के कई मजदूर और इंजीनियर हादसे में मारे भी गए।
इस सफलता पर देश की रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी सीमा सड़क संगठन की तारीफ की निर्मला ने ट्वीट कर कहा कि ” अब पिथौरागढ़ जिले के मालपा, बूंदी, छियालेख, गर्भाधार, कुटी, गुंजी, नाभीढांग जैसे गांव सड़क मार्ग से जुड़ गए हैं, जिसके लिए सीमा सड़क संगठन तारीफ का पात्र है और जल्द ही कैलास मानसरोवर मार्ग वाहन से तय होगा ” आपको बता दें कि अब नजंग से बूंदी तक सिर्फ 16 किलोमीटर की दूरी है, जिसमें काफी सड़क बन चुकी है और सीमा सड़क संगठन का कहना है कि अब अगले एक डेढ़ साल के अंदर ये सड़क बन जाएगी, जिसके बाद भारत के वाहन चीन सीमा के लिपुलेख दर्रे तक जाने लगेंंगे और कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए रास्ता काफी सरल हो जाएगा ।
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