उत्तराखंड में दर्दनाक बस हादसा, 47 लोगों की मौत – पढ़िए आखिर क्यों नहीं रुकते सड़क हादसे
उत्तराखंड के पौड़ी-गढ़वाल में रविवार की सुबह हुए एक बड़े हादसे ने पूरे देश को हिला कर रख दिया। यह हादसा सुबह 8 बजकर 45 मिनट पर हुआ जब बस पौड़ी-धूमाकोट नैनीडांडा इलाके में पिपली-भौन मोटर मार्ग पर खाई में जा गिरी। बस भौन से रामनगर जा रही थी। बस में 61 लोग सवार थे, जिनमें से 48 लोगों की मौत हो गई है। इस बस हादसे में 13 लोग घायल हुए हैं। सूचना पर पुलिस और प्रशासन की टीम मौके पर पहुंची। टीम ने घायलों को धुमाकोट अस्पताल में भर्ती कराया है और शवों को ग्रामीणों की मदद से बाहर निकाला गया।
रविवार की सुबह खुशी-खुशी जा रहे इन लोगों को क्या पता था कि यह सफर उनकी जिंदगी का अखिरी सफर बन जाएगा। बताया जा रहा है कि बस 32 सीटर है और उसमें 60 यात्री सवार थे। बस सड़क से करीब 60 मीटर नीचे संगुड़ी गदेरे (बरसाती नाले) में गिर गई।
सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने ट्वीट कर पौड़ी जिले के धूमाकोट के पास हुई बस दुर्घटना पर गहरा दुख जताया। उन्होंने कहा, मैंने जिला प्रशासन को तत्काल राहत पहुंचाने के निर्देश दिये हैं। स्थानीय प्रशासन, पुलिस व एसडीआरएफ बचाव कार्य में जुट गए हैं और सभी जरूरी प्रयास किए जा रहे हैं।
मृतकों के आश्रितों को 2-2 लाख रुपये देने की घोषणाा
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने दुर्घटना में मृतकों के आश्रितों को 2-2 लाख रुपए, घायलों को 50-50 हजार रुपये की आर्थिक सहायता राशि अविलम्ब उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। साथ ही कहा, आवश्यक होने पर घायलों को उपचार के लिए देहरादून लाने के लिए हेलीकॉप्टर का भी प्रयोग किया जाएगा।
आखिर उत्तराखंड में क्यों नहीं रुक रहे सड़क हादसे ?
उत्तराखंड में आए दिन सड़क हादसे हो रहे हैं. दो दिन पहले ही उत्तराखंड-हिमाचल बार्डर पर एक बस के गहरी खाई में गिरने से 44 लोगों की मौत हो गई थी. फिर ये हादसे क्यों नहीं रुकते? उत्तराखंड सरकार पहाड़ में आए दिन होने वाले सड़क हादसों से सबक क्यों नहीं लेती? सबक लेती है तो फिर जांच आयोग से आगे बढ़कर कार्रवाई क्यों नहीं करती? ये कुछ बड़े सवाल हर किसे के जहन में हैं।
जांच में पता चला है कि बस की यात्री क्षमता 32 लोगों की थी, लेकिन बस में क्षमता से 28 सवारी ज्यादा बैठाई गई थी। हालांकि प्रशासन मजिस्ट्रेट जांच का हवाला दे रहा है।
मृतकों का पंचनामा भर पोस्टमार्टम की कार्रवाई की जा रही है, हालांकि इस दर्दनाक दुर्घटना ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं, जिसकी जद में परिवहन विभाग, लोक निर्माण विभाग और पुलिस आ रही है। आखिर जब बस चेकपोस्ट से होकर निकली होगी तब संबंधित विभाग के कर्मचारी और अधिकारियों ने बस को चेक क्यों नहीं किया? बस हादसे ने एक बार फिर ये सवाल जरूर खड़ा कर दिए हैं कि आखिर इस दर्दनाक दुर्घटना के लिए कौन जिम्मेदार है? फिर चाहे परिवहन विभाग हो या लोक निर्माण विभाग जिसकी जिम्मेदारी सड़कों की मरम्मत की है। इसके साथ ही पुलिस भी जो अक्सर सड़क पर खड़े होकर वाहनों की चेकिंग करने के दावे करती है तो क्यों इस बस को रोक कर चैक क्यों नहीं किया गया। जब तक दुर्घटनाओं के लिए जिम्मेदार लोगों पर शख्ती से कार्रवाई नहीं होगी, तब तक इस तरह की दुर्घटनाएं सामने आती रहेंगी।
Dharmendra Aarya, Mirror News
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