उत्तराखंड – अब जंगलों में आग की घटनाएं बढ़ रही हैं, हर साल की तरह
उत्तराखंड – अब जंगलों में आग की घटनाएं बढ़ रही हैं, हर साल की तरह
इन दिनों उत्तराखंड के जंगलों भीषण आग की चपेट में आग लगने की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं| सोमवार को बदरीनाथ मंदिर के नजदीक नारायण पर्वत में आग लग गई। शनिवार देर रात से टौंस व गडूगांड नदियों से सटे जरमोला, खरसाडी, मोरा, संद्रा व मोरी लोनिवि निरीक्षण भवन से सटे चीड़ के जंगल में आग लगी हुई थी। वन विभाग कर्मचारियों समेत खरसाडी, डाडाक्यारी व गडूगाड़, भद्रासु के ग्रामीण आग बुझाने के लिए पूरी कोशिश में लगे रहे| लेकिन आग की लपटें इतनी तेज हैं कि वन विभाग की टीम समेत ग्रामीण आग पर काबू पाने में मशक्कत करते रहे। इससे पहले बुधवार को उत्तराखंड के गढ़वाल के कनेरी क्षेत्र के जंगलों में आग फैल गई। चारों ओर धुंआ ही धुंआ फैला हुआ है। जिसके कारण लोगों को सांस लेने में परेशानी हो रही है। यह आग इतनी तेज़ी से फैली कि डिडोली, और नंदप्रयाग के जंगलों तक पहुंच गई। जलते हुए जंगलों में आग पर काबू पाने के लिए गोपेश्वर रेंज वन अधिकारी आरती मैठाणी के नेतृत्व में 14 सदस्यीय टीम मौके पर आग बुझाने में जुटी हुई है।
इधर कुमाउं में पिथौरागढ़-झूलाघाट मार्ग पर मूनाकोट के जंगलों में भीषण आग लगी दिखी। गांव के लोगों का कहना है कि ये आग विगत 2 दिन से जंगल में लगी हुई है। आग धीरे-धीरे मूनाकोट स्कूल और सड़क की ओर फैलती जा रही है। माना जा रहा कि यदि आग पर काबू नहीं पाया तो यह आग चीड़ के हरेभरे जंगलों को व्यापक नुकसान पहुंचायेगी। जिसको देखते हुए वन विभाग यहां भी आग पर काबू करने की काफी कोशिश करता दिखा। जबकि गढ़वाल में शनिवार देर रात सांद्रा व काठी गाड रेंज में छुटपुट आग पर वन कर्मियों ने काबू पा लिया था। लेकिन सीगतूर रेंज के खरसाडी, डाडाक्यारी, जरमोला जंगल में रविवार को भी आग लगी रही। आग बुझाने में वन कर्मियों के साथ-साथ वन पंचायतों का भी सहयोग मिल रहा है। आग बुझाने को मोरी और पुरोला रेंज में आपातकालीन दल बनाए गए हैं। इसके अलावा राज्आय के दूसरे पहाड़ी हिस्गसों के जंगलों में भी छुट-पुट आग लगने की खबरें हैं, आग गांव व बस्ती में न फैले इसके लिए वन कर्मियों को सावधान रहने के निर्देश दिए गए हैं। पहले की अपेक्षा अब बारिश, बर्फबारी में में अंतर और लगातार जलवायु परिवर्तन अब आग को और आमंत्रित करता है, इस बार उत्तराखंड में ही 1,244 हेक्टेयर जंगलें में आग लगने की घटनाएं सामने आ रही हैं। पिछले 16 वर्षों में यहां के लगभग 40 हजार हेक्टेयर जंगलों आंकड़ों के हिसाब से आग की घटनाएं लगातार बढ़ी हैं।
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