देवेन्द्र के साथ आज देखें पलायन के दर्द में डूबा हुआ उत्तराखंड का एक गांव
आज मैं आपको नौगांव-चलनीछीना जिला अल्मोड़ा के बारे में बताता हूं, मैंने इस गांव के कुछ खास पलों को कैमरे मै कैद किया है।
इस गांव से काफी लोग पलायन कर चुके हैं, लोग पलायन केवल आधुनिकता की दौड़ में कर रहे हैं। कुछ पॉलिसी भी सरकार की ठीक नही है। जिससे कार्य करने वालो को प्रोत्साहन मिल सके।
हमारे उतराखण्डी परिवार आर्गनिक जीवन जीते हैं, जिससे बीमारी कम ही रहती है। शुद्व हवा और ठंडे पानी की बात ही निराली है।
वो खेत खलिहान, वो पत्थऱ और मिट्टी का मकान और उसमें की गई लकड़ी की नक्काशियां क्या बेहतर हैं। फिर लोग क्यों पलायन पर मजबुर हो रहे हैं, ये एक बड़ा सवाल है।
अगर थोडा साइंटिफिक तरीके से लोगो को जीना सिखा दिया जाय और कुछ सरकार कुटीर उद्योगों का विस्तार, शिक्षा और रोजगार ठीक कर दे , जिस प्रकार गाँँव गाँँव में सडको का जाल बिछ रहा है। ठीक उसी प्रकार शिक्षा और चिकित्सा और कुछ रोजगार के लिए मदद सरकार कर दे तो अपना उत्तराखण्ड स्वर्ग से कम नहीं और इसका जैसा वातावरण कही और नहीं।
अगर हर कोई अपने गांव मे कुछ न कुछ कर सके तो आने वाले कुछ समय में ही उत्तराखण्ड विकसित राज्यो में एक होगा
आओ सभी मिलकर इसको स्वर्ग बनाएं। आज उत्तराखंड में ऐसे हजारों गांव हैं जो पलायन के कारण खाली हो रहे हैं। हाल ही में जारी उत्तराखंड के पलायन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार पिछले सात सालों में 4000 गांवों से 1 लाख 20 हजार लोग पलायन कर चुके हैं।
Devendra Binwal, Mirror
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