महिलाओं पर बढ़ते यौन हमले, कारण और समाधान पर नीतीश का महत्वपूर्ण लेख पढ़िए
भारत देश जहां मां दुर्गा, मां काली, मां सरस्वती आदि जैसे देवी-देवताओं के रूप में महिलाओं की पूजा की जाती है, वह एक ऐसा देश भी है जहां बाहरी दुनिया में उनका बलात्कार और क्रूरता से छेड़छाड़ की जाती है।
हम दुनिया में रेप के मामलो में भी गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड बना रहे है भारत में हर साल साल में 7000 बलात्कार होते है। आज से ठीक 6 वर्ष पहले दिल्ली की सड़कों पर एक गैंगरेप हुआ था और इस गैंगरेप ने देश के मन में मौजूद आंदोलन की चिंगारी को आग बनाने का काम किया था। सामूहिक बलात्कार की इस वारदात को देश निर्भया रेप केस के नाम से जानता है। मुंबई में एक फोटोजर्नलिस्ट की पुरुषों के समूह ने बलात्कार करके हत्या कर दी और यह स्पष्ट रूप से दिखाता है कि देश में मीडिया के लोग भी असुरक्षित हैं।
बहुत कम लोग जानते है की उस क्रांति की शुरुआत भी एक उत्तराखंड की युवा लड़की की वजह से ही हुई थी जिसकी उम्र सिर्फ 23 वर्ष थी जो दिल्ली से फिजियोथेरेपी की पढ़ाई कर रही थी वो जो अपनी आँखों में सपने लिए उस रात घर से चली तो गयी मगर वो अनजान थी कि जाने ये राहें अब कहा ले जाएँगी। ज़रा आप सोचो उस लड़की पर ओर उसके परिवार पर क्या बीती होगी।
मैं तो उसे शहीद ही कहूँगा जिसकी वजह से सोई हुए सरकारे जागी तो सही ओर उन्होने पुराने कानूनों में बदलाव किए मगर आज भी देश उस बेटी को याद करता है उसके दर्द को महसूस करता है वो जो एक मिसाल बन गयी सबको सोचने पर मजबूर कर गयी कि वास्तव में भारत में महिला सुरक्षित है?
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सिर्फ़ उत्तराखंड की महिलाओं की सुरक्षा ही नही बल्कि देश की हर एक महिला की सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकार की तो है मगर ये सोचना भी सोचना होगा की समाज आज कहाँ जा रहा है। मुझे देवभूमि उत्तराखंड पर इतना गर्व क्यूँ होता है क्यूंकी उत्तराखंड देश का एक मात्र ऐसा राज्य है जो राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) के मुताबिक दर्ज अपराध के आधार पर देश का दूसरा सबसे अच्छा राज्य है।
किसी भी देश में आतंकवाद सिर्फ बॉम्ब फोड़ देने से ही नही होता है किसी भी देश की प्रगती को रोकना हो तो उसमे बीमारियां फैला दो। रेप करना भी एक मानसिक बीमारी ही तो है मगर ये विचार आते कहा से है, क्यूँ भारत में दिनों दिन ये रेप के मामले बढ़ते चले जा रहे है। जबरन यौन संबंध रखने वाले कुछ बुरे पुरुषों के दिमाग में जब भी अश्लील महिलाओं के विचार या इंटरनेट पोर्नोग्राफी आते हैं, तो वो अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए समाज में कुछ महिलाएं और लड़कियो को पीड़ित करते हैं। ये पश्चिमी देशों से आए हुए सभ्यता व संस्कारों का नतीजा है।
भारत के एक राज्य झारखंड में हाल ही में तीन किशोर लड़कियों के साथ बलात्कार किया गया और आग लगा दी गई उनमें से दो की मृत्यु हो गयी और एक गंभीर स्थिति में जिंदगी और मौत से लड़ रही है इन तीन लड़कियों को घर से ही अपहरण कर लिया गया था जब इनके परिवार के लोग शादी में गये हुए थे। भारत में पांच से कम उम्र की लगभग 240,000 शिशु लड़कियों को लिंग भेदभाव के चलते मार डाला जाता है।
एक 17 वर्षीय लड़की, जिसने एक बूढ़े आदमी के विवाह प्रस्ताव को खारिज कर दिया था, उसका बलात्कार किया गया और उसी आदमी द्वारा आग लगा दी गई जिसकी वजह से उसके शरीर का 95 प्रतिशत से अधिक हिस्सा जला गया और वो गंभीर स्थिति में बनी हुई है।
एक महिला दो परिवारों को जोड़ती है और हर किसी की जरूरतों को पूरा करती है सच में हम दुनिया में रेप और महिला उत्पीड़न के मामलो में गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड बना रहे है………..
महिलाओं के खिलाफ बलात्कार-अपराध को कम करने के लिए सरकार और एनजीओ जमीनी स्तर पर काम करे जिससे निर्दोष लोगो का शोषण ना हो सके। महिला पुलिस बढ़ा देने से या कानून सख्त करने से भी क्या रेप रुक रहे है निर्दोष महिलाओं और बच्चों के खिलाफ बलात्कार अपराध को कैसे रोका जा सकता है। ये सोचने का विषय है।
इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि पिछले कुछ सालों में हमने कितना विकास देखा है, भारत अभी भी एक ऐसा देश है जहां समाज की दृष्टि में यौन शिक्षा निषिद्ध है। यह एक विषय है जिसे कुछ ऐसा माना जाता है जिस पर चर्चा नही की जानी चाहिए। भारत में 90% बलात्कार पीड़ित समाज के डर से शिकायत तक नहीं करते है। स्कूल स्तर पर या पारिवारिक स्तर पर यौन शिक्षा की कमी सबसे प्रमुख कारण है क्योंकि इससे किशोरों को अपने शरीर में होने वाले बदलावों के बारे में पता नही होता है और इन सबके बारे में जानने के लिए वे अनैतिक तरीकों का सहारा लेते हैं जो जाने अनजाने उनको बलात्कार नामक अपराध की ओर ले जाता है।
हमने अपनी भारतीय संस्कृति में कई पश्चिमी आदतों को स्थान दिया है, लेकिन जब भारतीय लड़कियों द्वारा पश्चिमी ड्रेसिंग भावना के अनुकूलन की बात आती है तो उनका मूल्यांकन उनके चरित्र के आधार पर किया जाता है। एक ड्रेस कोड एक लड़की या महिलाओं के चरित्र को परिभाषित नहीं कर सकती है यह सिर्फ एक मानसिकता है जो भारत में बलात्कार के मामले में वृद्धि के कारणों में से एक है जो बलात्कारियों के लिए उत्तेजक कपड़ों को दोषी ठहराता है। सदी के महानायक अमिताभ बच्चन की ‘पिंक’ मूवी भी उन प्रश्नों को उठाती है जिनके आधार पर लड़कियों के चरित्र के बारे में बात की जाती है। पिंक मूवी उस पुरुषवादी मानसिकता के खिलाफ एक कड़ा संदेश देती है, जिसमें महिला और पुरुष को अलग-अलग पैमानों पर रखा जाता है।
भारत में 90 प्रतिशत महिलाएं आत्मरक्षा तकनीकों को नहीं जानती हैं जो उन्हें बुराइयों के खिलाफ लड़ाई में सक्षम बनाती हैं। बेहद दुर्भाग्यपूर्ण कहना पड़ रहा है कि भारतीय परिवारों का 60% हिस्सा अभी भी महिलाओं को चार दीवारों की सलाखों में रहने और घरेलू काम करने के लिए मानता हैं। आजादी के 71 साल बाद भी इस मानसिकता को कैसे बदला जाए। ये सोचने का विषय है।
नीतीश जोशी
टेलीकॉम इंजीनियर, उत्तराखंड
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