उत्तराखंड में राष्ट्रीय नेताओं का अकाल है, पढ़िए एक युवा के ज्वलंत विचार
उत्तराखंड में अबतक कितने ही नेता आए ओर गये मगर आजतक कोई भी बड़ा नेता केंद्र सरकार में अपना राजनीतिक दबदबा कायम नही कर पाया है कारण ये भी है की विद्वान लोग राजनीति (पॉलिटिक्स) में नहीं आना चाहते हैं और यह उम्मीद करते रहते हैं कि पहाड़ की हालत सुधर जाए। आज उत्तराखंड में एक काबिल ओर ईमानदार नेता की बहुत कमी है।
नेता का मतलब है एक ऐसा व्यक्ति जो उन चीजों को देख और कर सकता है, जो दूसरे लोग खुद के लिए नहीं कर सकते।
व्यक्ति नेता तब बनता है, जब वह अपनी व्यक्तिगत सीमाओं से आगे बढक़र सोचने लगता है, महसूस करने लगता है, और कार्य करने लगता है। एक अच्छा नेता हमेशा अपने लोगों को सही राह दिखाता है और समस्याओं का कामयाबी से सामना करने के लिए उनमें मज़बूत इरादे और काबिलीयतें पैदा करने में मदद करता है। ऐसा कई बार वह किसी बड़े स्तर पर हो रहे अन्याय की वजह से, तो कई बार संघर्ष के पलों में वह अपनी व्यक्तिगत सीमाओं से आगे बढ़ जाता है।
चाहे बात सितारगंज में 200-एकर में एयरबस जैसी जानी मानी विमान की कंपनी की फॅक्टरी की हो या टेसला मोटर्स की एलेक्ट्रिक कार फॅक्टरी की हो उत्तराखंड के वर्तमान नेताओ में नेतृत्व की कमी है यही कारण है कि आज वहा (SIDCUL) सूक्ष्म और लघु उद्योग ही रह गये है जिनके कारण उत्तराखंड में जायदातर युवा बेरोज़गार है।
उदाहरण के लिए अब तक देश के सभी मेट्रो प्रोजेक्ट केंद्र और राज्य सरकार के संयुक्त उपक्रम के रूप में चल रहे हैं। जिसमें केंद्र और राज्य सरकार करीब 15-15 प्रतिशत की पूंजी लगाती हैं, जबकि शेष प्रोजेक्ट बाजार से लोन लेकर पूरा किया जाता है। लेकिन अब केंद्र सरकार ने प्रोजेक्ट मंजूर करने की शर्तें सख्त कर दी हैं। नई गाइडलाइन के मुताबिक अब राज्य सरकारों को नया प्रोजेक्ट मंजूरी के लिए भेजने से पहले इसके लिए पीपीपी मॉडल के तहत निवेशक भी जुटाने होंगे। भले ही निवेश मेट्रो के कुछ हिस्सों में हो। इससे उत्तराखंड जैसे छोटे राज्य के लिए मेट्रो प्रोजेक्ट शुरू करना मुश्किल हो जाएगा। कारण, उत्तराखंड में मेट्रो रेल के लिए बहुत अधिक यात्री नजर नहीं आ रहे हैं और इस मेट्रो प्रोजेक्ट की लागत 25 हज़ार करोड़ है। इस कारण निजी निवेशक उत्तराखंड मेट्रो में शायद ही रुचि दिखाएं।……..
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………कुशल नेतृत्व के नेता की उपस्थिति इसलिए जरूरी हो जाती है, क्योंकि लोग सामूहिक रूप से जहां पहुंचना चाहते हैं, वहां पहुंच नहीं पा रहे। वे पहुंचना तो चाह रहे हैं, लेकिन उन्हें यह नहीं पता होता कि वहां तक पहुंचा कैसे जाए।
देश राजनीतिक बदलाव चाहता है जिसका उदाहरण आप युवा शक्ति की मिसाल हार्दिक पटेल के रूप मैं देख सकते है। भारत की राजनीति में आज वृद्ध लोगों का ही बोलबाला है और चंद गिने-चुने युवा ही राजनीति में है। इसका एक कारण यह है कि भारत में राजनीति का माहौल दिन-ब-दिन बिगड़ रहा है और सच्चे राजनीतिक लोगों की जगह सत्तालोलुप और धन के लालची लोगो ने ले ली है। राजनीति में देश प्रेम की भावना की जगह परिवारवाद, जातिवाद और संप्रदाय ने ले ली है। आए दिन जिस तरह से नेताओं के भ्रष्टाचार के किस्से बाहर आ रहे है देश के युवा वर्ग में राजनीति के प्रति उदासीनता बढ़ती जा रही है। भारत की जनसंख्या का बड़ा हिस्सा युवाओं का है। युवा शक्ति से देश को मजबूत किया जा सकता है।
भारतीय राजनीति पर एक छोटी कविता जो मैने लिखी है।
राजनीति में इधर भी बूढ़े है उधर भी बूढ़े है,
जिधर देखता हूं बूढ़े ही बूढ़े है,
बूढ़े लूट रहे हिन्दुस्तान को, गरीब फूट-फूट के रो रहा है,
हिन्दुस्तान मैं ये क्या हो रहा है, ये क्या हो रहा है….
क्या ये नेतागिरी अनपढो के लिए है,
क्या ये दिल्ली कि पार्लियामेंट सिर्फ़ बूढ़ो के लिए है?
ग्रॅजुयेट को मिलती नही नोकरीया तक देखो,
और भ्रष्ट नेतागण चला रहे है सरकार देखो….
यहा घोड़ो को मिलती नही है घास देखो,
और बूढ़े खा रहे है च्यवनप्राश देखो,
नही मिट रहा भ्रष्टाचार देखो,
देश बन गया है विदेशी गुलाम देखो….
किसान का बेटा हू आपबीती बतलाता हूं,
कब बदलेगा भारत मेरा ये सोच-सोच कर घबराता हू,
जय जवान जय किसान जहाँ रो रहा हर गरीब नौजवान,
अब ये बता दो कोई हमे कैसे बनेगा भारत महान, कैसे बनेगा भारत महान….
यही वजह है कि भारत के युवा अब इस देश को अपना न समझकर दूसरे देशो में अपना आशियाना खोज रहे हैं। उत्तराखंड में पलायन का यह भी मुख्य कारण है क्यूंकी ज्यादातर पढ़े लिखे युवा आज अमेरिका में जाकर रहने लग गये हैं। वे यहां की राजनीतिक सत्ता और फैले हुए भ्रष्टाचार से दूर होना चाहते हैं। इसलिए वे कोई भी ठोस कदम उठाने से पहले कई-कई बार सोचते हैं। यहां तक कि भारत में वोट डालने वाले युवा को अपने चुने हुए उम्मीदवार पर तक भरोसा नहीं होता है। ऐसे में देश का भविष्य मजबूत है ये सोचना होगा।
आज कॉर्पोरेट जगत की चका चाँद भरी जिंदगी ओर बेहिसाब पैसे की चाहत मैं काम कर रहे उत्तराखंड के युवा भूल रहे है की राज्य को इनके योगदान की ज़रूरत है। भारत में बहुत से लोग एक विशेष क्षेत्र में अपने अच्छे काम के लिए जाने जाते हैं और भारत सरकार उन्हें विभिन्न राष्ट्रीय पुरस्कारों के साथ सम्मान प्रदान करती है। ये भारतीय नागरिक पुरस्कार विभिन्न श्रेणियों में दिए जाते हैं। देश में भारत रत्न, पद्म श्री, पदम भूषण और पदम विभूषण जैसे भारत सरकार द्वारा आम लोगों को पुरस्कार दिए गए हैं। भारत के इन सभी राष्ट्रीय पुरस्कारों को भारत के राष्ट्रपति द्वारा दिया जाता है। उत्तराखंड के गोविंद बल्लभ पंत को सन 1957 में भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया गया। गोविंद बल्लभ पंत प्रसिद्ध स्वतन्त्रता सेनानी और वरिष्ठ भारतीय राजनेता थे।
उत्तराखंड के आशीष डाबरल उत्साही छात्रों को सिखाने के लिए गुड़गांव से अपने गांव देवीखेत-पौड़ी गढ़वाल में सप्ताहांत के दौरान लगभग 720 किमी (लगभग 20 घंटे) यात्रा करते हैं। विश्व प्रसिद्ध अजीत डोभाल, ममता रावत जिन्होने 2013 के उत्तराखंड बाढ़ में हजारों लोगों को बचाया था और शैलेश उप्रेती जिन्होने अमेरिका में सबसे लंबे समय तक चलने वाली बैटरी बनाने के लिए 34 करोड़ रुपये का पुरस्कार जीता था। यह वो उत्तराखंडी हैं जो अपने जीवन पर एक फिल्म के लायक हैं।
अब सोचना होगा की कैसे राज्य और फिर देश बदल सकता है। उत्तराखंड को भारत का नंबर वन राज्य बनाने के लिए ज़्यादा से ज़्यादा युवओ को किसी ना किसी रूप में अपना योगदान देना होगा और उत्तराखंड की राजनीति और प्रशासन में युवाओं की भागीदारी को बढ़ाया जाए ताकि आने वालो वर्षो में युवा विद्वान लोग उत्तराखंड की राजनीति में आए जिससे उत्तराखंड राज्य में फिर से खुशी की लहर ऐसे आए मानो सरसो के पीले फूल खिल रहे हो।
नीतीश जोशी
टेलीकॉम इंजीनियर, उत्तराखंड
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