विश्व जल दिवस : उत्तराखंड के धारे और नौले, जरूरत है इन्हें पुनर्जीवित करने की, नहीं तो प्यासे रहेंगे पहाड़
उत्तराखंड के पहाड़ों से उत्तर भारत की अधिकतर नदियां निकलती हैं, यहां से निकली नदियां कई लोगों की प्यास बुझाती हैं, लेकिन विडंबना है कि देश के एक बड़े हिस्से की प्यास बुझाने वाला उत्तराखंड खासकर गर्मी के मौसम में कई जगहों पर खुद प्यासा रहता है। इन जगहों पर लोगों को पानी का इंतजाम करने में काफी मशक्कत करनी पड़ती है। पिछले कुछ समय में उत्तराखंड में कई सारी योजनाओं के जरिए इस परेशानी को दूर करने की कोशिश की गई, दरअसल इन योजनाओं के तहत उत्तराखंड के पहाड़ों में कई जगहों पर हैंडपंप लगाए गए और कई जगहों पर पंपिंग स्टेशनों के जरिए नदी या छोटे नालों जैसे जल स्रोतों से पानी पहुंचाया गया। उसके बावजूद भी उत्तराखंड में पहाड़ों का एक बड़ा हिस्सा गर्मी के वक्त काफी परेशान रहता है, कई जलस्रोत सूख जाते हैं और हैंडपंपों में पानी नहीं रहता, ऐसे में उत्तराखंड के पारंपरिक जल स्रोतों धारों और नौलों की बात करनी काफी जरूरी हो जाता है।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार इस समय भी टिहरी, पौड़ी और अल्मोड़ा जिले के कई हिस्सों में पीने के पानी की समस्या काफी विकराल है। यह समस्या हाल के दिनों में ज्यादा बढ़ी है। दरअसल लंबे समय से उत्तराखंड में लोग पीने के पानी के लिए पारंपरिक जल स्रोतों धारों और नौलों पर आश्रित थे। हाल के समय में कई जगहों पर नल का पानी आने, जंगलों का अनियंत्रित दोहन और निर्माण कार्यों के लिए किए जा रहे ब्लास्टिंग या दूसरे कारणों से उत्तराखंड के आधे धारे और नौले सूख चुके हैं, इनकी हालत काफी खराब हो चुकी है। ऐसे में अब जरूरत है कि उत्तराखंड के इन धारों और नौलों को पुनर्जीवित किया जाए।
इसके लिए धारों और नौलों के आसपास वर्षा जल के संचयन और चौड़ी पत्ती वाले पौधे लगाने होंगे। उतीश और बांज जैसे पेड़ पानी बढ़ाते हैं। जहां नौले हैं उसके आसपास बारिश के वक्त पर छोटे-छोटे गड्ढे खोदे जा सकते हैं। इन गड्ढों में बारिश का पानी जमा होने के बाद भूमिगत जल भी रिचार्ज होगा। इस संबंध में विश्व जल दिवस के अवसर पर देश में एक अभियान चलाया जा रहा है। कैच द रेन नाम का यह अभियान प्रधानमंत्री मोदी की ओर से शुरू किया जा रहा है। राज्य को भी इस अभियान का फायदा उठाना चाहिए और अपने पारंपरिक जल स्रोतों धारों और नौलो को एक बार फिर से पुनर्जीवित करना चाहिए, नहीं तो आधे भारत की प्यास बुझाने वाले उत्तराखंड के पहाड़ों की प्यास बुझाने में काफी परेशानी आएगी और यह बढ़ते ही जाएगी।
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