उत्तराखंड : चमोली हादसे का कारण अमेरिकी वैज्ञानिकों ने बताया, कहा ऐसी घटनाएं और बढ़ेंगी
उत्तराखंड के चमोली जिले के नीति घाटी में रैणी गांव के पास आई प्राकृतिक आपदा का अध्ययन जहां भारतीय वैज्ञानिक और कई एजेंसियां कर रही हैं वहीं इस घटना पर दुनिया भर की भी नजर बनी हुई है। अमेरिका के भू वैज्ञानिकों की सर्वोच्च संस्था अमेरिकन जियोफिजिकल यूनियन ने भी इस घटना का अध्ययन किया। घटना का अध्ययन करने के बाद जियोफिजिकल यूनियन ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इस तरह की घटनाएं दुनिया के बर्फीले पहाड़ों में और बढ़ सकती हैं। चमोली की घटना को लेकर जियोफिजिकल यूनियन ने चौंकाने वाला खुलासा किया है, यूनियन की तरफ से घटनास्थल की सेटेलाइट तस्वीर भी जारी की गई है।
यूनियन ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि चमोली जिले में जिस जगह पर यह प्राकृतिक आपदा आई है वहां 5600 मीटर की ऊंचाई से बड़ी-बड़ी चट्टानें और लाखों टन बर्फ 3800 मीटर तक नीचे जा गिरी। अमेरिकन जियोफिजिकल यूनियन के वैज्ञानिकों का दावा है कि करीब 2 किलोमीटर ऊपर से बड़ी-बड़ी चट्टानों और बर्फ के नीचे गिरने के कारण इस इलाके में तापमान काफी बढ़ गया था, तापमान के बढ़ने के कारण आसपास की बर्फ काफी तेजी से पिघलने लगी और पानी में बदलने लगी और यही पानी जल प्रलय के रूप में आगे बढ़ा जिसके कारण काफी नुकसान हुआ।
वैज्ञानिकों ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि जिस तरह से धरती का तापमान बढ़ रहा है और ग्लोबल वार्मिंग का खतरा धीरे-धीरे दिख रहा है, ऐसे में दुनिया में चमोली जैसी घटनाएं और बढ़ेंगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि देशों को इस तरह की घटनाओं के लिए अभी से सावधान हो जाना चाहिए। आपदा के बाद केंद्र और राज्य सरकार की ओर से आई त्वरित प्रतिक्रिया की भी अमेरिकी वैज्ञानिकों ने तारीफ की है, वैज्ञानिकों ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 2012 में नेपाल में आई आपदा के बाद सरकार ने प्रतिक्रिया दिखाने में काफी देरी कर दी थी लेकिन उत्तराखंड में आई आपदा के बाद केंद्र और राज्य सरकार ने त्वरित गति से राहत और बचाव कार्य शुरू किया है।Source : https://blogs.agu.org/
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