Uttarakhand टिहरी डैम 15 साल में पहली बार पूरा भरा, 830 मीटर हो गई अब गहराई, पूरी क्षमता का होगा दोहन
ऋषिकेश-24.09.2021 टिहरी बांध परियोजना के इतिहास में 24 सितंबर, 2021 उल्लेखनीय दिन साबित हुआ, जब टिहरी जलाशय में जल स्तर पहली बार 830 मीटर के पूर्ण जलाशय स्तर को छुआ । यद्यपि यह परियोजना पिछले 15 वर्षों से लगातार 1000 मेगावाट की पीकिंग पावर के साथ-साथ पेयजल एवं सिंचाई के लिए जल, बाढ़ नियंत्रण, मछली पालन, पर्यटन इत्यादि जैसे अन्य लाभ प्रदान कर रही है परन्तु फिर भी इसकी पूर्ण क्षमता का उपयोग नहीं किया जा सका। चूंकि टिहरी जलाशय का स्तर पूर्ण जलाशय स्तर (एफआरएल), ईएल 830 मीटर तक नहीं भरा गया। टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड के द्वारा परियोजना के लंबित पुनर्वास मुद्दों को उदार दृष्टिकोण से हल करने के बाद विद्युत मंत्रालय, भारत सरकार एवं उत्तराखंड सरकार के सक्रिय सहयोग से इस विशालकाय लक्ष्य को प्राप्त किया जा सका। इसके बाद उत्तराखंड सरकार ने जनता के व्यापक हितों को दृष्टिगत रखते हुए 25 अगस्त, 2021 को टिहरी जलाशय के स्तर को ईएल 830 मीटर तक भरने की अनुमति प्रदान की । इससे पूर्व टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड को टिहरी जलाशय को पूर्ण स्तर तक भरने की अनुमति नहीं थी तथा परियोजना से जल एवं विद्युत की पूरी क्षमता का दोहन नहीं हो पा रहा था।
टिहरी बांध परियोजना भागीरथी नदी पर एक बहुउद्देश्यीय जल विद्युत परियोजना है और टिहरी बांध अर्थ एंड रॉक फिल बांधों (Earth and Rock fill Dam) में तीसरा सबसे ऊंचा बांध है तथा यह विश्व के सभी प्रकार के सबसे ऊंचे बांधों में 10वें स्थान पर है। टिहरी परियोजना में 260.5 मी. ऊंचा अर्थ एंड रॉक फिल बांध (Earth and Rock fill Dam) एवं एक भूमिगत विद्युत गृह (underground power house) शामिल है। पावर हाउस में 04 मशीनें लगी हैं जिनमें प्रत्येक मशीन की क्षमता 250 मेगावाट है। टिहरी बांध परियोजना में मानसून के दौरान लगभग 2615 एमसीएम (MCM) बाढ़ के अधिशेष पानी को संग्रहित करने की क्षमता है । मानसून के पश्चात, संग्रहित जल उत्तर प्रदेश के गंगा के मैदानी इलाकों में 8.74 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई में काम आता है तथा नई दिल्ली की लगभग 40 लाख आबादी के लिए 300 क्यूसेक पेयजल और उत्तर प्रदेश की लगभग 30 लाख आबादी के लिए 200 क्यूसेक पेयजल उपलब्ध कराता है। वास्तविक अर्थ में टिहरी परियोजना दिल्ली और आगरा की पेयजल आवश्यकताओं को पूरा करती है । परियोजना की वजह से टिहरी कमांड क्षेत्र के किसान वर्ष में 3 फसलों का उत्पादन करने में भी सक्षम हुए हैं। टिहरी बांध लीन पीरियड (lean period) के दौरान गंगा नदी में अतिरिक्त पानी छोड़ता है जिससे हरिद्वार और प्रयागराज में विभिन्न “पवित्र स्नान” और “पर्वों” के लिए जल की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके । यह उत्तराखण्ड सरकार एवं उत्तर प्रदेश सरकार की मांग के अनुसार “कुंभ मेला” के दौरान गंगा नदी में जल का समुचित प्रवाह बनाए रखना सुनिश्चित करता है । टिहरी जल विद्युत संयंत्र उत्तरी ग्रिड को 1000 मेगावाट की पीकिंग पावर और सालाना 3000 मिलियन यूनिट से अधिक ऊर्जा प्रदान करता है, जिसमें से 12% उत्तराखंड राज्य को नि:शुल्क प्रदान की जाती है।
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