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मुख्यमंत्री ने कहा राज्य में पहले से काफी बढ़ी है रोड कनेक्टिविटी, रुद्रप्रयाग में काली गंगा प्रथम लघु जल विद्युत परियोजना का लोकार्पण किया

मुख्यमंत्री ने कहा राज्य में पहले से काफी बढ़ी है रोड कनेक्टिविटी, रुद्रप्रयाग में काली गंगा प्रथम लघु जल विद्युत परियोजना का लोकार्पण किया

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by February 4, 2021 News

दिनांक 4 फरवरी 2021 : जनपद रुद्रप्रयाग में स्थित यूजेवीएन लिमिटेड की काली गंगा प्रथम लघु जल विद्युत परियोजना का लोकार्पण मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा किया गया। काली गंगा प्रथम लघु जल विद्युत परियोजना जिला रुद्रप्रयाग के उखीमठ विकासखंड में काली गंगा नदी पर कालीमठ कोटमा मार्ग पर स्थित है। ये परियोजना दिनांक 15-16 जून 2013 में आई अतिवृष्टि एवं बाढ़ से क्षतिग्रस्त हो गई थी एवं विद्युत गृह बह जाने के कारण परियोजना से उत्पादन बंद हो चुका था। सुदूरवर्ती क्षेत्र के लिए परियोजना के महत्व को देखते हुए वर्ष 2016 में परियोजना के पुनर्निर्माण कार्य प्रारंभ किए गए। सुदूरवर्ती एवं दुर्गम क्षेत्र में होने के कारण परियोजना के निर्माण कार्य में कई बाधाओं का सामना भी करना पड़ा। अंततः परियोजना को जुलाई 2020 में सफलतापूर्वक सिंक्रोनाइज कर 33kv वितरण लाइन से जोड़ दिया गया था।

रुद्रप्रयाग में मुख्यमंत्री ने विभिन्न विभागों की कुल लागत 85 करोड़ 94 लाख की योजनाओं का लोकार्पण एवं शिलान्यास किया। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने तिलवाड़ा स्थित गढ़वाल मंडल विकास निगम (जीएमवीएन) परिसर में हिलांस के आउटलेट का लोकार्पण किया। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने कहा कि काश्तकारों के स्थानीय उत्पादों को वैल्यू एडेड करके हिलांस उन्हें अच्छा बाजार उपलब्ध करवा रहा है।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने रुद्रप्रयाग में प्रेसवार्ता करते हुए कहा कि हमारी सरकार ने कनेक्टीवीटी पर काफी काम किया है। हमारा मानना है कि सड़कें विकास की धुरी होती हैं। सड़कों से होकर ही विकास के रास्ते पर जा सकते हैं।गांवों को सड़कों से जोड़ने के लिए प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना बहुत महत्वपूर्ण है। हमारी सरकार ने पीएमजीएसवाई पर विशेष रूप से फोकस किया है। मुख्यमंत्री ने कहा  कि वर्तमान में भारत सरकार द्वारा इन स्थानों पर 127 सेतुओं के निर्माण और उन पर 330 करोड़ की सैद्धांतिक स्वीकृति मिल चुकी है।  साथ ही पीएमजीएसवाई-1 के अंतर्गत पूर्व में निर्मित 121 कच्चे  मार्गों के डामरीकरण के लिए 530 करोड़ की भारत सरकार द्वारा सैद्धांतिक स्वीकृति प्रदान कर दी गई है। इस तरह से स्टेज-2 के तहत 860 करोड़ की लागत के कुल 248 कार्यों के लिए सैद्धांतिक स्वीकृति भारत सरकार से प्राप्त होने से उक्त मार्गों पर पूर्व में किया गया खर्च भी सार्थक होगा और ये सड़कें पक्की बन जाएंगी। इससे ग्रामीण लोगों का आवागमन सरल होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर आंकड़ों पर गौर किया जाए तो स्पष्ट होता है कि पीएमजीएसवाई में पहले की तुलना में  हमारी सरकार के कार्य काल में कही ज्यादा काम हुआ है। वर्ष 2000 से लेकर मार्च 2017 तक राज्य में पीएमजीएसवाई के तहत 10,263 किलोमीटर लंबाई के संपर्क मार्गों की स्वीकृति मिली, इसके लिए 4001 करोड़ की राशि स्वीकृत हुई थी। इसके सापेक्ष 7,529 किलोमीटर लंबाई की सड़क मार्ग का कार्य पूरा किया गया। इस पर 2810 करोड़ की राशि खर्च हुई। जबकि स्वीकृत 1299 बसावटों के सापेक्ष 955 बसावटों को संपर्क मार्ग से जोड़ा गया। हमारी सरकार में मार्च, 2017 से 31 दिसंबर, 2020 तक कुल 8892 किलोमीटर लंबाई की सड़क स्वीकृत हुई। इसके लिए 5308 करोड़ की राशि की स्वीकृति मिली। इसके सापेक्ष लगभग पौने चार साल में 7431 किलोमीटर लंबाई की सड़क बन चुकी है। इस पर 3209 करोड़ की धनराशि व्यय की गई। कुल स्वीकृत 573 बसावटों के सापेक्ष लक्ष्य से ज्यादा 645 बसावटों को सड़क मार्ग से जोड़ा गया। इसी वित्तीय वर्ष 2020-21 में आज की तिथि तक पीएमजीएसवाई के तहत बनने वाली सड़कों पर 822 करोड़ की राशि खर्च कर 1800 किलोमीटर लंबाई में मार्गों का निर्माण किया गया है।

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