जोशीमठ का एक्शन प्लान, कैसे बचाया जा रहा है लोगों को इस भयंकर आपदा से
10 Jan. 2023. Chamoli. जोशीमठ में जमीन धंसने की घटना के बाद इलाके में सुरक्षा और बचाव कार्य युद्ध स्तर पर शुरू हो गया है, दरारों के कारण जर्जर हो चुके भवनों को गिराने के आदेश दिए गए हैं, जिसके बाद जोशीमठ के दो होटलों को गिराने की प्रक्रिया सबसे पहले शुरू हुई है। होटल मलारी इन और माउंट व्यू को गिराने की प्रक्रिया सबसे पहले शुरू हुई है, इन दोनों होटलों के आसपास रहने वाले लोगों के लिए एसडीआरएफ की ओर से घरों को खाली करने की मुनादी जारी की गई है। दरअसल भूधंसाव के कारण इन दोनों होटलों को काफी नुकसान हुआ है और यहां लगातार दरार आ रही है। ऐसे में आसपास के घरों को बचाने के लिए विशेषज्ञ समिति द्वारा इन दोनों होटलों को गिराना जरूरी माना जा रहा है। प्रशासन की ओर से यहां भूधंसाव की जद में आकर दरारों के कारण जर्जर हो चुके भवनों को सबसे पहले गिराने के आदेश जारी किए गए हैं।
जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण चमोली द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार जोशीमठ नगर क्षेत्र के कुल 9 वार्ड में 678 भवन प्रभावित हुए है। जबकि सुरक्षा की दृष्टि से होटल माउंट व्यू व मलारी इन होटल का संचालन पहले ही ऐहतियातन बंद कर दिया गया था। अब तक 81 परिवारों को विभिन्न अस्थायी स्थानों पर विस्थापित किया है। प्रशासन द्वारा जोशीमठ नगर क्षेत्र अंतर्गत निवास करने योग्य 213 कमरों की क्षमता वाले कुल 16 भवनों को चयनित किया गया है जिसमे कुल 1191 लोगो को ठहराया जा सकता है। वहीं नगर पालिका क्षेत्र जोशीमठ के बाहर पीपलकोटी में जिला प्रशासन द्वारा अस्थायी आवासीय व्यवस्था हेतु 491 कमरों के कुल 20 भवनों को चयनित किया गया है जिसमे कुल 2205 लोगों को ठहराया जा सकेगा।
प्रशासन की ओर से एक कोर डेंजर जोन बनाया गया है जिसमें गांधीनगर, परसारी, सुनील और मनोहर बाग वार्ड हैं, इस इलाके में मौजूद भवनों में सबसे ज्यादा दरार हैं और यहां सबसे ज्यादा भवन जर्जर हो चुके हैं, इन्हीं भवनों को सबसे पहले खाली कराया गया है, उसके बाद शहर के अन्य इलाकों में भी भवनों की लगातार जांच की जा रही है और लोगों को इलाका खाली करने के नोटिस दिए जा रहे हैं।
केंद्र सरकार की ओर से जल शक्ति मंत्रालय की टीम शहर में मौजूद है और यहां की स्थिति का अध्ययन कर रही है, वहीं केंद्रीय गृह मंत्रालय की एक टीम भी यहां की स्थिति का आकलन करने के लिए जोशीमठ पहुंचने वाली है। प्रधानमंत्री कार्यालय के आदेश के बाद राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की टीम रविवार को यहां पहुंची थी, इस टीम के साथ मुख्यमंत्री की एक उच्च स्तरीय बैठक भी हुई। एनडीएमए सदस्यों का सुझाव था कि भूधसांव क्षेत्र में पानी कहां रूका हुआ है तथा भूधसांव के कारण क्या हैं, इसका पता लगाया जाना जरूरी है। इसके लिये सभी संबंधित संस्थानों के वैज्ञानिकों का सक्रिय सहयोग लिया जायेगा ताकि समस्या का समाधान हो। साथ ही आपदा पीड़ितों के पुनर्वास हेतु चयनित स्थलों का भी भूगर्भीय सर्वेक्षण पर ध्यान दिया जाय। इस समस्या के स्थायी समाधान की दिशा में भी कार्य योजना बनाये जाने तथा इस संबंध में सभी संस्थानों द्वारा दी गई रिपोर्टों पर की जाने वाली कार्यवाही एक छत के नीचे हो ताकि अध्ययन रिपोर्टों का त्वरित लाभ प्राप्त हो।
वहीं मौसम विभाग के पूर्वानुमान ने भी अब यहां चिंता बढ़ा दी है, दरअसल उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में अब तक बर्फबारी नहीं के बराबर हुई है। मौसम विभाग का पूर्वानुमान है कि अब पश्चिमी विक्षोभ थोड़ा सक्रिय हो रहा है, ऐसे में पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी शुरू हो सकती है। जोशीमठ में अगर बारिश हो और बर्फबारी शुरू होती है तो हालात बिगड़ सकते हैं।
वहीं शहर के मारवाड़ी क्षेत्र में जो जलधारा फूटी थी उसमें पानी का बहाव पहले से कुछ कम हो रहा है, इस जलधारा पर नजर रखने वाले जेपी कंपनी के लोगों का कहना है की बहाव में पहले से कुछ कमी आई है।
मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु ने मंगलवार को सचिवालय में जोशीमठ भू-धंसाव के सम्बन्ध में एक बैठक ली। मुख्य सचिव ने जिलाधिकारी चमोली से क्षेत्र की अद्यतन स्थिति की जानकारी ली। उन्होंने जिलाधिकारी चमोली को स्थिति पर लगातार नजर बनाए रखने के निर्देश दिए। कहा कि प्रभावित क्षेत्र को पूर्ण रूप से खाली करवाया जाए।
मुख्य सचिव ने कहा कि भूस्खलन से किसी प्रकार का जानमाल का नुकसान न हो इसके लिए सबसे पहले परिवारों को शिफ्ट किया जाए और उस बिल्डिंग को प्राथमिकता के आधार पर ध्वस्त किए जाए जो अधिक खतरनाक साबित हो सकती है। जिन स्थानों पर प्रभावित परिवारों को रखा गया है, उन स्थानों पर उनके रहने खाने की उचित व्यवस्था हो। साथ ही यह भी ध्यान रखा जाए कि प्रभावित नागरिकों एवं शासन प्रशासन के मध्य किसी प्रकार का कम्युनिकेशन गैप न हो। उच्चाधिकारी भी लगातार प्रभावित परिवारों के संपर्क रहें, और परिस्थितियों पर नजर बनाए रखें।
मुख्य सचिव ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि भू-धंसाव के कारण मोबाइल नेटवर्क भी प्रभावित हो सकता है। मोबाइल टावर अन्यत्र सुरक्षित स्थान में शिफ्ट कर अथवा नए टावर लगा कर संचार व्यवस्था को मजबूत बनाया जाए। उन्होंने कहा कि स्थानीय लोगों को साथ लेकर एक असेसमेंट कमिटी बनाई जाए। प्रतिदिन पूरे क्षेत्र में टीम भेज कर निरीक्षण करवाया जाए कि पिछले 24 घंटे में क्षेत्र में किस प्रकार का और कितना परिवर्तन हुआ हुआ है, जो भवन अधिक प्रभावित हैं उन्हें प्राथमिकता पर ध्वस्त किया जाए।
मुख्य सचिव ने कहा कि जोशीमठ के स्थिर क्षेत्र के लिए ड्रेनेज और सीवेज प्लान पर भी काम शुरू किया जाए। भवनों को ध्वस्त करने में विशेषज्ञों का सहयोग लिया जाए ताकि ध्वस्तीकरण में कोई अन्य हानि न हो। साथ ही, कंट्रोल रूम को 24 घंटे एक्टिव मोड पर रखा जाए, और आमजन को किसी भी प्रकार की आपात स्थिति में संपर्क करने हेतु प्रचार प्रसार किया जाए।
इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव श्री आनन्द बर्द्धन, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जोशीमठ से सचिव आर. मीनाक्षी सुंदरम, सचिव नितेश कुमार झा, अरविंद सिंह ह्यांकी, डॉ. रंजीत सिन्हा एवं बृजेश कुमार संत सहित वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आयुक्त गढ़वाल सुशील कुमार एवं जिलाधिकारी चमोली हिमांशु खुराना सहित अन्य उच्चाधिकारी उपस्थित थे।
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