Haridwar अखाड़ों के पीछे हटने से सरकार पर दबाव, कुंभ को समाप्त करने की हो सकती है आधिकारिक घोषणा
हरिद्वार में चल रहे महाकुंभ को समय से पहले समाप्त किया जा सकता है, लगातार अखाड़ों की ओर से खुद ही महाकुंभ को समाप्त करने की घोषणा करने और राज्य में बढ़ती जा रही कोरोनावायरस की स्थिति को देखते हुए उत्तराखंड सरकार पर कुंभ को समाप्त करने का दबाव बढ़ता जा रहा है।
बताया जा रहा है कि एक महत्वपूर्ण बैठक में मुख्यमंत्री के द्वारा अधिकारियों के साथ स्थिति की समीक्षा करने के बाद यह फैसला लिया जा सकता है। इससे पहले निरंजनी अखाड़ा और एक अन्य महत्वपूर्ण अखाड़े के द्वारा खुद ही हरिद्वार कुंभ को 17 अप्रैल को समाप्त करने की घोषणा की जा चुकी है। दरअसल हरिद्वार में श्रद्धालुओं और कुछ साधु-संतों में भी कोरोनावायरस की पुष्टि हुई है, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष भी कोरोनावायरस संक्रमित हो चुके हैं, वही विशेषज्ञों द्वारा हरिद्वार में जल में स्नान करने के बाद पानी के द्वारा संक्रमण के फैलने को संभावना जताई जा रही है। इन सभी तथ्यों को देखते हुए सरकार के ऊपर कुंभ को वक्त से पहले समाप्त करने का दबाव है, दरअसल हरिद्वार में 3 महीने का कुंभ होना था लेकिन कोरोनावायरस की स्थिति को देखते हुए सरकार के द्वारा आधिकारिक रूप से 1 अप्रैल से 30 अप्रैल तक ही महाकुंभ की घोषणा की गई थी।
महाकुंभ का मुख्य शाही स्नान हो चुका है इस बार महामारी के खतरे को देखते हुए यहां ज्यादा संख्या में श्रद्धालु भी नहीं आ रहे, इस सबके बीच हरिद्वार जिले में कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है, कुछ अखाड़ों के साधु संत भी कोरोनावायरस संक्रमित बताए जा रहे हैं। एक जानकारी के अनुसार उत्तराखंड सरकार विभिन्न अखाड़ों के साधु-संतों के हरिद्वार छोड़ने से पहले उन्हें टीका लगवाने की सलाह देने के विकल्पों पर भी सोच रही है।
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