Uttarakhand खाना छोड़कर सिर्फ नदी को देख रही बेजुबान, आपदा में इसका सबकुछ हुआ खत्म
उत्तराखंड के चमोली जिले में ऋषि गंगा नदी में आया जल प्रलय न सिर्फ इंसानों के लिए काल साबित हुआ बल्कि यह जानवरों को भी जख्म देकर गया है। ऋषि गंगा नदी में तपोवन और रैणी गांव के पास आए इस जल प्रलय में 200 के करीब लोग लापता हो गए तो वहीं कहीं जानवर भी लापता हो गए।
इस आपदा में जुआग्वार और पेंग गांव के कई बकरियां और खच्चर लापता हो गए तो वहीं ऋषि गंगा में बने पावर प्रोजेक्ट को नुकसान होने के बाद जहां तपोवन स्थित टनल में फंसे हुए 35 लोगों को बचाने के लिए राहत और बचाव दल दिन रात मेहनत कर रहे हैं तो वही एक ऐसा बेजुबान जानवर भी सामने आया है जिसका सब कुछ इस जल प्रलय में नष्ट हो गया।
ऋषि गंगा नदी के तट पर ऐसी ही एक बेजुबान मां 7 फरवरी से लगातार सवेरे आकर बैठ रही है, शाम तक लगातार टकटकी लगाकर ऋषि गंगा नदी को देखते रहती है, स्थानीय लोगों द्वारा इस बेजुबान को कुछ खाने को देने पर यह खाना भी नहीं खाती है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि ऋषि गंगा नदी में आई बाढ़ में इस बेजुबान के बच्चे भी बह गए हैं, इसी कारण यह तब से काफी दुखी है, वहीं इसको खाना देने वाले प्रोजेक्ट में काम करने वाले मजदूर भी इसके सामने बह गए।
इंसानों के साथ साथ जानवरों को भी इस आपदा से काफी नुकसान हुआ है, सीमांत के 2 गांव के सैकड़ों पालतू जानवर भी इस बाढ़ में बह गए। बाढ़ के वक्त यह पालतू जानवर नदी के किनारे अपना भोजन तलाश रहे थे।
वहीं तपोवन की बड़ी टनल में फंसे हुए लोगों को तलाशने का अभी काम जारी है, हालांकि वक्त बीतने के साथ-साथ राहत एवं बचाव दलों की आशा भी अब धीरे-धीरे धूमिल हो रही है। ऋषि गंगा से लेकर धौलीगंगा तक तटों पर राहत एवं बचाव दल शवों को खोज रहे हैं। रैणी गांव से ऊपर ऋषि गंगा में झील बनने की खबर मिलने के बाद एसडीआरएफ और दूसरी विशेषज्ञ टीमें वहां तक पहुंची हैं हालांकि तात्कालिक रूप से इस झील से किसी तरह की और बाढ़ का खतरा नहीं बताया जा रहा है।
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