उत्तराखंड में आपदा स्थल के उद्गम में खोया है खुफिया परमाणु यंत्र, अमेरिका और भारत ने चीन पर नजर रखने के लिए कभी……
ऋषि गंगा नदी उत्तराखंड के नंदा देवी ग्लेशियर से निकलती है इसी नदी में काफी पानी आ जाने के कारण उत्तराखंड के चमोली जिले के रैणी गांव के पास जान-माल का भारी नुकसान हुआ है। ऐसे में एक पुरानी जानकारी खबरों के हवाले से फिर सामने आने लगी है, 1965 में नंदा देवी ग्लेशियर से नंदा देवी पर्वत तक जाने के लिए अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए और भारतीय खुफिया एजेंसी आईबी के साथ-साथ अन्य एजेंसियों की टीम एक खुफिया यंत्र लगाने के लिए नंदा देवी पर्वत पर जा रही थी। यह खुफिया यंत्र चीन की जासूसी करने के लिए था, इस खुफिया यंत्र में भारी मात्रा में परमाणु ईंधन प्लूटोनियम मौजूद था। इस यंत्र को पूरी की पूरी टीम बर्फीला तूफान आने के कारण नंदा देवी पर्वत तक नहीं पहुंचा पाई थी, यंत्र को आधे रास्ते में ही छोड़ कर टीम वापस आ गई थी। 1966 में जब इस यंत्र को खोजने के लिए टीम दोबारा वहां पर पहुंची तो यंत्र गायब था।
वरिष्ठ पर्वतारोही कैप्टन एमएस कोहली उस वक्त सीआईए, आईबी और तत्कालीन टूटू इस्टैब्लिशमेंट की टीम के हिस्सा थे, दरअसल 1964 में चीन में शिंजियांग प्रांत में परमाणु परीक्षण किया था, चीन पर नजर रखने के लिए अमेरिका और भारत की खुफिया एजेंसी नंदा देवी पर्वत में इस यंत्र को लगाना चाहती थी, यह एक सीक्रेट मिशन था। वरिष्ठ पर्वतारोही कैप्टन एमएस कोहली इस यंत्र के गायब हो जाने के बाद वर्षों तक ऋषि गंगा नदी में परमाणु विकिरण का पता लगाने वाली टीम का भी हिस्सा थे। कैप्टन एमएस कोहली ने कई बार मीडिया से बातचीत में बताया है कि यंत्र काफी गर्म था और यह माना जा रहा था कि प्लूटोनियम से भरा यह यंत्र नंदा देवी पर्वत की गहरी बर्फ में कहीं दब गया होगा। बाद में कई सालों तक इस यंत्र को इस इलाके में गुप्त रूप से खोजा भी गया।
इस सबके बीच कैप्टन कोहली ने मीडिया से बातचीत में कहा है कि यंत्र परमाणु रूप से काफी सक्रिय था, इसमें हिरोशिमा में उपयोग हुए परमाणु हथियार से आधी मात्रा में प्लूटोनियम मौजूद है, ऐसे में नंदा देवी ग्लेशियर में काफी बर्फ टूटने और हिमस्खलन जैसे कारणों को देखते हुए इस यंत्र को खोजने की एक बार फिर से कोशिश करनी चाहिए।
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