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उत्तराखंड : महिला पर कमेंट के बाद हो गई 3 लोगों की हत्या, कातिल ने बताई खौफनाक कहानी

उत्तराखंड : महिला पर कमेंट के बाद हो गई 3 लोगों की हत्या, कातिल ने बताई खौफनाक कहानी

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by October 31, 2019 All, News

उत्तराखंड में हाल ही में हुए तिहरे हत्याकांड में पुलिस को बड़ी सफलता मिली है, पुलिस ने हत्यारोपी को गिरफ्तार कर लिया है। यह घटना उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में हुई थी जहां जिला मुख्यालय के पास एक गांव में एक घर से 3 शव बरामद हुए थे। ये तीनों शव नेपाली मजदूरों के थे, घटना के बाद पुलिस ने कई कड़ियों को जोड़ते हुए हत्यारोपी को गिरफ्तार कर लिया है। दरअसल 26 अक्टूबर की देर शाम पुलिस को सूचना मिली कि ग्राम मड़-खड़ायत के तोक मड़धुरा को जाने वाले मार्ग में जंगल में बने मकान में तीन शव पड़े हैं, जिसका अन्यंत वीभत्स तरीके से गला रेता गया है। यह तीनों शव नेपाली मजदूरों के थे और इनकी हत्या भी एक नेपाली मजदूर ने की थी, आइए आपको बताते हैं कि कातिल नेपाली मजदूर ने पूरे वाकये को किस तरह बयां किया..

धन बहादुर बोरा उर्फ धनै बोरा उर्फ धनुवा से की गयी पूछताछ में उसके द्वारा बताया गया कि मैं दिनांक 22.10.19 को मुनस्यारी से पिथौरागढ़ आया था। 22.10.19 को मैं अपने रिश्ते के जीजा फगुवा बोरा के वहां सत्कार होटल के पास रूका था। 23 एवं 24.10.19 केा जागरी होटल धर्मशाला लाईन में रूका। दिनांक 25.10.19 की सांय मेरी मुलाकाल मेरे गांव के चाचा बीर बहादुर उर्फ बिरूआ के साथ जागरी होटल के पास हुई। उसके द्वारा कहा गया कि मेरा भाई हरीश बोरा मड़-खड़ायत में रहता है। रात केा रूकने के लिये वही चलते है। वही पर खायेंगे-पियेंगे। इस पर हमने बाजार से मीट व शराब आदि खरीदा और लाशघर रोड के पास टैक्सी स्टेंड से बिरूआ ने 200 रूपये में मड़-खड़ायत के लिये एक कमांडर जीप बुक की और हम करीब 0530 बजे चले। मड़ खडायत से मड़धुरा (घटनास्थल) को पैदल जाते समय हम दोनों से शराब पी। मड़धुरा पहुंचकर कमरे में काशी बोरा व हरीश बोरा मिले किन्तु कलावती (चाची) वहां नही थी। फिर हमने मिलकर मीट बनाना प्रारम्भ किया। इस दौरान हमने शराब पी। शराब कम होने के कारण काशी बोरा आसपास से शराब लेने की लिये चला गया। इस दौरान मीट बनाते हुए मैने अपने चाचा हरीश बोरा से कहा कि चाची कहां चली गयी। हरीश ने बताया कि मैने उसे पैसे दिये थे वो नेपाल चली गयी है और उसका फोन भी नही लग रहा है। इसपर मैने कहां कि तमने ऐसी औरत क्यों रखी है जो बार-बार भाग जाती है। पहले भी माघ में दिल्ली भाग गयी थी। औरत पर तुम्हारा कंट्रोल नही और तुम्हारे बस का कुछ नही है और कितनी औरतें रखेगा। इस बात पर हरीश को गुस्सा आ गया तथा हमारा वाद-विवाद होने लगा। इसी दैारान काशी बोरा भी शराब लेकर आ गया। काशी बोरा, कलावती का दूर का रिश्तेदार लगता है जिससे वह बोला कि तू कौन होता है यह सब बोलने वाला तथा मुझे थप्पड़ व लात-घूंसे मारे। हरीश ने भी मेरे साथ मारपीट की, माँ-बहन की गंदी-गंदी गालियां दी तथा कहां कि बड़ा आया मीट खाने वाला हमारा …………. (प्राईवेट पार्ट) खा ले। जिस पर मुझे भी गुस्सा आ गया। बीर बहादुर उर्फ बिरूआ चाचा ने बीच-बचाव कर मामला शांत किया। उसके बाद हमने किचन में (गोठ का कमरा) फिर दारू पी तथा मीट खाने लगे। खाने के दौरान नशे में काशी बोरा ने मेरे साथ फिर गाली-गलौच शुरू कर दी तथा तवा उठाकर मुझे मारने का प्रयास किया। बिरूआ मुझे लेकर उपर के कमरे में आ गया जहां पर बिरूआ चारपाई में बैठ गया और में वहीं कमरे में नीचे बैठकर बीड़ी पीने लगा। हरीश बोरा भी बड़बड़ाता/गाली करता हुआ उसी कमरे में आ गया तथा चारपाई पर बैठ गया। इसी दौरान बिरूआ लघुशंका हेतु बाहर चला गया। हरीश बेारा से मेरा फिर से विवाद हुआ तो उसने मुझे मारने के लिये कमरे में रखी दरांती उठा ली। इस पर मैने वहीं पर पड़े सिलबट्टे को उठाकर हरीश के सिर में 02 बार मारा जिससे वह वही बिस्तर पर गिरकर तड़फने लगा। आवाज सुनकर नीचे किचन के कमरे से काशी बोरा तवा लेकर आ गया और कमरे के दरवाजे के पास से मुझे तवे से मारने की कोशिश की किन्तु तवे का हेंडल उखड़ गया और तवा वहीं दरवाजे के बाहर गिर गया। मैने उसी सिलबट्टे से काशी बोरा के मुंह पर लगातार वार करते हुए उसे सामने के दूसरे कमरे की ओर धक्का दे दिया। काशी दूसरे कमरे की चारपाई पर गिरकर तड़़फने लगा। इसी दौरान बिरूआ लघुशंका से वापस आ गया। वहां के हालात देखकर वह चिल्लाया और हरीश बोरा वाले कमरे में पड़ी दराती उठाकर मेरी ओर आया तो मैने हाथ में पकड़ा सिलबट्टा फैंककर उसे मारा जिससे वह उस कमरे में नीचे लगे बिस्तरे पर गिर गया मैने उसके हाथ से दरांती छीनकर उस पर वार कर दिया। तीनेां लोग तड़फ रहे थे। इसके बाद मैने नीचे किचन में जाकर थोड़ी शराब पी। शराब पीने के बाद में गुस्से में फिर उपर आया और तीनों पर दरांती, चाकू और तवे से कई वार किये और दरांती से उनके गुप्तांग काट दिये। हरीश बोरा के गले से खून का फव्वारा निकल रहा था तो मैने खून से अपने को बचाने के लिये वही पर पड़ा पीला कपड़ा उसके गले में लपेट दिया। तीनों को मैने उनके बिस्तरों पर ही कंबल आदि से ढ़क दिया। मैने वहां से मिले मोबाईल, अपनी खून लगी जैकेट, टोपी और एक कंबल केा किचन में ले जाकर जला दिया। आग सेंकते हुए मैने बची हुई शराब भी पी ली। मैं डर गया था। मैने उपर कमरे में जिसमें हरीश और बिरूआ दोनों पड़े थे उसके बाहर से ताला लगाकर और दूसरे कमरे में कुंडा लगाकर खुला ताला लटका दिया। उसके बाद में रात में ही मड़-खड़ायत की ओर पैदल चल पड़ा। रास्ते में मैने चाबी फेंक दी। रास्ते में 2-3 घंटा छिपे रहा और प्रातः हल्का उलाजा हेाने पर पैदल रई पुल के पास पहुंचा जहां से मैने मुनस्यारी के लिये जीप पकड़ी। पकड़े जाने के डर से मैं नेपाल भागना चाह रहा था। गाड़ी बदल-बदल कर आ रहा था तो थल से पिथौरागढ़ के बीच में पुलिस ने मुझे पकड़ लिया। 

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