उत्तराखंड : चार धाम यात्रा तैयारियां तेज, आपदा के बाद पहली बार आबाद होगी गरुड़चट्टी, विष्णु ने अपना गरुड़ उतारा था यहां
उत्तराखंड में जल्द ही चार धाम यात्रा शुरू होने वाली है, जहां एक ओर 7 मई को गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट खोल दिए जाएंगे वहीं 9 मई को बाबा केदारनाथ धाम के कपाट खोल दिए जाएंगे। इन इलाकों में भारी बर्फबारी होने के बावजूद भी प्रशासन इस बार की चार धाम यात्रा को सुगम बनाने के लिए अपनी पूरी कोशिश में लगा हुआ है। बाहर से आने वाले पर्यटकों के स्वागत के लिए उत्तराखंड तैयार हो रहा है इसको लेकर ऋषिकेश से चार धाम तक के सभी पड़ाव पर होटल व्यवसाई और ट्रांसपोर्ट से जुड़े व्यवसाय के लोगों में काफी उत्साह है। इस बार बाबा केदारनाथ धाम की यात्रा करने वालों को गरुड़ चट्टी जाने का मौका मिलेगा, राज्य में आई आपदा में गरुड़ चट्टी और रामबाड़ा पूरी तरह बर्बाद हो गए थे, जो केदारनाथ धाम से पहले प्रमुख पड़ाव थे। कहा जाता है कि भगवान विष्णु जब केदारनाथ आए थे तो उन्होंने अपने वाहन गरुड़ को गरुड़ चट्टी में ही उतारा था इसीलिए इस जगह का नाम गरुड़ चट्टी पड़ा।
वर्ष 2013 में आई आपदा के बाद से यह चट्टी वीरान है, आपदा से पहले गौरीकुंड से केदारनाथ जाने वाला पैदल मार्ग रामबाड़ा और गरुड़चट्टी से होकर गुजरता था, लेकिन मंदाकिनी नदी के उफनती लहरों ने रामबाड़ा का अस्तित्व ही समाप्त कर दिया और इसी के साथ यह रास्ता भी तबाही की भेंट चढ़ गया। वर्ष 2014 से यात्रा का रास्ता बदल दिया गया। इसके बाद यह चट्टी सूनी हो गई थी, दैनिक जागरण अखबार की एक रिपोर्ट के अनुसार गरुड़चट्टी अब फिर से आबाद होगा। केदारनाथ से गरुड़चट्टी तक साढ़े तीन किलोमीटर लंबा और चार मीटर चौड़ा मार्ग बनकर तैयार है।
आपको बता दें कि केदारनाथ के विकास के लिए जहां एक और राज्य सरकार आपदा के बाद लगातार काम कर रही है तो वहीं प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में प्रधानमंत्री कार्यालय भी यहां के विकास पर लगातार नजर रख रहा है। गरुड़चर्ट्टी के विकास को लेकर नरेंद्र मोदी ने निजी रुचि भी दिखाई थी।
वर्ष 2017 में केदारनाथ पुनर्निर्माण कार्यों ने जोर पकड़ा तो गरुड़चट्टी को संवारने की कवायद भी शुरू हुई। अक्टूबर 2018 में रास्ता तैयार कर लिया गया। इस मार्ग के निर्माण पर 17 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। मंदाकिनी नदी पर एक पुल का निर्माण चल रहा है, जो जून तक बनकर तैयार हो जाएगा। वर्तमान में यहां एक अस्थायी पुल है। कुल मिलाकर इस बार केदारनाथ आने वाले यात्रियों को गरुड़चट्टी के दर्शन करने और यहां के आध्यात्मिक महत्व को समझने का भी मौका मिलेगा।
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