उत्तराखंड में नगर निकाय चुनाव, पढ़िए कैसे ये चुनाव सेमीफाइनल है 2019 लोकसभा का ?
उत्तराखंड में लोकसभा चुनावों का सेमीफाइनल चल रहा है और ये सेमीफाइनल चल रहा है नगर निकाय चुनावों के रूप में, यहां के 84 नगर निकायों में 18 नवंबर को मतदान होना है और यहां 20 नवंबर को मतगणना होगी । ये चुनाव इसलिए भी खास हैं क्योंकि ये राज्य में बीजेपी की त्रिवेन्द्र रावत सरकार बनने के बाद पहला बड़ा चुनाव है, वहीं कांग्रेस के लिए ये चुनाव खासे मायने रखते हैं क्योंकि विधानसभा चुनावों में यहां बीजेपी ने कांग्रेस का लगभग सूपड़ा साफ कर दिया था । इन चुनावों में बीजेपी के नेता और मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह की साख सीधे तौर पर दांव पर लगी है क्योंकि प्रदेश में विधानसभा चुनावों के बाद दोनों ही पार्टियों में नेतृत्व पूरी तरह बदल चुका है, कांग्रेस के कद्दावर नेता हरीश रावत जहां राज्य से बाहर होकर अब दिल्ली की रीजनीति में आ गए हैं वहीं किशोर उपाध्याय जैसे नेता अब कांग्रेस की राजनीति के हाशिये में आ गए हैं । अगर बीजेपी की बात करें तो यहां भगत सिंह कोश्यारी और रमेश पोखरियाल निशंक जैसे नेताओं से अब पार्टी नेतृत्व की कमान खिसक कर त्रिवेन्द्र रावत और अजय भट्ट जैसे नेताओं के हाथ में है । वहीं ये चुनाव 2019 में होने वाले लोकसभा चुनावों से ठीक पहले हो रहे हैं इसलिए जानकारों का मानना है कि इसका असर 2019 के चुनावों पर भी पड़ेगा, यही कारण है कि कांग्रेस यहां अच्छा प्रदर्शन करने के लिए बीजेपी से ज्यादा छटपटा रही है ।
वैसे तो राज्य में कई जगहों पर सपा, बसपा, यूकेडी, आप और कुछ स्थानीय दलों के साथ निर्दलीय भी कई सीटों पर किस्मत आजमा रहे हैं पर मुक्य मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी के बीच ही है । कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि वो इन चुनावों में राष्ट्रीय मुद्दों के साथ-साथ राज्य सरकार और स्थानीय प्रसासन की नाकामियों को जनता के सामने रखेंगे तो वहीं बीजेपी अपनी राज्य सरकार और केन्द्र सरकार के कामों को लोगों के बीच रखने की कोशिश में हैं। दोनों ही दल अपने चुनावी घोषणापत्र को भी इसी तरह तैयार कर रहे हैं । कुछ स्थानीय राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इन चुनावों में प्रत्याशी की स्थानीय छवि भी बहुत हद तक प्रभाव डालती है , ऐसे में दोनों ही दलों ने सोच-समझ कर उम्मीदवार उतारे हैं, हल्द्वानी, कोटद्वार और कुछ दूसरी सीटों पर इन पार्टियों के बड़े नेताओं के बेटे-बेटी या सगे-संबंधी भी मैदान में हैं , ऐसे में इन नेताओं की भी साख दांव पर है । कुल मिलाकर मंच सज चुका है, किरदार भी लगभग तय हो गए हैं और प्रचार भी धीरे-धीरे गति पकड़ रहा है, ऐसे में सबको इंतजार है 20 नवंबर का, जब यहां पर जनता अपना फैसला देगी । इतना तय है कि इन चुनावों का सीधा असर 2019 के लोकसभा चुनावों पर पड़ेगा, और त्रिवेन्द्र रावत और प्रीतम सिंह के लिए ये चुनाव किसी परीक्षा से कम नहीं होंगे ।
Mirror News
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