स्वतंत्रता दिवस : उत्तराखंड को गौरवान्वित कर गए दोनों शहीद, एक की पत्नी की दिलेरी दुनिया ने देखी
आज देश स्वतंत्रता दिवस मना रहा है चारों ओर उल्लास और खुशी का माहौल है, इसी खुशी के माहौल के बीच राष्ट्र अपने शहीदों को याद कर रहा है। इसी साल फरवरी की बात है, 14 फरवरी को पुलवामा में सीआरपीएफ की बस पर आतंकवादी हमला हुआ जिसमें 40 के करीब भारतीय जवान मारे गए। उसके ठीक 4 दिन बाद 18 फरवरी को भारतीय सेना का एक जांबाज अधिकारी अपनी टीम के साथ उस जगह पर पहुंचा जहां पुलवामा हमले में शामिल आतंकवादी छिपे हुए थे, सेना ने आतंकवादियों को घेर लिया और यहां पर गोलीबारी शुरू हो गई। जैश के दो खूंखार आतंकवादी मारे गए और 3 जवानों सहित भारतीय सेना के मेजर विभूति शंकर ढोंडियाल भी शहीद हो गए, उत्तराखंड के देहरादून के रहने वाले मेजर विभूति शंकर धौंडियाल का पार्थिव शरीर जब देहरादून पहुंचा तो पूरे उत्तराखंड में शोक की लहर छा गई। इस दौरान कुछ ऐसे पल भी आए जिन्होंने आंखों में आंसू और सीने में गौरव भर दिया। मेजर विभूति शंकर ढोंडियाल की पत्नी जब उन्हें अंतिम विदाई दे रही थी तो उसने अपने शहीद पति को सैल्युट किया और एक कविता पढ़ी और अपने शहीद पति को कहा आई लव यू विभू। इस दृश्य को हर कोई देख कर दुखी भी हुआ और गौरवान्वित भी और अब देश ने मेजर विभूति शंकर ढोंडियाल को उनके अदम्य साहस और वीरता के लिए शौर्य चक्र से नवाजा है।
कुछ ऐसी ही कहानी मेजर चित्रेश बिष्ट की है, मूल रूप से अल्मोड़ा के रहने वाले शहीद मेजर त्रितेश बिष्ट दून के ओल्ड नेहरू कालोनी के रहने वाले थे। बीती 16 फरवरी को राजौरी के नौशेरा सेक्टर में हुए आइईडी ब्लास्ट में वह शहीद हो गए थे। इस इलाके में आतंकवादियों ने बारूदी सुरंग लगा रखी थी, मेजर चित्रेश बिष्ट जो सेना की इंजीनियरिंग कोर में तैनात थे, बारूदी सुरंगों को डिफ्यूज करने में उनको महारत हासिल थी, ऐसी ही एक आईईडी को डिफ्यूज करते वक्त वह शहीद हो गए। शहादत के वक्त मेजर चित्रेश की उम्र 28 साल थी। भारतीय सैन्य अकादमी से सैन्य प्रशिक्षण पूरा कर वह वर्ष 2010 में पास आउट हुए थे। मेजर चित्रेश की शहादत की खबर उस समय आई जबकि उनके घर पर शादी की तैयारियां चल रही थी। मेजर चित्रेश की शादी सात मार्च को होनी थी। शादी के कार्ड भी बंट चुके थे।
मेजर चित्रेश बिष्ट को देश ने उनके अदम्य साहस और शौर्य के लिए सेना मेडल से नवाजा है! मेजर विभूति और मेजर चित्रेश जैसे न जाने कितने सैनिक है जो अपनी खुशियों और अपने गम की परवाह किए बगैर देश सेवा के लिए शहीद हो जाते हैं ! ऐसे में सिर्फ इन बहादुर सैनिकों की शहादत को याद और नमन करने से ज्यादा जरूरत है हर भारतवासी देश के लिए मर मिटने के इस जज्बे को समझे और ऐसा जज्बा अपने अंदर पैदा करे!
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