“मन की बात” के 50 एपिसोड पूरे, इस बार पीएम मोदी ने उत्तराखंड की निधी के सवाल का भी दिया जवाब
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को पचासवीं बार रेडियो के जरिये अपने मन की बात कार्यक्रम की मदद से देशवासियों को संबोधित किया, मोदी ने कहा कि
- ” जब मैंने मई 2014 में एक ‘प्रधान-सेवक’ के रूप में कार्यभार संभाला तो मेरे मन में इच्छा थी कि देश की एकता, हमारे भव्य इतिहास, उसका शौर्य, भारत की विविधताएँ, हमारी सांस्कृतिक विविधताएँ, हमारे समाज के रग-रग में समायी हुई अच्छाइयाँ, लोगों का पुरुषार्थ, जज़्बा, त्याग, तपस्या इन सारी बातों को, भारत की यह कहानी, जन-जन तक पहुँचनी चाहिये, और इसी को ध्यान में रखकर मैंने ये कार्यक्रम शुरू किया । “
मोदी ने मन की बात सुनने वाले सभा लोगों का धन्यवाद भी दिया । मोदी ने कहा कि
- ” कभी-कभी ‘मन की बात’ का मजाक भी उड़ता है लेकिन मेरे मन में हमेशा ही 130 करोड़ देशवासी बसे रहते हैं। उनका मन मेरा मन है। ‘मन की बात’ सरकारी बात नहीं है – यह समाज की बात है। ‘मन की बात’ एक aspirational India,महत्वाकांक्षी भारत की बात है। भारत का मूल-प्राण राजनीति नहीं है, भारत का मूल-प्राण राजशक्ति भी नहीं है।भारत का मूल-प्राण समाजनीति है और समाज-शक्ति है। समाज जीवन के हजारों पहलू होते हैं उनमें से एक पहलू राजनीति भी है। राजनीति सबकुछ हो जाए, यह स्वस्थ समाज के लिए एक अच्छी व्यवस्था नहीं है। कभी-कभी राजनीतिक घटनाएँ और राजनीतिक लोग, इतने हावी हो जाते हैं कि समाज की अन्य प्रतिभाएँ और अन्य पुरुषार्थ दब जाते हैं। “
मन की बात की तैयारी के सिलसिले में पूछे गए एक सवाल के जवाब में पीएम मोदी ने कहा कि
- ” मैं ‘मन की बात’ में योगदान देने वाले प्रत्येक व्यक्ति को धन्यवाद देना चाहता हूँ। ऐसे लाखों लोग हैं जिनका नाम मैं आज तक ‘मन की बात’ में नहीं ले पाया, लेकिन वो बिना निराश हुए अपने पत्र, अपने comments भेजते हैं – आपके विचार, आपकी भावनाएं मेरे जीवन में बहुत ही महत्व रखती हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि आप सभी की बातें पहले से कई गुना ज़्यादा मुझे मिलेंगी और ‘मन की बात’ को, और रोचक और प्रभावी और उपयोगी बनाएगी। यह भी कोशिश की जाती है कि जो पत्र ‘मन की बात’ में शामिल नहीं हुए उन पत्रों और सुझावों पर सम्बंधित विभाग भी ध्यान दें । ”
उत्तराखंड की मसूरी की निधि बहुगुणा के एक सवाल के जवाब में मोदी ने कहा कि
- ” ‘मन की बात’ के माध्यम से मैं युवाओं के प्रयासों को, उनकी बातों को, ज्यादा से ज्यादा साझा करने का प्रयास करता हूँ। अक्सर शिकायत होती है कि युवा बहुत ही अधिक सवाल करते हैं। मैं कहता हूँ कि अच्छा है कि नौजवान सवाल करते हैं। ये अच्छी बात इसलिए है क्योंकि इसका अर्थ हुआ कि वे सभी चीज़ों की जड़ से छानबीन करना चाहते हैं। कुछ लोग कहते हैं कि युवाओं में धैर्य नहीं होता, लेकिन मेरा मानना है कि युवाओं के पास बर्बाद करने के लिए समय नहीं है। यही वो चीज़ है जो आज के नौजवानों को अधिक innovative बनने में मदद करती है, क्योंकि, वे चीज़ों को तेज़ी से करना चाहते हैं। हमें लगता है आज के युवा बहुत महत्वाकांक्षी हैं और बहुत बड़ी-बड़ी चीज़ें सोचते हैं। अच्छा है, बड़े सपने देखें और बड़ी सफलताओं को हासिल करें – आखिर, यही तो New India है । “
वहीं भारतीय संविधान को लेकर किये एक सवाल के जवाब में मोदी ने कहा कि ” हमारे संविधान में खास बात यही है कि अधिकार और कर्तव्य यानी Rights and Duties,इसके बारे में विस्तार से वर्णन किया गया है। नागरिक के जीवन में इन्हीं दोनों का तालमेल देश को आगे ले जाएगा। अगर हम दूसरों के अधिकार का सम्मान करेंगे तो हमारे अधिकारों की रक्षा अपने आप हो जायेगी और इसी तरह अगर हम संविधान में दिए अपने कर्तव्यों का पालन करेंगे तो भी हमारे अधिकारों की रक्षा अपने आप हो जायेगी। ” अपने संबोधन में मोदी ने संविधान निर्माताओं के साथ-साथ गुरुनानक और करतारपुर कॉरिडॉर का भी जिक्र किया, मोदी ने कहा कि उनका ये कार्यक्रम बिल्कुल गैरराजनीतिक और गैरसरकारी है ।
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