सिलक्यारा टनल में फिर काम शुरू, देश में निर्माणाधीन सुरंगों पर आया नितिन गडकरी का महत्वपूर्ण बयान, पढ़िए
20 Dec. 2023. Uttarkashi. सिलक्यारा टनल हादसे में 41 मजूदरों के सकुशल बाहर निकलने के 38 दिन बाद सिलक्यारा सुरंग का निर्माण कार्य दोबारा शुरू हो गया है। कंपनी पहले बड़कोट सिरे से काम कर रही है। जांच होने के बाद सिलक्यारा सिरे से भी सुरंग निर्माण शुरू किया जाएगा। केवल 480 मीटर सुरंग बची हुई है। विशेषज्ञ जांच समिति ने सिलक्यारा हादसे की जांच शुरू कर दी है। 4,531 किमी लंबी सिलक्यारा-बड़कोट सुरंग का अब केवल 480 मीटर हिस्सा बचा हुआ है।
इस बीच केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने राज्यसभा को बताया है कि धरासु-यमुनोत्री राजमार्ग (एनएच-134) पर सिल्क्यारा द्वि-दिशात्मक सुरंग में, वाहनों के क्रॉसओवर के लिए 565 मीटर के औसत फासले पर निकास द्वार के साथ-साथ कैरिजवे के केंद्र में पृथक दीवार का प्रावधान प्रदान किया गया है और आपात्कालीन स्थितियों के दौरान बचने के लिए पैदल यात्री क्रॉस मार्ग के लिए 300 मीटर के औसत फासले का भी प्रावधान है।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में देश भर में राष्ट्रीय राजमार्गों (एनएच) पर 34 सुरंग परियोजनाएं प्रगति पर हैं, जिनमें से 26 सुरंग परियोजनाएं हिमालय क्षेत्र में हैं। सभी परियोजनाओं की सुरक्षा को सर्वोपरि ध्यान में रखते हुए डिज़ाइन किया गया है। इन परियोजनाओं को साइट-विशिष्ट आवश्यकताओं, स्थापित कोडों के अनुसार कार्यान्वित किया जाता है, जिसमें आपात स्थिति के लिए आवश्यक सुरक्षा उपाय शामिल होते हैं, जैसे कि भागने के लिए टनल, क्रॉस पैसिज के साथ ट्विन ट्यूब, पृथक दीवार के साथ आपातकालीन निकास द्वार, वाहन खड़ा करने का स्थान, आटोमेटिक फायर डिटेक्शन और सप्रेशन सिस्टम आदि।
गडकरी ने कहा कि भूमि की उपलब्धता, यातायात की मात्रा, सुरंग की लंबाई तथा अतिरिक्त लागत जैसे विभिन्न कारकों को ध्यान में रखते हुए ट्रैफिक टनल के निकट पृथक सर्विस टनल पर डिजाइन चरण में विचार किया जा सकता है। यह अतिरिक्त सुरंग रखरखाव के लिए, सुरंग को बंद करने के बगैर, पहुंच प्रदान करती है। इस सर्विस टनल का उपयोग आपात स्थिति के दौरान भागने के मार्ग के रूप में किया जा सकता है।
उत्तराखंड हादसे पर उन्होंने कहा कि फंसे हुए श्रमिकों को चिकित्सा सहायता दी गई और वे अच्छे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में पाए गए। वित्तीय सहायता के रूप में कार्यदायी संस्था द्वारा प्रत्येक श्रमिक को एक महीने के वैतन सहित अवकाश के अतिरिक्त 2.00 लाख रूपये की धनराशि का भुगतान किया गया है। उपरोक्त के अलावा, उत्तराखंड सरकार ने सभी फंसे हुए श्रमिकों में से प्रत्येक को 1-1 लाख रुपये की वित्तीय सहायता भी प्रदान की है।
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