
पीएम मोदी बोले, ऑपरेशन सिंदूर ने हर हिंदुस्तानी का सिर ऊंचा किया है, भारत में बने हथियारों ने दुश्मन को तबाह कर दिया, दुनिया में आतंक के खिलाफ़ लड़ाई को नया विश्वास मिला
25 May. 2025. New Delhi. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज अपने रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में कहा कि “आज पूरा देश आतंकवाद के खिलाफ एकजुट है, आक्रोश से भरा हुआ है, संकल्पबद्ध है। आज हर भारतीय का यही संकल्प है, हमें आतंकवाद को खत्म करना ही है। साथियो, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान हमारी सेनाओं ने जो पराक्रम दिखाया है, उसने हर हिंदुस्तानी का सिर ऊँचा कर दिया है। जिस Precision के साथ, जिस सटीकता के साथ, हमारी सेनाओं ने सीमा पार के आतंकवादी ठिकानों को ध्वस्त किया, वो अद्भुत है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने दुनिया-भर में आतंक के खिलाफ़ लड़ाई को नया विश्वास और उत्साह दिया है।
साथियो, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ सिर्फ एक सैन्य मिशन नहीं है, ये हमारे संकल्प, साहस और बदलते भारत की तस्वीर है और इस तस्वीर ने पूरे देश को देश-भक्ति के भावों से भर दिया है, तिरंगे में रंग दिया है। आपने देखा होगा, देश के कई शहरों में, गावों में, छोटे-छोटे कस्बों में, तिरंगा यात्राएं निकाली गई। हजारों लोग हाथों में तिरंगा लेकर देश की सेना, उसके प्रति वंदन-अभिनंदन करने निकल पड़े। कितने ही शहरों में Civil Defense Volunteer बनने के लिए बड़ी संख्या में युवा एकजुट हो गए, और हमने देखा, चंडीगढ़ के Videos तो काफी viral हुए थे। Social media पर कविताएँ लिखी जा रही थीं, संकल्प गीत गाये जा रहे थे। छोटे-छोटे बच्चे Paintings बना रहे थे जिनमें बड़े सन्देश छुपे थे। मैं अभी तीन दिन पहले बीकानेर गया था। वहाँ बच्चों ने मुझे ऐसी ही एक Painting भेंट की थी। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने देश के लोगों को इतना प्रभावित किया है कि कई परिवारों ने इसे अपने जीवन का हिस्सा बना लिया है। बिहार के कटिहार में, यूपी के कुशीनगर में, और भी कई शहरों में, उस दौरान जन्म लेने वाले बच्चों का नाम ‘सिंदूर’ रखा गया है।
साथियो, हमारे जवानों ने आतंक के अड्डों को तबाह किया, यह उनका अदम्य साहस था और उसमें शामिल थी, भारत में बने हथियारों, उपकरणों और Technology की ताकत। उसमें ‘आत्मनिर्भर भारत’ का संकल्प भी था, हमारे Engineers, हमारे Technician हर किसी का पसीना इस विजय में शामिल है। इस अभियान के बाद पूरे देश में ‘Vocal for Local’ को लेकर एक नई ऊर्जा दिख रही है। कई बातें मन को छू जाती हैं। एक माँ-बाप ने कहा – “अब हम अपने बच्चों के लिए सिर्फ भारत में बने खिलौने ही लेंगे। देश-भक्ति की शुरुआत बचपन से होगी।” कुछ परिवारों ने शपथ ली है – “हम अपनी अगली छुट्टियाँ देश के किसी खूबसूरत जगह में ही बिताएंगे।” कई युवाओं ने ‘Wed in India’ का संकल्प लिया है, वो देश में ही शादी करेंगे। किसी ने ये भी कहा है – “अब जो भी Gift देंगे, वह किसी भारतीय शिल्पकार के हाथों से बना होगा।”
साथियो, यही तो है, भारत की असली ताकत ‘जन-मन का जुड़ाव, जन-भागीदारी’। मैं आप सबसे भी आग्रह करता हूँ, आइए, इस अवसर पर एक संकल्प लें – हम अपने जीवन में जहाँ भी संभव हो, देश में बनी चीजों को प्राथमिकता देंगे। यह सिर्फ़ आर्थिक आत्मनिर्भरता की बात नहीं है, यह राष्ट्र के निर्माण में भागीदारी का भाव है। हमारा एक कदम, भारत की प्रगति में बहुत बड़ा योगदान बन सकता है।
साथियो, बस से कहीं आना-जाना कितनी सामान्य बात है। लेकिन मैं आपको एक ऐसे गांव के बारे में बताना चाहता हूं, जहां पहली बार एक बस पहुंची। इस दिन का वहां के लोग वर्षों से इंतजार कर रहे थे। और जब गांव में पहली बार बस पहुंची तो लोगों ने ढ़ोल-नगाड़े बजाकर उसका स्वागत किया। बस को देखकर लोगों की खुशी का ठिकाना नहीं था। गांव में पक्की सड़क थी, लोगों को जरूरत थी, लेकिन पहले कभी यहां बस नहीं चल पाई थी। क्यों, क्योंकि ये गांव माओवादी हिंसा से प्रभावित था। यह जगह है महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले में, और इस गांव का नाम है, काटेझरी। काटेझरी में आए इस परिवर्तन को आसपास के पूरे क्षेत्र में महसूस किया जा रहा है। अब यहां हालात तेजी से सामान्य हो रहे हैं। माओवाद के खिलाफ सामूहिक लड़ाई से अब ऐसे क्षेत्रों तक भी बुनियादी सुविधाएं पहुंचने लगी है। गांव के लोगों का कहना है कि बस के आने से उन लोगों का जीवन बहुत आसान हो जाएगा।
साथियो, ‘मन की बात’ में हम छत्तीसगढ़ में हुए बस्तर Olympics और माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में Science Lab पर चर्चा कर चुके हैं। यहां के बच्चों में Science का Passion है। वो Sports में भी कमाल कर रहे हैं। ऐसे प्रयासों से पता चलता है कि इन इलाकों में रहने वाले लोग कितने साहसी होते हैं। इन लोगों ने तमाम चुनौतियों के बीच अपने जीवन को बेहतर बनाने की राह चुनी है। मुझे यह जानकार भी बहुत खुशी हुई कि 10वीं और 12वीं की परीक्षाओं में दंतेवाड़ा जिले के नतीजे बहुत शानदार रहे हैं। करीब Ninety Five Percent Result के साथ ये जिला 10वीं के नतीजों में Top पर रहा। वहीं 12वीं की परीक्षा में इस जिले ने छत्तीसगढ़ में छठा स्थान हासिल किया। सोचिए! जिस दंतेवाड़ा में कभी माओवाद चरम पर था, वहां आज शिक्षा का परचम लहरा रहा है। ऐसे बदलाव हम सभी को गर्व से भर देते हैं।
मेरे प्यारे देशवासियो, अब मैं Lions, शेरों से जुड़ी एक बड़ी अच्छी खबर आपको बताना चाहता हूं। पिछले केवल पाँच वर्षों में गुजरात के गिर में शेरों की आबादी 674 से बढ़कर 891 हो गई है। Six Hundred Seventy Four से Eight Hundred Ninety One! Lion census के बाद सामने आई शेरों की ये संख्या बहुत उत्साहित करने वाली है। साथियो, आप में से बहुत से लोग यह जानना चाह रहे होंगे कि आखिर ये Animal census होती कैसे है? ये exercise बहुत ही चुनौतीपूर्ण है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि Lion Census 11 जिलों में, 35 हजार वर्ग किलोमीटर के दायरे में की गई थी। Census के लिए टीमों ने Round the Clock यानी चौबीसों घंटे इन क्षेत्रों की निगरानी की। इस पूरे अभियान में verification और cross verification दोनों किए गए। इससे पूरी बारीकी से शेरों की गिनती का काम पूरा हो सका।
साथियो, Asiatic Lion की आबादी में बढ़ोतरी ये दिखाती है कि जब समाज में ownership का भाव मजबूत होता है, तो कैसे शानदार नतीजे आते हैं। कुछ दशक पहले गिर में हालात बहुत challenging थे। लेकिन वहां के लोगों ने मिलकर बदलाव लाने का बीड़ा उठाया। वहां latest technology के साथ ही global best practices को भी अपनाया गया। इसी दौरान गुजरात ऐसा पहला राज्य बना, जहां बड़े पैमाने पर Forest Officers के पद पर महिलाओं की तैनाती की गई। आज हम जो नतीजे देख रहे हैं, उसमें इन सभी का योगदान है। Wild Life Protection के लिए हमें ऐसे ही हमेशा जागरुक और सतर्क रहना होगा।
मेरे प्यारे देशवासियो, दो-तीन दिन पहले ही, मैं, पहली Rising North East Summit में गया था। उससे पहले हमने North East के सामर्थ्य को समर्पित ‘अष्टलक्ष्मी महोत्सव’ भी मनाया था। North East की बात ही कुछ और है, वहां का सामर्थ्य, वहां का talent, वाकई अद्भुत है। मुझे एक दिलचस्प कहानी पता चली है crafted fibers की। Crafted fibers ये सिर्फ एक brand नहीं, सिक्किम की परंपरा, बुनाई की कला, और आज के fashion की सोच – तीनों का सुन्दर संगम है। इसकी शुरुआत की डॉ० चेवांग नोरबू भूटिया ने। पेशे से वो Veterinary Doctor हैं और दिल से सिक्किम की संस्कृति के सच्चे Brand Ambassador. उन्होंने सोचा क्यूं न बुनाई को एक नया आयाम दिया जाए! और इसी सोच से जन्म हुआ Crafted fibers का। उन्होंने पारंपरिक बुनाई को modern fashion से जोड़ा और इसे बनाया एक Social Enterprise. अब उनके यहां केवल कपड़े नहीं बनते, उनके यहां ज़िंदगियाँ बुनी जाती हैं। वे local लोगों को skill training देते हैं, उन्हें आत्मनिर्भर बनाते हैं। गांवों के बुनकर, पशुपालक और self-help groups इन सबको जोड़कर डॉ० भूटिया ने रोजगार के नए रास्ते बनाए हैं। आज, स्थानीय महिलाएं और कारीगर अपने हुनर से अच्छी कमाई कर रहे हैं। crafted fibers के शॉल, स्टोल, दस्ताने, मोज़े, सब, local handloom से बने होते हैं। इसमें जो ऊन का इस्तेमाल होता है, वो सिक्किम के खरगोशों और भेड़ों से आता है। रंग भी पूरी तरह प्राकृतिक होते हैं – कोई chemical नहीं, सिर्फ प्रकृति की रंगत। डॉ० भूटिया ने सिक्किम की पारंपरिक बुनाई और संस्कृति को एक नई पहचान दी है। डॉ० भूटिया का काम हमें सिखाता है कि जब परंपरा को passion से जोड़ा जाए, तो वो दुनिया को कितना लुभा सकती है।
मेरे प्यारे देशवासियो, आज मैं आपको एक ऐसे शानदार व्यक्ति के बारे में बताना चाहता हूँ जो एक कलाकार भी हैं और जीती-जागती प्रेरणा भी हैं। नाम है – जीवन जोशी, उम्र 65 साल। अब सोचिए, जिनके नाम में ही जीवन हो, वो कितनी जीवंतता से भरे होंगे। जीवन जी उत्तराखंड के हल्द्वानी में रहते हैं। बचपन में पोलियो ने उनके पैरों की ताकत छीन ली थी, लेकिन पोलियो, उनके हौसलों को नहीं छीन पाया। उनके चलने की रफ्तार भले कुछ धीमी हो गई, लेकिन उनका मन कल्पना की हर उड़ान उड़ता रहा। इसी उड़ान में, जीवन जी ने एक अनोखी कला को जन्म दिया – नाम रखा ‘बगेट’। इसमें वो चीड़ के पेड़ों से गिरने वाली सूखी छाल से सुंदर कलाकृतियाँ बनाते हैं। वो छाल, जिसे लोग आमतौर पर बेकार समझते हैं – जीवन जी के हाथों में आते ही धरोहर बन जाती है। उनकी हर रचना में उत्तराखंड की मिट्टी की खुशबू होती है। कभी पहाड़ों के लोक वाद्ययंत्र, तो कभी लगता है जैसे पहाड़ों की आत्मा उस लकड़ी में समा गई हो। जीवन जी का काम सिर्फ कला नहीं, एक साधना है। उन्होंने इस कला में अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया है। जीवन जोशी जैसे कलाकार हमें याद दिलाते हैं कि परिस्थितियाँ चाहे जैसी भी हों, अगर इरादा मजबूत हो, तो, नामुमकिन कुछ नहीं। उनका नाम जीवन है और उन्होंने सच में दिखा दिया कि जीवन जीना क्या होता है।
मेरे प्यारे देशवासियो, आज कई ऐसी महिलाएं हैं, जो खेतों के साथ ही, अब, आसमान की ऊंचाइयों पर काम कर रही हैं। जी हाँ ! आपने सही सुना, अब गाँव की महिलाएं drone दीदी बनकर drone उड़ा रही हैं और उससे खेती में नई क्रांति ला रही हैं।
साथियो, तेलंगाना के संगारेड्डी जिले में, कुछ समय पहले तक जिन महिलाओं को दूसरों पर निर्भर रहना पड़ता था, आज वे ही महिलाएं drone से 50 एकड़ जमीन पर दवा के छिड़काव का काम पूरा कर रही हैं। सुबह तीन घंटे, शाम दो घंटे और काम निपट गया। धूप की तपन नहीं, जहर जैसे chemicals का खतरा नहीं। साथियो, गाँववालों ने भी इस परिवर्तन को दिल से स्वीकार किया है। अब ये महिलाएं ‘drone operator’ नहीं, ‘sky warriors’ के नाम से जानी जाती हैं। ये महिलाएं हमें बता रही हैं – बदलाव तब आता है जब तकनीक और संकल्प एक साथ चलते हैं।
मेरे प्यारे देशवासियो, ‘अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस’ में अब एक महीने से भी कम समय बचा है। ये अवसर याद दिलाता है कि अगर आप अब भी योग से दूर हैं तो अब योग से जुड़ें। योग आपका जीवन जीने का तरीका बदल देगा। साथियो, 21 जून 2015 में ‘योग दिवस’ की शुरुआत के बाद से ही इसका आकर्षण लगातार बढ़ रहा है। इस बार भी ‘योग दिवस’ को लेकर दुनिया-भर में लोगों का जोश और उत्साह नजर आ रहा है। अलग-अलग संस्थान अपनी तैयारियां साझा कर रहे हैं। बीते वर्षों की तस्वीरों ने बहुत प्रेरित किया है। हमने देखा है अलग-अलग देशों में किसी साल लोगों ने Yoga Chain बनाई, Yoga Ring बनाई। ऐसी बहुत ही तस्वीरें हैं जहां एक साथ चार generation मिलकर योग कर रही हैं। बहुत से लोगों ने अपने शहर की iconic places को योग के लिए चुना। आप भी इस बार कुछ interesting तरीके से योग दिवस मनाने के बारे में सोच सकते हैं।
साथियो, आंध्र प्रदेश की सरकार ने YogAndhra अभियान शुरू किया है। इसका उद्देश्य पूरे राज्य में योग संस्कृति को विकसित करना है। इस अभियान के तहत योग करने वाले 10 लाख लोगों का एक pool बनाया जा रहा है। मुझे इस वर्ष विशाखापत्तनम में ‘योग दिवस’ कार्यक्रम में शामिल होने का अवसर मिलेगा। मुझे ये जानकर अच्छा लगा कि इस बार भी हमारे युवा साथी, देश की विरासत से जुड़ी iconic places पर योग करने वाले हैं। कई युवाओं ने नए रिकार्ड बनाने और Yoga Chain का हिस्सा बनने का संकल्प लिया है। हमारे Corporates भी इसमें पीछे नहीं हैं। कुछ संस्थानों ने office में ही योग अभ्यास के लिए अलग स्थान तय कर दिया है। कुछ start-ups ने अपने यहाँ ‘office योग hours’ तय कर दिए हैं। ऐसे भी लोग हैं जो गांवों में जाकर योग सिखाने की तैयारी कर रहे हैं। Health और Fitness को लेकर लोगों की ये जागरूकता मुझे बहुत आनंद देती है।
साथियो, ‘योग दिवस’ के साथ-साथ आयुर्वेद के क्षेत्र में भी कुछ ऐसा हुआ है, जिसके बारे में जानकर आपको बहुत खुशी होगी। कल ही यानि 24 मई को WHO के Director General और मेरे मित्र, तुलसी भाई की मौजूदगी में एक MoU sign किया गया है। इस agreement के साथ ही International Classification of Health Interventions के तहत एक dedicated traditional medicine module पर काम शुरू हो गया है। इस पहल से, आयुष को पूरी दुनिया में वैज्ञानिक तरीके से अधिक-से-अधिक लोगों तक पहुंचाने में मदद मिलेगी।
साथियो, आपने स्कूलों में blackboard तो देखा होगा, लेकिन अब कुछ स्कूलों में ‘sugar board’ भी लगाया जा रहा है – blackboard नहीं sugar board ! CBSE की इस अनोखी पहल का उद्देश्य है – बच्चों को उनके sugar intake के प्रति जागरूक करना। कितनी चीनी लेनी चाहिए, और कितनी चीनी खाई जा रही है – ये जानकर बच्चे खुद से ही healthy विकल्प चुनने लगे हैं। यह एक अनोखा प्रयास है और इसका असर भी बड़ा positive होगा। बचपन से ही स्वस्थ जीवनशैली की आदतें डालने में यह काफी मददगार साबित हो सकता है। कई अभिभावकों ने इसे सराहा है और मेरा मानना है – ऐसी पहल दफ्तरों, कैन्टीनों और संस्थानों में भी होनी चाहिए आखिरकार, सेहत है तो सब कुछ है। Fit India ही strong India की नींव है।
मेरे प्यारे देशवासियो, स्वच्छ भारत की बात हो और ‘मन की बात’ के श्रोता पीछे रहें ऐसा कैसे हो सकता है भला। मुझे पूरा विश्वास है कि आप सब अपने-अपने स्तर पर इस अभियान को मजबूती दे रहे हैं। लेकिन आज मैं आपको एक ऐसी मिसाल के बारे में बताना चाहता हूँ जहां स्वच्छता के संकल्प ने पहाड़ जैसी चुनौतियों को भी मात दे दी। आप सोचिए, कोई व्यक्ति बर्फीली पहाड़ियों पर चढ़ाई कर रहा हो, जहाँ सांस लेना मुश्किल हो, कदम-कदम पर जान को खतरा हो और फिर भी वो व्यक्ति वहाँ सफाई में जुटा हो। ऐसा ही कुछ किया है, हमारी ITBP की टीमों के सदस्यों ने। ये टीम, माउंट मकालू जैसे, विश्व की सबसे कठिन चोटी पर चढ़ाई के लिए गई थी। पर साथियो, उन्होंने सिर्फ पर्वतारोहण नहीं किया, उन्होंने अपने लक्ष्य में एक मिशन और जोड़ा ‘स्वच्छता’ का। चोटी के पास जो कचरा पड़ा था, उन्होंने उसे हटाने का बीड़ा उठाया। आप कल्पना कीजिए, 150 किलो से ज्यादा non-biodegradable waste इस टीम के सदस्य अपने साथ नीचे लाए। इतनी ऊंचाई पर सफाई करना कोई आसान काम नहीं है। लेकिन यह दिखाता है कि जहाँ संकल्प होता है, वहाँ रास्ते अपने आप बन जाते हैं।
साथियो, इसी से जुड़ा एक और जरूरी विषय है – Paper waste और recycling। हमारे घरों और दफ्तरों में हर दिन बहुत सारा paper waste निकलता है। शायद, हम इसे सामान्य मानते हैं, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी, देश के landfill waste का लगभग एक चौथाई हिस्सा कागज से जुड़ा होता है। आज जरूरत है, हर व्यक्ति इस दिशा में जरूर सोचे। मुझे ये जानकर अच्छा लगा कि भारत के कई Start-Ups इस sector में शानदार काम कर रहे हैं। विशाखापत्तनम, गुरुग्राम ऐसे कई शहरों में कई Start-Up paper recycling के innovative तरीके अपना रहे हैं। कोई recycle paper से packaging board बना रहा है, कोई digital तरीकों से newspaper recycling को आसान बना रहा है। जालना जैसे शहरों में कुछ Start-Up 100 percent recycled material से packaging roll और paper core बना रहे हैं। आप ये भी जानकर प्रेरित होंगे, एक टन कागज की recycling से 17 पेड़ कटने से बचते हैं और हजारों लीटर पानी की बचत होती है। अब सोचिए, जब पर्वतारोही इतने कठिन हालात में कचरा वापस ला सकते हैं तो हमें भी अपने घर या दफ्तर में पेपर को अलग करके recycling में अपना योगदान जरूर देना चाहिए। जब देश का हर नागरिक ये सोचेगा कि देश के लिए मैं क्या बेहतर कर सकता हूँ, तभी मिलकर, हम, बड़ा परिवर्तन ला सकते हैं।
साथियो, बीते दिनों खेलों इंडिया गेम्स की बड़ी धूम रही। खेलों इंडिया के दौरान बिहार के पाँच शहरों ने मेजबानी की थी। वहाँ अलग-अलग category के मैच हुए थे। पूरे भारत से वहाँ पहुंचे athletes की संख्या पाँच हजार से भी ज्यादा थी। इन athletes ने बिहार की sporting spirit की, बिहार के लोगों से मिली आत्मीयता की, बड़ी तारीफ की है।
साथियो, बिहार की धरती बहुत खास है, इस आयोजन में यहाँ कई unique चीजें हुई हैं। खेलों इंडिया यूथ गेम्स का ये पहला आयोजन था, जो Olympic channel के जरिए दुनिया-भर में पहुंचा। पूरे विश्व के लोगों ने हमारे युवा खिलाड़ियों की प्रतिभा को देखा और सराहा। मैं सभी पदक विजेताओं, विशेषकर top के तीन winners – महाराष्ट्र, हरियाणा और राजस्थान को बधाई देता हूँ।
साथियो, इस बार खेलो इंडिया में कुल 26 रिकार्ड बने। Weight Lifting स्पर्धाओं में महाराष्ट्र की अस्मिता धोने, ओडिशा के हर्षवर्धन साहू और उत्तर प्रदेश के तुषार चौधरी के शानदार प्रदर्शन ने सबका दिल जीत लिया। वहीं महाराष्ट्र के साईराज परदेशी ने तो तीन record बना डाले। athletics में उत्तर प्रदेश के कादिर खान और शेख जीशान और राजस्थान के हंसराज ने शानदार प्रदर्शन किया। इस बार बिहार ने भी 36 medals अपने नाम किए। साथियो, जो खेलता है, वही खिलता है। Young Sporting Talent के लिए tournament बहुत मायने रखता है। इस तरह के आयोजन भारतीय खेलों के भविष्य को और सँवारने वाले हैं।
मेरे प्यारे देशवासियो, 20 मई को ‘World Bee Day’ मनाया गया, यानि एक ऐसा दिन जो हमें याद दिलाता है कि शहद सिर्फ मिठास नहीं, बल्कि सेहत, स्वरोजगार, और आत्मनिर्भरता की मिसाल भी है। पिछले 11 वर्षों में, मधुमक्खी पालन में, भारत में एक sweet revolution हुआ है। आज से 10-11 साल पहले भारत में शहद उत्पादन एक साल में करीब 70-75 हज़ार मीट्रिक टन होता था। आज यह बढ़कर करीब-करीब सवा-लाख मीट्रिक टन के आसपास हो गया है। यानि शहद उत्पादन में करीब 60% की बढ़ोतरी हुई है। हम Honey Production और export में दुनिया के अग्रणी देशों में आ चुके हैं। साथियो, इस positive impact में ‘राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन’ और ‘शहद मिशन’ की बड़ी भूमिका है। इसके तहत मधुमक्खी पालन से जुड़े हजारों किसानों को Training दी गई, उपकरण दिए गए, और बाजार तक, उनकी, सीधी पहुँच बनाई गई।
साथियो, ये बदलाव सिर्फ आंकड़ों में नहीं दिखता, ये गाँव की जमीन पर भी साफ नजर आता है। छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले का एक उदाहरण है, यहाँ आदिवासी किसानों ने ‘सोन हनी’ नाम से एक शुद्ध जैविक शहद brand बनाया है। आज वह शहद GeM समेत अनेक Online Portal पर बिक रहा है, यानि गाँव की मेहनत, अब, Global हो रही है। इसी तरह उत्तर प्रदेश, गुजरात, जम्मू-कश्मीर, पश्चिम बंगाल और अरुणाचल प्रदेश में हजारों महिलाएं और युवा अब honey उद्यमी बन चुके हैं। साथियो, और अब शहद की केवल मात्रा नहीं, उसकी शुद्धता पर भी काम हो रहा है। कुछ Start-up अब AI और Digital Technology से शहद की गुणवत्ता को प्रमाणित कर रहे हैं। आप अगली बार जब भी शहद खरीदें तो इन Honey उद्यमियों द्वारा बनाए गए शहद को जरूर आजमाएं, कोशिश करें कि किसी local किसान से, किसी महिला उद्यमी से भी शहद खरीदें। क्योंकि उस हर बूंद में स्वाद ही नहीं, भारत की मेहनत और उम्मीदें घुली होती हैं। शहद की ये मिठास – आत्मनिर्भर भारत का स्वाद है।
साथियो, जब हम शहद से जुड़े देशों के प्रयासों की बात कर रहे हैं, तो मैं आपको एक और पहल के बारे में बताना चाहता हूँ। ये हमें याद दिलाती है कि Honeybees की सुरक्षा सिर्फ पर्यावरण की नहीं, हमारी खेती और future generation की भी जिम्मेदारी है। ये उदाहरण है पुणे शहर का, जहाँ एक Housing society में मधुमक्खियों का एक छत्ता हटाया गया – शायद सुरक्षा के कारण या डर की वजह से। लेकिन इस घटना ने किसी को कुछ सोचने पर मजबूर कर दिया। अमित नाम के एक युवा ने तय किया कि bees को हटाना नहीं, उन्हें बचाना चाहिए। उन्होंने खुद सीखा, मधुमक्खियों पर search की और दूसरों को भी जोड़ना शुरू किया। धीरे-धीरे उन्होंने एक टीम बनाई, जिसे उन्होंने नाम दिया Bee Friends, यानि ‘बी-मित्र’। अब ये Bee Friends, मधुमक्खियों के छत्तों को एक जगह से दूसरी जगह सुरक्षित तरीके से transfer करते हैं, ताकि लोगों को खतरा न हो और Honeybees भी ज़िंदा रहें। अमित जी के इस प्रयास का असर भी बड़ा शानदार हुआ है। Honeybees की colonies बच रही हैं। Honey production बढ़ रहा है, और सबसे जरूरी है, लोगों में awareness भी बढ़ रही है। ये पहल हमें सिखाती है कि जब हम प्रकृति के साथ ताल-मेल में काम करते हैं, तो उसका फायदा सबको मिलता है।
मेरे प्यारे देशवासियो, ‘मन की बात’ के इस episode में इस बार इतना ही, आप इसी तरह देश के लोगों की उपलब्धियों को समाज के लिए उनके प्रयासों को, मुझे भेजते रहिए। ‘मन की बात’ के अगले episode में फिर मिलेंगे, कई नए विषयों और देशवासियों की नई उपलब्धियों की चर्चा करेंगे। मुझे आपके संदेशों का इंतजार है। आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद, नमस्कार।”
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