उत्तराखंड के जंगलों में 200 साल पहले घूमते थे गैंडे, फिर कहां गए पढ़िए
अंग्रेजी हुकूमत के वक्त एक प्रसिद्ध चित्रकार थॉमस डैनियल और उनके भतीजे विलियम डेनियल ने अपनी किताब में खुलासा किया था कि उत्तराखंड के जंगलों में महज 230 साल पहले गैंडे पाए जाते थे । थॉमस और विलियम डेनियल ने ये गैंडे पौड़ी जिले के कोटद्वार से लगे जंगलों में देखे थे ।
अंग्रेजी हुकूमत के वक्त के दस्तावेज इस बात की तस्दीक कर रहे हैं ।
उपर्युक्त दस्तावेज के अनुसार विलियम डेनियल ने अपनी किताब में लिखा है कि उनकी पार्टी ने कोटद्वार के जंगल में गैंडा देखा, इन लोगों ने उसका चित्र भी बनाया, जिसे हम यहां प्रकाशित कर रहे हैं।
विलियम और थॉमस डेनियल पहले विदेशी थे जिन्होंने कोटद्वार से श्रीनगर तक का सफर किया और उन्होंने अपनी पुस्तक में लिखा है कि गंगा के किनारे पाए जाने वाले गैंडे अक्सर कोटद्वार और इससे सटे जंगलों में पहुंच जाते थे। 20 अप्रैल 1789 को इन्होंने कोटद्वार में गैंडा देखा था, इलाके में अब हाथी पाए जाते हैं और यह इलाका कार्बट और राजाजी टाइगर पार्क के बीच में आता है। वर्तमान वन महकमे में इस बात का कोई रिकॉर्ड नहीं है क्योंकि यह 1 महकमा में 17वीं शताब्दी में नहीं बना था। दैनिक जागरण में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार अब संबंधित वन प्रभाग इस बात की सत्यता को लेकर शोध करना शुरू कर चुका है, यहां पर एक सवाल यह उठता है कि अगर तब यहां गैंडे पाए जाते थे तो उनका क्या हुआ, क्या वो जलवायु परिवर्तन के कारण खत्म हो गए या शिकारियों का शिकार हो गए या भोजन की कमी या किसी अन्य पारिस्थितिक कारण से खत्म हो गए। इन सब कारणों को लेकर शोध किया जाना अभी बाकी है लेकिन यह तथ्य अपने आप में ही चौंकाने वाला है।
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Mirror News