बुरी तरह चरमरा गई है उत्तराखंड की सरकारी शिक्षा, निजी स्कूल काट रहे हैं चांदी
उत्तराखंड शिक्षा व्यवस्था में काफी पीछे चला गया है, सरकारी स्कूलों में छात्रों की कमी के कारण 2000 के करीब स्कूल या तो बंद हो चुके हैं या बंद होने के कगार पर हैं। दरअसल यहां अधिकतर लोग अपने बच्चों को निजी स्कूलों में पढ़ाते हैं, जिस कारण सरकारी स्कूलों में छात्र इतने कम हो गए हैं कि सरकार को स्कूल बंद करने पड़े हैं और आने वाले में कुछ समय में भी सरकार की हजारों स्कूलों को बंद करने की योजना है। अभिभावक सरकारी स्कूलों में अपने बच्चों को नहीं भेजना चाहते हैं क्योंकि अधिकतर सरकारी स्कूल जर्जर हालत में हैं, पीने के पानी से लेकर खेल के मैदान तक और साथ में पढ़ाई की सामग्री की कमी वहीं शिक्षा का स्तर, ये सब वो कारण हैं जिस वजह से लोग अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में नहीं भेजते। ऐसा नहीं है कि यहां शिक्षकों की कमी हो या बजट की, लेकिन राज्य बनने के बाद ही यहां शिक्षा का स्तर सरकारी स्कूलों में लगातार गिरता गया है। बंद होने वाले स्कूलों में जहां जूनियर हाईस्कूल और प्राथमिक विद्यालय शामिल हैं वहीं ये जानना रोचक है कि राज्य में करीब 70,000 सरकारी शिक्षक मौजूद हैं, 50 अरब से ज्यादा यहां का शिक्षा बजट है शिक्षा विभाग में हजारों कर्मचारी हैं फिर भी सरकारी शिक्षा की ये हालत राज्य के लिए शर्म का विषय है, जिसका सीधा असर मौजूदा पीढ़ी पर पड़ा है। यहां के अधिकतर बच्चे अगर प्राथमिक शिक्षा की बात करें निजी स्कूलों में पढ़ते हैं जहां पूरा एक नेटवर्क फैला हुआ है, अधिकतर निजी प्राथमिक स्कूल तो स्कूल होने के मानक भी पूरे नहीं करते , कुछ यही हालत जूनियर हाईस्कूलों की है। राज्य की सरकार को भी स्कूलों को बंद करने का फैसला मजबूरी में लेना पड़ा है क्योंकि स्कूलों में छात्र ही नहीं हैं, शिक्षक संगठन अधिकतर राजनीति में मशगूल हैं । कुल मिलाकर शिक्षा का स्तर इस राज्य में देश में सबसे पिछड़े इलाके के स्तर के बराबर है, वहीं अब उत्तराखंड की सरकार मॉडल आवासीय विद्यालय खोलने की बात कह रही है, सरकार का कहना है कि इससे आने वाले समय में शिक्षा का स्तर ठीक होगा, सरकार शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए निजी क्षेत्र की मदद की भी बात कह रही है। सवाल सिर्फ यही है कि शिक्षकों की कोई कमी नहीं है, बजट भी अच्छा-खासा है फिर क्यों कुछ स्कूलों के भवनों की हालत खराब है स्कूलों में पठन-पाठन सामग्री क्यों नहीं होती और सबसे बड़ी बात ये कि राज्य में अभिभावक इतने क्यों निजी स्कूलों की ओर रुख कर रहे हैं कि सरकार को स्कूल ही बंद करने पड़ें वो भी हजारों की संख्या में…….. शिक्षक दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने प्रदेशभर के शिक्षकों से संवाद किया था। इस दौरान सीएम ने कहा था कि शिक्षकों का एक अलग स्थान होता है। अपने संबोधन में सीएम ने यह भी कहा कि सरकारी स्कूलों में 12 बच्चों पर एक शिक्षक है, जबकि निजी स्कूलों में 25 बच्चों पर एक शिक्षक है। ऐसे में सरकारी शिक्षा की हालत में सुधार न होना चिंता का विषय है।….. उच्च शिक्षा की हालत भी यहां ठीक नहीं है यहां कई ऐसे राजकीय महाविद्यालय हैं जो दो या तीन कमरों से चल रहे हैं।
Mirror,Dehradoon