चीड़ की पत्ती पिरूल को लेकर उत्तराखंड सरकार ने ले लिया है ये बड़ा फैसला
गर्मी के मौसम में उत्तराखंड के जंगलों में चीड़ के पेड़ की सूखी पत्तियां या पिरूल काफी घातक होती हैं, इस पत्ती में रेजिन होता है जो आग के सामने बारूद की तरह काम करता है और ये पत्तियां बड़ी जल्दी आग पकड़ लेती हैं। पिरूल उत्तराखंड के जंगलों में आग लगने का भी एक बड़ा कारण है, आग से जंगलों को बचाने के लिए इन पत्तियों के ढेरों को जंगल से हटाना काफी जरूरी है, कुछ पत्तियां लोग अपने घरों में ले जाते हैं क्योंकि ये मवेशियों के लिए बिछाने के काम आती हैं लेकिन ये बहुत कम मात्रा में होता है और जंगलों में इन पत्तियों की तह पर तह बिछ जाती है जो आग लगने पर पूरे जंगल को खत्म कर देती है। इसी को ध्यान में रखते हुए अब उत्तराखंड की सरकार ने एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है, राज्य कैबिनेट की बैठक में पिरूल नीति को मंजूरी दी गयी है साथ ही पिरूल से बिजली बनाकर इसे साल 2030 तक 100 मेगावाट तक ले जाने का लक्ष्य रखा गया है। इसमें ये भी फैसला लिया गया है कि पिरूल से बिजली बनाने के प्लांट लगाने वालों को सरकार सब्सिडी भी देगी। चीड़ की इन पत्तियों से कोयला बनाने की कोशिशें भी राज्य में की गई हैं पर ये ज्यादा सफल नहीं दिखाई देती। इस बार पिरूल नीति में कहा गया है कि 1 मेगावाट तक की परियोजना ग्रामीण भी लगा सकते हैं और सरकार को 5 रुपये 36 पैसे में बिजली खरीदनी होगी। अब सवाल इस नीति के क्रियान्वयन को लेकर हैं, अगर सरकार ये करने में सफल होती है तो इस नीति से जहां एक ओर ग्रामीणों को रोजगार मिलेगा वहीं जंगल की आग पर काफी हद तक काबू पाया जा सकेगा, हालांकि इस योजना को सरकार किस तरह असलियत के धरातल पर लाती है ये देखना काफी महत्वपूर्ण होगा।
Mirror News, Dehradun
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