2 सितंबर 1994 : मसूरी गोलीकांड, 7 आंदोलनकारी और 1 डीएसपी हुए थे शहीद
1994 में अलग उत्तराखंड राज्य आंदोलन के दौरान 1 सितंबर को खटीमा में गोली चली थी, यहां पुलिस की गोली से आंदोलनकारी शहीद हुए थे। खटीमा में गोली चलने की खबर जैसे ही पूरे राज्य में फैली राज्य के लगभग हर जिले और कस्बे में आंदोलनकारियों और आम लोगों में गुस्सा भड़का, 2 सितंबर को जगह-जगह सड़कों पर पुलिस के खिलाफ प्रदर्शन होने लगे। मसूरी में झूलाघर के पास आंदोलनकारियों का केंद्र था। 1 सितंबर की रात से ही यहां आंदोलनकारी जमा होने लगे, 2 सितंबर के दिन में आंदोलनकारियों के साथ बाकी लोग भी यहां शामिल होकर विरोध प्रदर्शन करने लगे। इसी बीच उत्तर प्रदेश पुलिस और पीएसी ने आंदोलनकारियों पर गोलियां चला दी, यहां दो महिलाओं सहित सात आंदोलनकारी शहीद हो गए।
मसूरी में शहीद हुए आंदोलनकारियों के नाम इस प्रकार हैं…..
बेलमती चौहान (48) ग्राम खलोन, पट्टी घाट, अकोदया, टिहरी
हंसा धनई (45) ग्राम बंगधार, पट्टी धारमंडल, टिहरी
बलबीर सिंह नेगी (22) लक्ष्मी मिष्ठान भंडार, लाइब्रेरी, मसूरी
धनपत सिंह (50) ग्राम गंगवाड़ा, पट्टी गंगवाड़स्यूं, टिहरी
मदन मोहन ममगाईं (45) ग्राम नागजली, पट्टी कुलड़ी, मसूरी
राय सिंह बंगारी (54) ग्राम तोडेरा, पट्टी पूर्वी भरदार, टिहरी
यहां पुलिस की गोली का शिकार ड्यूटी कर रहे एक डीएसपी भी हो गए। खटीमा और मसूरी गोलीकांड ने अलग उत्तराखंड राज्य आंदोलन की आग में घी का काम किया, इसके बाद पूरे राज्य में आंदोलन काफी तेज हो गया, आंदोलन केवल संगठित आंदोलनकारियों तक सीमित न होकर गांव, घरों और समाज के हर तबके तक पहुंच गया था। इसके बाद रामपुर तिराहा गोली कांड हुआ, जिसके बारे में हम आपको बाद में बताएंगे और कुछ सालों बाद अलग उत्तराखंड राज्य की मांग भी पूरी हो गई।
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