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अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस विशेष -भारत के लाल और उत्तराखंड से जुड़े 10 विश्वविख्यात योग गुरू

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस विशेष -भारत के लाल और उत्तराखंड से जुड़े 10 विश्वविख्यात योग गुरू

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by June 19, 2018 News

उत्तराखंड को देवभूमि कहा जाता है और इस देवभूमि में आदिकाल से ही साधु-संत योग का ज्ञान पूरी दुनियां को बाँटते आ रहे हैं ऋषिकेश तो वेसे भी पूरी दुनियां की योग कैपिटल कहलायी जाती है और अब तो मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का भी सपना पूरे प्रदेश को योग कैपिटल बनाने का है। 2014 में जब मोदी सरकार पूर्ण बहुमत में आई थी तो उसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने योग में जबरदस्त पहल करते हुए 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में पूरे विश्व से मान्यता दिलाई। अब पूरे विश्व में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 21 जून को मनाया जा रहा है। योग स्वस्थ जीवन जीने के तरीके का वर्णन करता है। योग में ध्यान लगाने से मन अनुशासित होता है। योग वास्तव में हमारे स्वास्थ्य पर अपना प्रभाव डालने वाला शरीर का तंत्रिका तंत्र है। तंत्रिका तंत्र दैनिक योग करने से शुद्ध होता है और इस प्रकार योग हमारे शरीर को स्वस्थ और मजबूत बनाता है। योग और देवभूमि का नाता बहुत पुराना है। योग का अर्थ ही आध्यात्मिक और संन्यासी अनुशासन है जो ऋषि-मुनि किया करते थे योग दस हजार साल से भी अधिक समय से प्रचलन में है। उत्तराखंड को देव भूमि कहा जाता है और योग का प्रचलन वही से हुआ है। उत्तराखंड का हिमालयी क्षेत्र प्राचीनकाल से ही ऋषि-मुनियों की तपस्थली के रूप में जाना जाता है। ऋषिकेश भारत में योग के लिए सबसे लोकप्रिय स्थलों में से एक है। योग के क्षेत्र में उत्तराखंड प्रसिद्ध है आइये जानते है उत्तराखंड के दस बड़े योग आध्यात्मिक गुरु जो विश्व में प्रसिद्ध है।

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स्वामी सत्यानन्द सरस्वती बिहार योग विद्यालय, मुंगेर के संस्थापक थे। उनका जन्म 23 दिसम्बर 1923 को उत्तराखण्ड के अल्मोड़ा जिले में हुआ। वह एक संन्यासी और आध्यात्मिक योग गुरू थे। उन्होने अन्तरराष्ट्रीय योग फेलोशिप की 1956 में स्थापना की। उन्होंने 80 से भी अधिक पुस्तकों की रचना की जिसमें से ‘आसन प्राणायाम मुद्राबन्ध’ और ‘योग निद्रा’ नामक पुस्तक विश्वप्रसिद्ध है। ऋषिकेश आश्रम में स्वामी शिवानंद से स्वामी सत्यानन्द सरस्वती काफी प्रभावित हुए तथा उन्हें अपना गुरु मान लिया। स्वामी शिवानंद ने उन्हें योग और अध्यात्म में परिपक्व किया तथा 1943 में संन्यास की दीक्षा दी। इसके बाद वह भारत भ्रमण तथा विश्व भ्रमण पर निकल पड़े। अफगानिस्तान, नेपाल, श्रीलंका, बर्मा, तिब्बत इत्यादि देशों में भ्रमण करके उन्होंने योग और अध्यात्म के क्षेत्र में अपनी विशिष्टता से काफी प्रसिद्धि हासिल की। बिहार योग विद्यालय ने दुनिया भर में योग विद्या को लोकप्रिय बनाने तथा बड़ी संख्या में योग शिक्षकों को तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

महायोगी पायलट बाबा एक भारतीय आध्यात्मिक गुरु थे जो पहले भारतीय वायुसेना के साथ एक लड़ाकू पायलट विंग कमांडर थे। पायलट बाबा को यह नाम उनके शिष्यों ने दिया है। पायलट बाबा ने अपने विमान में 1962 के युद्ध के दौरान उड़ान भरते समय नियंत्रण खो दिया था जिस वजह से उनका भारतीय वायुसेना के बेस स्टेशन के साथ रेडियो संपर्क टूटने के कारण जीवित रहने की कोई उम्मीद नहीं थी। इसके बाद उन्हें हरी बाबा, उनके आध्यात्मिक गुरु ने उन्हें लड़ाकू विमान को सुरक्षित रूप से लैंडिग के लिए निर्देशित किया था। इस घटना ने पायलट बाबा के जीवन को बदल दिया और उन्होंने जीवन के वास्तविक अर्थ को समझने के लिए संन्यास ले लिया ओर वह योग गुरु हरि बाबा के सम्पर्क में आए तथा योग-ध्यान तथा समाधि की शिक्षा ली। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से विज्ञान में स्नात्कोत्तर पायलट बाबा ने बाद में देश-विदेश में ध्यान-योग एवं समाधि की शिक्षा देनी शुरू कर दी थी। पायलट बाबा का आश्रम उत्तराखंड के नैनीताल में गेथिया जेओलिकोट में एक खूबसूरत स्थान पर स्थित है।

नीब करौरी बाबा की गणना बीसवीं शताब्दी के सबसे महान संतों में होती है। नैनीताल से 38 किलोमीटर dur भवाली के रास्ते में बाबा नीब करौरी का आश्रम है जिसे कैंची धाम के नाम से भी जाना जाता है। इस आश्रम की ख्याति देश में ही नहीं, विदेशों तक फैली है। फेसबुक तथा एप्पल के संस्थापकों मार्क जुकरबर्ग, स्टीव जॉब्स को राह दिखाने वाले नीम करौली बाबा पश्चिमी देशों में भारत की विरासत का प्रतिनिधित्व करते थे। महाराज जी कहते थे, योग भारत के लोगों के खून में बहता है। वास्तव में इसका अर्थ बहुत गहरा है।

लीलाशाह महाराज एक सिद्ध भारतीय आध्यात्मिक गुरु थे जिनका आश्रम उत्तराखंड के पहाड़ी इलाके में देवदार के पेड़ों के बीच नैनीताल में है। स्वामीजी का जन्म सिंधु प्रांत के हैदराबाद जिले में सन् 1880 में हुआ था। लीलाशाह महाराज को पूर्व जन्म के संस्कारों से बचपन में ही इश्वर प्रेम की लगन थी थोड़े समय बाद लीलाशाह महाराज योग साधना के लिए उत्तराखंड के पहाड़ों पर चले गये। वहां सन्तों, महात्माओं और योगियों का खूब संग किया। कई वर्ष हरिद्वार, ऋषिकेश, उत्तरकाशी, हिमालय की गुफाओं, तिब्बत आदि स्थानों की यात्रा करते रहे। स्वामी जी की यात्राएं भारत तक ही सीमित नहीं रही वे 3 जनवरी 1961 में मलाया की यात्रा पर गये। उन्होने सिंगापुर, कोलालम्पुर और अन्य नगरों में जाकर योग एवं वेदान्त संदेश दिया। 90-92 वर्ष की आयु में भी चलने में ऐसे तेज़ थे कि जवानो को भी पीछे कर देते वे प्रतिदिन कई मील टहलते और आसन एवं योग की क्रियाएं करते थे।

बाबा सूरदास तिलपत वाले का जन्म उत्तराखंड राज्य में गथरी गांव के पौड़ी गढ़वाल जिले के एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। वह अपने जन्म से ही अंधे थे। जब वह 7 साल के थे तो एक रात अपना घर छोड़ हिमालय परवत चले गये। हिमालय पर्वत में वह एक साधु से मिले और योग व आध्यात्मिकता के बारे में ज्ञान प्राप्त किया। एक लंबी यात्रा के बाद बाबा ऋषिकेश में शाही घाटी में पहुंचे और उन्होंने गंगा नदी के तट पर कई वर्षों तक तपस्या की। बाबा का ये कहना था कि योग हमारी वैदिक एवं पुरातन संस्कृति रही है। युवाओं में योग शिक्षा से संस्कार पैदा करना बहुत महत्वपूर्ण है।

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मोहन गिरी बाबा एक सिद्ध महापुरुष थे। मोहन गिरी बाबा का आश्रम उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में रानीखेत के पास बसा बिनसर महादेव योग, आध्यात्म और प्राकृतिक सुंदरता का बेजोड़ संगम है। वर्ष 1959 में श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा से जुड़े ब्रह्मलीन नागा बाबा मोहन गिरि के नेतृत्व में इस स्थान पर भव्य मंदिर का जीर्णोद्घार शुरू हुआ। इस मंदिर में वर्ष 1970 से अखंड ज्योति जल रही है। बिनसर महादेव में हर साल जून के महीने में बैकुंड चतुर्दिशी के अवसर पर भव्य मेला का आयोजन किया जाता है। यह आश्चर्य की बात है कि इस तरह के भव्य अद्भुत मंदिर को बिना किसी सरकारी आश्वासन के जंगल के अंदर बनाया गया है। उन्होंने बिनसर महादेव को योग और ध्यान के लिए एक आदर्श स्थान बनाया है। यह मोहन गिरि महाराज जी के योग का ही नतीजा था। नागा साधु तीन प्रकार के योग करते हैं जो उनके लिए ठंड से निपटने में मददगार साबित होते हैं।

बाबा रामदेव भारतीय योग-गुरु हैं जिन्होने योग व प्राणायाम के क्षेत्र में देश-विदेश के करोड़ों लोगों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से योग सिखाया हैं। बाबा रामदेव ने सन् 2006 में महर्षि दयानन्द ग्राम हरिद्वार में पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट की स्थापना की थी। 2003 से आस्था टीवी ने हर सुबह बाबा रामदेव का योग का कार्यक्रम दिखाना शुरू किया जिसके बाद बहुत से समर्थक उनसे जुड़े। योग को जन-जन तक पहुँचाने में बाबा रामदेव ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है भारत और विदेशों में उनके योग शिविरों में आम लोगों सहित कई बड़ी-बड़ी हस्तियां भी भाग लें चूंकि हैं। बाबा रामदेव से योग सीखने वालों में अभिनेता अमिताभ बच्चन और अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी का नाम उल्लेखनीय है।

आचार्य बालकृष्ण आयुर्वेद के आचार्य और योग गुरु बाबा रामदेव के सहयोगी हैं। आचार्य बालकृष्ण ने बाबा रामदेव के साथ अपना तन मन धन योग और आयुर्वेदिक उपचार के प्रति समर्पित किया जिसके कारण आज कई लोगो को योग प्राणायाम का महत्व समझ में आया है इसके अतिरिक्त योग से संबंधित अज्ञात, सूक्ष्म एवं प्राचीन विषयों का प्रस्तुतीकरण ‘योग-विज्ञान’ नामक ग्रंथ में किया गया है जो कि उनकी अद्भुत रचनाओं में से एक है। योग को वैज्ञानिकता की कसौटी पर कसते हुए उन्होंने ‘विज्ञान की कसौटी पर योग’ नामक पुस्तक की रचना की है। लोग बचपन से योग से जुड़ें इसके लिए आचार्य ने खेल-खेल में योग नाम की पुस्तक भी लिखी।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती एक हिन्दू आध्यात्मिक गुरू एवं सन्त हैं। वे परमार्थ निकेतन, भारतीय संस्कृति शोध प्रतिष्ठान, ऋषिकेश तथा पिट्सबर्ग के हिन्दू-जैन मन्दिर के भी संस्थापक एवं अध्यक्ष हैं। उत्तराखंड की तीर्थ नगरी ऋषिकेश के गंगा तट पर प्रकृति को कई सदियों से पूजा जाता रहा है। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के द्वारा की जाने वाली श्री गंगा आरती दुनिया भर में प्रसिद्ध है। परमार्थ निकेतन द्वारा आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव में हर साल लाखों श्रद्धालु देश विदेश से ऋषिकेश आते है। स्वामी जी कहते है योग की शुरूआत स्वयं के हित की बजाय सभी लोगों की भलाई के लिए हुई है। योग साधक को एकाग्रता और सकारात्मकता का भाव जगाता है।

श्रीराम शर्मा आचार्य का जन्म 20 सितम्बर, 1911 को उत्तर प्रदेश के आगरा के आंवलखेड़ा गांव में हुआ था। उनका बाल्यकाल गांव में ही बीता। कुछ समय बाद वे आध्यात्मिक जीवन जीने हरिद्वार, उत्तराखंड आ गये। उन्होने भारतीय योग का देश विदेश में प्रचार प्रसार किया ओर वर्ष 1950 में गायत्री परिवार की स्थापना की। स्वामी जी कहते थे योग का कार्य है जोड़ना, मिलाना। आत्मा और परमात्मा को मिलाने वाले जितने भी साधन, उपाय मार्ग हैं वे सब आध्यात्मिक भाषा में योग कहे जायेंगे। योगों की संख्या असीमित है। योग आत्मा को परमात्मा से मिलाता है; मस्तिष्क को हृदय से मिलाता है तथा माया को विवेक से मिलाता है।

उत्तराखंड में योग कई सरकारी और गैर-सरकारी संस्थान सीखाते हैं। जिनमें से कुछ के नाम हैं जैसे पतंजलि योगपीठ हरिद्वार उत्तराखंड, परमार्थ निकेतन ऋषिकेश उत्तराखंड, स्वामी दयानंद सरस्वती आश्रम ऋषिकेश उत्तराखंड, देव संस्कृति विश्वविद्यालय हरिद्वार उत्तराखंड, गुरूकुल कॉंगड़ी विश्वविद्यालय हरिद्वार उत्तराखंड, शांतिकुंज आश्रम हरिद्वार उत्तराखंड,ओमकारा नंदा गंगा सदन आश्रम ऋषिकेश उत्तराखंड, फूल चट्टी आश्रम ऋषिकेश उत्तराखंड, स्वामी रामा साधक ग्राम ऋषिकेश उत्तराखंड, आनंद प्रकाश योग आश्रम ऋषिकेश उत्तराखंड, हिमालयन योग आश्रम ऋषिकेश उत्तराखंड, श्री महेश हेरिटेज ऋषिकेश उत्तराखंड, ओशो गंगाधाम ऋषिकेश उत्तराखंड, योग निकेतन आश्रम ऋषिकेश उत्तराखंड आदि है। योग की बढ़ती लोकप्रियता देखते हुए केंद्र सरकार जल्द ही उत्तराखंड को ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ योग एंड नेचुरोपैथी का तोहफा देने जा रही है। इसके लिए राज्य सरकार से 10 एकड़ जमीन मांगी गई है। देवभूमि उत्तराखंड गंगा नदी की पावन भूमि है इसलिए इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है जब उत्तराखंड के मदरसों में अब योग पढ़ाया जायेगा। देहरादून हरिद्वार नैनीताल और उधम सिंह नगर जिले के मदरसे सहित मदरसा वेलफेयर सोसाइटी 207 मदरसों का संचालन करती है इनमें करीब 25 हजार छात्र पढ़ते हैं सोसाइटी ने संस्कृत भाषा को भी एक विषय के रूप में पढ़ाए जाने की पेशकश की है और इसकी बड़ी वजह हाल ही में झारखंड राज्य की एक 15 वर्षीय मुस्लिम लड़की अंबर अली को माना जा रहा है जिन्होने कक्षा दसवी की सीबीएसई बोर्ड परीक्षा में संस्कृत में 100 में से 100 अंक लाकर हिंदू-मुस्लिम एकता का संदेश दिया है। योग और आयुर्वेद को बढ़ावा देने के लिए उत्तराखंड में 13 योग व हर्बल ग्राम भी विकसित किए जाएँगे।

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी योग और अध्यात्म से लंबे समय से जुड़े हुए हैं इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का उत्तराखंड के प्रति विशेष लगाव है। ऋषिकेश को योग की राजधानी कहा जाता है लिहाजा उत्तराखंड से योग दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 21 जून को देहरादून से देश को एक बड़ा संदेश भी देंगे। योग से न सिर्फ मानसिक संतुलन ठीक रहता है बल्कि कसरत, मेडिटेशन से आपकी बॉडी भी फिट रहती है लोगों के फिट रहने की आदत ने योग में करियर की नई राहें खोल दी है यही वजह है कि लोग युवा योग इंस्ट्रक्टर के रूप में करियर बना रहे हैं आज पूरे विश्वभर में भारतीय योग की मांग हो रही है। हम सबको मिलकर इसे ओर आगे बढ़ाने का प्रयास करना होगा।


नीतीश जोशी
बागेश्वर, उत्तराखंड

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