जान हथेली पर रख कर बारूदी सुरंग खोजते और नष्ट करते हैं ये जवान, जानिए कैसे
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कश्मीर और नक्सल प्रभावित इलाकों में भारतीय सुरक्षाबलों को एक बड़ी दिक्कत का सामना करना पड़ता है और वो है बारूदी सुरंग। खासकर नक्सल प्रभावित इलाकों में नक्सली बारूदी सुरंगों का बखूबी इस्तेमाल करते हैं और काफी दूर-दराज़ के इलाके और जंगल में होने के कारण हर वक्त अत्याधुनिक रोबोटिक मशीनों का इस्तेमाल इन्हें खोजने और नष्ट करने के लिए नहीं किया जा सकता ऐसे में ये काम सुरक्षाबलों के जवान खुद करते हैं । इस काम के लिए उनके पास होती है एक विशेष पोशाक और बारूदी सुरंग खोजने में मदद करने के लिए एक छोटा सा यंत्र।
इस काम में जो यंत्र काम आता है वो है हाथ से पकड़ने वाला छोटा सा ओवर ग्राउन्ड सेन्सर जिसको ज़मीन के ऊपर जगह जगह पर ले जाकर बारूदी सुरंग का पता लगाया जाता है, जो माइन के अंदर मौजूद बारूद, धातु से इसका पता लगाता है। वहीं बारूदी सुरंग को खोजने वाला सैनिक एक विशेष किस्म की पोशाक पहनता है, जो सिंथेटिक फाइबर और मेटल प्लेट से बनी होती है, ये न सिर्फ पूरे शरीर को सुरंग में नष्ट करते समय किसी गलती से हुए विस्फोट और छर्रों से बचाती है, बल्कि हाथ-पैरों को काम करने लायक हिलाने के लिए भी पूरी जगह देता है।
एक बार जब कोई सैनिक बारूदी सुरंग को खोज लेता है तो वो इसको खोदकर बाहर निकालता है और इससे डेटोनेटर ( जो प्रेशर पिन, तार से जुड़ी बैटरी या रिमोट के जरिये संचालित किया जाता है) को अलग करता है या निष्क्रिय कर देता है। नक्सल प्रभावित इलाकों में इन बारूदी सुरंगों ने काफी सैनिकों की जान ली हैं लेकिन ये भी एक तथ्य है कि इन बारूदी सुरंगों को खोजकर नष्ट करने वाले सैनिकों की बदौलत उससे कई गुना ज्यादा लोगों की जान बची है। पूरी दुनियां में बारूदी सुरंगों को सबसे कुख्यात हथियार माना गया है क्योंकि ये काफी समय तक जमीन के नीचे रहती है और कई सैन्य और असैन्य जानों को लील चुकी हैं, कई बार तो ये विस्फोट इतने शक्तिशाली होते हैं कि पूरी पोशाक पहनने के बाद भी सैनिक घायल हो जाते हैं।
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Feature Desk, Mirror