भारत में बनी विश्व की पहली डीएनए आधारित कोविड वैक्सीन, बड़े बच्चों और वयस्कों को दी जाएगी
Delhi : जायडस कैडिला को भारत के दवा महानियंत्रक से ज़ाइकोव-डी वैक्सीन के आपात उपयोग की अनुमति मिल गई है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि यह विश्व की पहली और भारत की स्वदेश में विकसित डीएनए आधारित कोविड-19 की वैक्सीन है जो बच्चों (12 वर्ष और इससे ऊपर) और इससे अधिक आयु के व्यस्कों को दी जाएगी। इसे मिशन कोविड सुरक्षा के अंतर्गत जैव-प्रौद्योगिकी विभाग के साथ भागदारी में विकसित किया गया है और जैव-प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद- बीआईआरएसी ने कार्यान्वित किया है। तीन खुराक की यह वैक्सीन दिए जाने के बाद एसएआरएस-कोव-2 वायरस में स्पाइक प्रोटीन बनाती है और प्रतिरोधक प्रभाव उत्पन्न करती है जिससे कोविड बीमारी और वायरल क्लियरेंस के रोकथाम में मदद मिलती है। प्लग एंड प्ले प्रौद्योगिकी पर आधारित प्लाजमिड डीएनए प्लेटफॉर्म वायरस के विभिन्न स्वरूपों से आसानी से निपट सकता है।
इस पर खुशी व्यक्त करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि ” भारत पूरे जोश के साथ COVID-19 से लड़ रहा है। दुनिया के पहले डीएनए आधारित ‘ZyCov-D’ वैक्सीन को मंजूरी मिल गई है। ZydusUnivers भारत के वैज्ञानिकों के अभिनव उत्साह का प्रमाण है। वास्तव में ये एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। “
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