अपनी सरकार के 8 साल पर बोले प्रधानमंत्री, 2 बार पीएम बन गया, यहीं नहीं रूकुंगा…..
12 May. 2022. New Delhi. केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को इस महीने 8 साल पूरे हो रहे हैं, एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस संदर्भ में कुछ महत्वपूर्ण बातें कहीं, आगे पढ़िए…..
1 देश में हमारी सरकार के आठ साल पूरे हो रहे हैं और जब आठ साल पूरे हो रहे हैं तो हम एक नए संकल्प के साथ, नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ने के लिए तैयारी करते हैं। मुझे एक दिन एक बहुत बड़े नेता मिले, वरिष्ठ नेता हैं। वैसे हमारे लगातार विरोध भी करते रहे राजनीतिक विरोध भी करते रहे हैं। लेकिन मैं उनका आदर भी करता रहता हूं। तो कुछ बातों के कारण उनको थोड़ा सा राजी नाराजी थी तो एक दिन मिलने आए। तो कहा मोदी जी ये क्या करना है। दो दो बार आपको देश ने प्रधानमंत्री बना दिया। अब क्या करना है। उनको लगता था कि दो बार प्रधानमंत्री बन गया मतलब बहुत कुछ हो गया। उनको पता नहीं है मोदी किसी अलग मिट्टी का है। ये गुजरत की धरती ने उसको तैयार किया है और इसलिए जो भी हो गया अच्छा हो गया चलो अब आराम करो, नहीं मेरा सपना है – सैचुरेशन। शत प्रतिशत लक्ष्य की तरफ हम आगे बढ़ें। सरकारी मशीनरी को हम आदत डालें। नागरिकों को भी हम विश्वास पैदा करें।
2. आपको याद होगा 2014 में जब आपने हमें सेवा का मौका दिया था तो देश की करीब-करीब आधी आबादी शौचालय की सुविधा से, टीकाकरण की सुविधा से, बिजली कनेक्शन की सुविधा से, बैंक अकाउंट की सुविधा से सैंकड़ों मील दूर थी, एक प्रकार से वंचित थी। इन वर्षों में हम, सभी के प्रयासों से अनेक योजनाओं को शत प्रतिशत सैचुरेशन के करीब करीब ला पाए हैं। अब आठ वर्ष के इस महत्वपूर्ण अवसर पर, एक बार फिर कमर कस करके, सबका साथ लेकर के, सबके प्रयास से आगे बढ़ना ही है और हर जरूरतमंद को, हर हकदार को उसका हक दिलाने के लिए जी–जान से जुट जाना है। मैंने पहले कहा ऐसे काम कठिन होते हैं। राजनेता भी उनको हाथ लगाने से डरते हैं। लोकिन मैं राजनीति करने के लिए नहीं, मैं सिर्फ और सिर्फ देशवासियों की सेवा करने के लिए आया हूँ। देश ने संकल्प लिया है शत-प्रतिशत लाभार्थियों तक पहुंचने का, और जब शत प्रतिशत पहुँचते हैं ना तो सबसे पहला जो मनोवैज्ञानिक परिवर्तन आता है, वो बहुत महत्वपूर्ण है। उसमें देश का नागरिक याचक की अवस्था से बाहर निकल जाता है पहले तो। वो मांगने के लिए कतार में खड़ा है। वो भाव खत्म हो जाता है। उसके अंदर एक विश्वास पैदा होता है कि ये मेरा देश है, ये मेरी सरकार है, ये पैसों पर मेरा हक है, मेरे देश के नागरिकों का हक है। ये भाव उसके अंदर भीतर पैदा होता है और उसके अंदर कर्तव्य के बीज भी बो देता है।
3. देश ने संकल्प लिया है शत-प्रतिशत लाभार्थियों तक पहुंचने का, आज जब शत प्रतिशत होता है तो तुष्टिकरण की राजनीति तो समाप्त ही हो जाती है। उसके लिए कोई जगह नहीं बचती है। शत-प्रतिशत लाभार्थियों तक पहुंचने का मतलब होता है, समाज में अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति तक पहुँचना। जिसका कोई नहीं है, उसके लिए सरकार होती है। सरकार के संकल्प होते हैं। सरकार उसकी साथी बनकर के चलती है। ये भाव देश के दुर दराज जंगलों में रहने वाला मेरा आदिवासी हो, झुग्गी झोपड़ी में जीने वाला मेरा कोई गरीब मां बहन हो, बुढ़ापे में अकेला जिंदगी गुजारने वाला कोई व्यक्ती हो, हर किसी को ये विश्वास पैदा कराना है वो उसके हक की चीजें उसके दरवाजे पर आकर के देने के लिए प्रयास किया है।
4. मैंने लाल किले से हिम्मत की थी एक बार बोलने की, कठिन काम है मैं फिर कह रहा हूं। मुझे मालुम है ये कठिन काम है, कैसे करना मुश्किल है मैं जानता हूं। सब राज्यों को प्रेरित करना, साथ लेना मुशकिल काम है मैं जानता हूं। सभी सरकारी कर्मचारियों को इस काम के लिए दौड़ाना कठिन है मैं जानता हूं। लेकिन ये आजादी का अमृतकाल है। आजादी का 75 साल हुए हैं। इस अमृतकाल में मूलभूत सुविधाओं की योजनाओं के सैचुरेशन की बात मैंने लाल किले से कही थी। शत-प्रतिशत सेवाभाव का हमारा ये अभियान, सामाजिक न्याय, सोशल जस्टिस, का बहुत बड़ा माध्यम है।
5. हमारी सरकार ने सामाजिक सुरक्षा, जनकल्याण और गरीब को गरिमा का ये सारा जो मेरा सैचूरेशन का अभियान है अगर एक शब्द में कहना है तो वो यही है गरीब को गरिमा। गरीब की गरिमा के लिए सरकार। गरीब की गरिमा के लिए संकल्प और गरीब की गरिमा के संस्कार। यही तो हमें प्रेरित करते हैं। पहले हम जब सोशल सिक्यूरिटी की बात सुनते थे, तो अक्सर दूसरे छोटे-छोटे देशों के उदाहरण देते थे। भारत में इनको लागू करने के जो भी प्रयास हुए हैं उनका दायरा और प्रभाव दोनों बहुत सीमित रहे हैं। लेकिन साल 2014 के बाद देश ने अपने दायरे को व्यापक किया, देश सबको साथ लेकर चला। परिणाम हम सभी के सामने है।
6. पचास करोड़ से अधिक देशवासियों को 5 लाख रुपए तक के मुफ्त इलाज की सुविधा मिली, करोड़ों लोगों को 4 लाख रुपए तक के दुर्घटना और जीवन बीमा की सुविधा मिली, करोड़ों भारतीयों को 60 वर्ष की आयु के बाद एक निश्चित पेंशन की व्यवस्था मिली। अपना पक्का घर, टॉयलेट, गैस कनेक्शन, बिजली कनेक्शन, पानी का कनेक्शन, बैंक में खाता, ऐसी सुविधाओं के लिए तो गरीब सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट-काटकर के उनकी जिंदगी पूरी हो जाती थी। वो हार जाते थे। हमारी सरकार ने इन सारी परिस्थितियों को बदला, योजनाओं में सुधार किया, नए लक्ष्य बनाए और उन्हें निरंतर हम प्राप्त भी कर रहे हैं। इसी कड़ी में किसानों को पहली बार सीधी मदद मिली। छोटे किसानों को तो कोई पुछता नहीं था भाई और हमारे देश में 90 पर्सेंट छोटे किसान हैं। 80 पर्सेंट से ज्यादा, करीब-बरीब 90 पर्सेंट। जिसके पास 2 एकड़ भूमि मुश्किल से है। उन छोटे किसानों के लिए हमनें एक योजना बनाई। हमारे मछुआरे भाई बहन, बैंक वाले उनको पुछते नहीं थे। हमने किसान क्रेडिट कार्ड जैसा है वो मछुआरों के लिए शुरू किया। इतना ही नहीं रेहड़ी पटरी ठेले वालों को पीएम स्वनिधि के रूप में बैंक से पहली बार सहायता सुनिश्चित हुई है।
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