पीएम मोदी ने भूकंप प्रभावित तुर्की और सीरिया से वापस लौटे भारतीय राहत और बचाव दलों से बातचीत की, कहा भूकंप के समय भारत सबसे पहले मदद करने वालों में से एक था
20 Feb. 2023. New Delhi. प्रधानमंत्री ने भूकंप प्रभावित तुर्की और सीरिया से वापस लौटे भारतीय राहत और बचाव कार्य ‘ऑपरेशन दोस्त’ में शामिल राष्ट्रीय आपदा मोचन बल और सेना के कर्मियों से बातचीत की। कर्मियों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने भूकंप प्रभावित तुर्की और सीरिया में ‘ऑपरेशन दोस्त’ में उनके महत्वपूर्ण कार्य के लिए उनकी सराहना की। प्रधानमंत्री ने वसुधैव कुटुम्बकम की अवधारणा पर प्रकाश डाला। प्रधानमंत्री ने कहा कि तुर्की और सीरिया में भारतीय टीम ने हमारे लिए पूरी दुनिया के एक परिवार होने की भावना को प्रतिबिंबित किया।
प्राकृतिक आपदा के दौरान त्वरित प्रतिक्रिया समय के महत्व पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने ‘गोल्डन आवर’ का उल्लेख किया और कहा कि तुर्की में एनडीआरएफ टीम की त्वरित प्रतिक्रिया ने पूरी दुनिया का ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने कहा कि त्वरित प्रतिक्रिया, टीम की तैयारियों और प्रशिक्षण कौशल पर प्रकाश डालती है। भूकंप प्रभावित इलाकों में टीम के सदस्यों को उनके प्रयासों के लिए आशीर्वाद देने वाली मां की तस्वीरों को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रभावित क्षेत्रों में किए गए बचाव और राहत कार्यों की हर तस्वीर को देखने के बाद हर भारतीय ने गर्व महसूस किया।
गुजरात में 2001 के भूकंप को याद करते हुए और वहां एक स्वयंसेवक के रूप में अपने समय को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने मलबे को हटाने और उसके नीचे लोगों को खोजने के कार्य की कठिनाई को रेखांकित किया और बताया कि कैसे पूरी चिकित्सा प्रणाली प्रभावित हुई, क्योंकि भुज में अस्पताल ही ध्वस्त हो गया था। प्रधानमंत्री ने 1979 में माचू बांध त्रासदी को भी याद किया और कहा कि “इन आपदाओं में अपने अनुभवों के आधार पर, मैं आपकी कड़ी मेहनत, भावना और भावनाओं की सराहना कर सकता हूं। आज मैं आप सभी को सलाम करता हूं।”
प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि जो स्वयं की मदद करने में सक्षम हैं उन्हें आत्मनिर्भर कहा जाता है लेकिन जो दूसरों की जरूरत के समय में मदद करने की क्षमता रखते हैं उन्हें निस्वार्थ कहा जाता है। उन्होंने कहा यह न केवल व्यक्तियों पर बल्कि राष्ट्रों पर भी लागू होता है। इसलिए पिछले कुछ वर्षों में भारत ने अपनी आत्मनिर्भरता के साथ-साथ अपनी निस्वार्थता को भी सींचा है। प्रधानमंत्री ने यूक्रेन में तिरंगा की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा, “हम ‘तिरंगा’ के साथ जहां भी पहुंचते हैं, वहां आश्वासन मिलता है कि अब जब भारतीय टीमें आ गई हैं, तो स्थिति बेहतर होने लगेगी।” प्रधानमंत्री ने स्थानीय लोगों के बीच तिरंगे को मिले सम्मान के बारे में भी बात की। प्रधानमंत्री ने यह भी याद किया कि कैसे ऑपरेशन गंगा के दौरान यूक्रेन में तिरंगे ने सभी के लिए एक ढाल के रूप में काम किया था। इसी तरह ऑपरेशन देवी शक्ति में अफगानिस्तान से बहुत विपरीत परिस्थितियों में निकासी की गई। प्रधानमंत्री ने कहा कि यही प्रतिबद्धता कोरोना महामारी के दौरान स्पष्ट हुई जब भारत हर नागरिक को घर वापस लाया और दवाओं और टीकों की आपूर्ति करके वैश्विक सद्भावना अर्जित की।
पीएम ने कहा कि तुर्की और सीरिया में आए भूकंप के समय भारत सबसे पहले प्रतिक्रिया देने वालों में से एक था। उन्होंने नेपाल में आए भूकंप और मालदीव व श्रीलंका के संकट का उदाहरण देते हुए कहा कि भारत सबसे पहले मदद के लिए आगे आया। उन्होंने कहा कि अन्य देशों का भरोसा भारतीय बलों के साथ-साथ एनडीआरएफ पर भी बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री ने प्रसन्नता व्यक्त की कि एनडीआरएफ ने पिछले कुछ वर्षों में देश के लोगों के बीच बहुत अच्छी प्रतिष्ठा बनाई है। उन्होंने कहा, देश की जनता एनडीआरएफ पर भरोसा करती है। उन्होंने रेखांकित किया कि जब एनडीआरएफ मैदान में पहुंचता है तो लोगों का विश्वास और आशा आश्वस्त होती है और कहा कि यह अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जब किसी बल में कौशल के साथ संवेदनशीलता जुड़ जाती है तो उस बल की ताकत कई गुना बढ़ जाती है। आपदा के समय राहत और बचाव के लिए भारत की क्षमता को मजबूत करने की जरूरत पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा “हमें दुनिया में सबसे अच्छी राहत और बचाव दल के रूप में अपनी पहचान मजबूत करनी होगी। हमारी खुद की तैयारी जितनी अच्छी होगी, हम उतनी ही अच्छी तरह से दुनिया की सेवा कर पाएंगे।”
संबोधन का समापन करते हुए प्रधानमंत्री ने एनडीआरएफ टीम के प्रयासों और अनुभवों की सराहना की और कहा कि भले ही वे विदेश में बचाव अभियान चला रहे थे, लेकिन वह पिछले 10 दिनों से दिल और दिमाग से हमेशा उनके साथ जुड़े हुए थे।
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