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उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने हरिद्वार में वेद विज्ञान एवं संस्कृति महाकुंभ को संबोधित किया, कहा इस देश में कुछ लोग भारत की प्रगति को पचा नहीं पा रहे हैं

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने हरिद्वार में वेद विज्ञान एवं संस्कृति महाकुंभ को संबोधित किया, कहा इस देश में कुछ लोग भारत की प्रगति को पचा नहीं पा रहे हैं

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by December 23, 2023 News

23 Dec. 2023. Haridwar. उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, डॉ. (श्रीमती) सुदेश धनखड़ के साथ आज अपने एकदिवसीय दौरे पर हरिद्वार पहुंचे और यहां गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित किये जा रहे वेद विज्ञान एवं संस्कृति महाकुंभ के उद्घाटन समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित किया। गुरुकुल कांगड़ी द्वारा इस महाकुंभ का आयोजन स्वामी दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती और स्वामी श्रद्धानंद के बलिदान दिवस में अवसर पर किया जा रहा है। इस मौके पर उपराष्ट्रपति ने कहा कि देवभूमि उत्तराखंड में आना परम सौभाग्य है, इस विश्वविद्यालय का वर्षों से नाम सुनता रहा हूं, आज पहली बार आने का मौका मिला है, नाम से ऊर्जावान होता रहा हूं, आज यहां से एक बड़ा संकल्प लेकर जाऊंगा। उपराष्ट्रपति ने कहा कि हमारी नई शिक्षा नीति हमारे सांस्कृतिक मूल्यों के अनुरूप है, हमारी सांस्कृतिक विरासत का सृजन करने वाली है। हर भारतवासी को अपनी संस्कृति और विरासत को लेकर गौरव अनुभव करना चाहिए और हम करते हैं, भारतीयता हमारी पहचान है। जहां भी देश में जाएंगे हमारी पहचान भारतीयता है, राष्ट्रवाद हमारा परम धर्म है। हमें गर्व होना चाहिए कि हम एक महान राष्ट्र के नागरिक हैं, हाल के वर्षों में अर्जित अप्रत्याशित सफलता, अकल्पनीय विकास से हमारा सर ऊंचा होना चाहिए और पर इस पर कभी कोई कमी नहीं आनी चाहिए।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह चिंता और चिंतन का विषय है, कुछ गिने चुने लोग गौरव तो छोड़ दीजिए अपनी संस्कृति, गौरव में अतीत और वर्तमान विकास को लेकर अपमान का भाव रखते हैं। इनकी संख्या बहुत कम है, भारत की महान छवि को धूमिल करने में यह लोग लगे रहते हैं। वो या तो भ्रमित हैं या पथभ्रष्ट हैं। भारत विरोधी प्रचार और देश की संस्कृति को धूमिल करने का हर कुप्रयास को कुंठित करना हर भारतीय का परम दायित्व है और कर्तव्य है। इन ताकतों को जो हमारी संस्कृति के विरोध में हैं, राष्ट्रवाद के विरोध में है, हमारे अस्तित्व के विरोध में हैं, उन पर प्रतिघात होना चाहिए।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि अनेक कदम सरकार ने उठाये जो हमारी संस्कृति और वेदों के अनुरूप उठाए गए हैं। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से नागरिको द्वारा अपने कर्तव्य पालन के पंच प्राण आह्वान किया था। आने वाले 25 साल के लिए देश को पंच प्राण पर अपनी शक्ति अपने संकल्पों और अपने सामर्थकों को केंद्रित करने पर ज़ोर दिया था, आप इसकी सार्थक शुरुआत करेंगे। हमारी यात्रा निरंतर बढ़ती जा रही है, हमें दिख रहा है कि भारत निश्चित रूप से विकसित भारत होगा। दसवे नंबर की अर्थव्यवस्था आज दुनिया में पांचवा नंबर पर आ गई है। दशक के अंत तक तीसरे नंबर पर आ जाएगी, यूके को पीछे छोड़ दिया फ्रांस जर्मनी जापान कनाडा यह सब पीछे रह जाएंगे इस दशक के अंत में। 

उपराष्ट्रपति ने कहा कि वर्ल्ड बैंक जो पहले चिंता करते थे कि हमारी अर्थव्यवस्था जर्जर है, आज कहते हैं कि भारतवर्ष वह देश है जो सबसे ज्यादा आर्थिक प्रगति कर रहा है। विश्व के लिए इन्वेस्टमेंट और अपॉर्चुनिटी का फेवरेट डेस्टिनेशन है। कुछ पश्चिमी  विश्वविद्यालय अनर्गल कारणों से हमारी संस्कृति हमारी विकास यात्रा को कलंकित करने में लगे हुए हैं मेरे मन में कोई शंका नहीं है, आपके संकल्प को देखते हुए भारत की संस्कृति कभी नीचे नहीं होगी आपको उनका प्रतिकार करना चाहिए। इस महान देश में कुछ लोग हैं, गिने चुने लोग हैं वह भारत की प्रगति को पचा नहीं पा रहे हैं, आप उनकी पाचन शक्ति को ठीक कीजिए, वह हमारे ही है भटके हुए हैं।

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