Uttarakhand बर्ड फ्लू के बीच ‘ घुघुतिया त्यार ‘, ये खबर जरूर पढ़ें और रहें सावधान
चम्पावत के पाटन(लोहाघाट) के भगवत प्रसाद पाण्डेय ने अपनी चिंता एक कहानी में व्यक्त की है जो इस प्रकार है….भारत-नेपाल सीमा के पास पंचेश्वर के संगम तट पर कौओं की सभा बड़ी देर से चल रही थी लेकिन नतीजा नहीं निकल पा रहा था। हर वर्ष की भाँति वह खास दिन आने ही वाला है। जब सभी कौवे भोर में जग जाएंगे और सरयू, रामगंगा, गोरी, धौली व महाकाली जैसी नदियों में डुबकी लगाएंगे। कॉव-कॉव करते हुए ये कौवे अलग-अलग दिशाओं में उड़ते हुए पहाड़ों के घर-घर जाकर घुघुतिया की दावत उड़ाने की बात सोचते-सोचते आज बड़े असमंजस में पड़ गए। बात गंभीर थी।
कुमाऊँ के निवासी मकर संक्रांति को उत्तरैणी और घुघुतिया भी कहते हैं। इस त्यौहार को लेकर जितने उत्सुक कौवे होते हैं, उससे अधिक उतावले यहाँ के बच्चे रहते हैं। बच्चों की खुशी का कारण मकर संक्रांति को हर घर में बनने वाले घुघूते होते हैं। इसके लिए आटे में मीठा मिलाकर उसे गूंदा जाता है, फिर उसकी लोइयों से फल-फूल, ढाल-तलवार जैसी विभिन्न आकृतियों के घुघुते और पूड़ी, खजूरे बनाने के बाद तले जाते हैं। इन घुघुतों (पकवान) की माला बनाकर सुबह बच्चों को पहनाई जाती है। माला पहने हुए छोटे बच्चे कुछ घुघुतियों को हाथ में लेकर “काले कौवा काले, घुघुती माला खा ले..” पुकारते हुए कौओं को बुलाते हैं। कौवे भी घर के आँगन और छतों में जा-जा कर इनकी दावत उड़ाते हैं। इस बार घुघुतिया से ठीक पहले उत्तर भारत के कई राज्यों में ‘बर्ड फ्लू’ से कौओं की मौत की खबरें लगातार आ रही हैं। सैकड़ों की संख्या में कौवे मरे पड़े मिल रहे हैं। जाँचें हो रही हैं। रेड अलर्ट के बीच लोगों को भी ‘बर्ड फ्लू’ के खतरे को देख सचेत किया जा रहा है। ऐसे में कौवे बड़ी दुविधा में हैं। उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि उत्तरायणी पर्व में बच्चों के हाथ से मिलने वाली घुघुतों की दावत उड़ाएं या बर्ड फ्लू (एवियन इन्फ्लूएंजा) से अपनी जान बचाई जाय।
इस सबके बीच मिरर उत्तराखंड की आपको सलाह है कि आप पूरी खुशी के साथ और उत्साह के साथ घुघुतिया त्यौहार को मनाएं। कौवों को भी बुलाएं, बस इस बात का ख्याल रखें कि जो घुघुतिया भोजन आप कौवों को दे दें उसे फिर वापस ना छुएं। कई बार कौवे आधा खाना खाकर चले जाते हैं। ऐसे में बचा हुआ भोजन संक्रमित हो सकता है, इसलिए आप बचे हुए भोजन को दोबारा न छुए और इसे बच्चों के हाथों में ना आने दें। बस आपको इतनी सी सावधानी बरतनी है कि कौवे को दिए जा रहे भोजन को किसी उंचे स्थान पर रखें ताकि वहां तक कुत्ता या आपका कोई पालतू जानवर ना पहुंच पाए।
भगवत प्रसाद पांडेय, लोहाघाट
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